इन सबकी शुरूआत 2019 में हुई थी जब एमसी मैरीकॉम को बिना ट्रायल्स के टोक्यो ओलंपिक्स के लिए भारतीय दल से जुड़ने के लिए चयनित कर लिया गया था। यह चयन जल्द ही विवादों में घिरा जब तेलंगाना के निजामाबाद की मुक्केबाज निखत जरीन ने सही चयन के लिए ट्रायल मैच की अपील की। भले ही एमसी मैरीकॉम ने यह बाउट 9-1 से अपने नाम की, लेकिन कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि निखत जरीन और एमसी मैरीकॉम के बीच नई प्रतिद्वंद्विता शुरू हो चुकी है क्योंकि दोनों 51 किग्रा वर्ग में स्पर्धा करती हैं।
एमसी मैरीकॉम से किसी प्रकार की प्रतिद्वंद्विता को नकारते हुए निखत जरीन ने कहा, 'मेरी एमसी मैरीकॉम से कोई दुश्मनी नहीं हैं। मुक्केबाजी खेल है, जहां आप अपना पूरा गुस्सा रिंग के अंदर उतार सकते हैं। एक बार बाउट खत्म हो जाए और आप रिंग से बाहर उतरे कि फिर आप दोस्त हैं। मेरा यही मानना है। जो भी हमारे बीच हुआ, वो सब रिंग में समाप्त हो गया। मैं उनसे नफरत करने वाली कोई नहीं होती हूं। मैं एमसी मैरीकॉम की इज्जत करती हूं। वो मेरी आदर्श हैं। जब भी मैं उन्हें देखती हूं, तो प्रोत्साहित हो जाती हूं क्योंकि उनकी उम्र चाहे जो भी हो, उनमें ओलंपिक गोल्ड जीतने की वो भूख बरकरार है। मुझे उनसे किसी प्रकार की चिंता या नफरत नहीं है। मैं सचमुच चाहती हूं कि वह आगामी ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतें। मैं उनको शुभकामनाएं देती हूं।'
एमसी मैरीकॉम ने सपना तोड़ा, लेकिन निखत जरीन का हौसला बरकरार
पुरानी घटनाओं से ऊपर उठकर 24 साल की मुक्केबाज निखत जरीन इस समय अपना पूरा ध्यान फिटनेस और भविष्य के टूर्नामेंट्स की तैयारी में लगा रही हैं। निखत जरीन ने कहा, 'एमसी मैरीकॉम के खिलाफ ट्रायल्स के बाद मैं थोड़ा निराश और दुखी थी। हर एथलीट का सपना होता है कि ओलंपिक्स में अपने देश का प्रतिनिधित्व करे। मगर मुझे लगता है कि एक चीज को लेकर रोना नहीं चाहिए और मेरा विश्वास है कि हर चीज अच्छे कारण से होती है।'
निखत जरीन ने आगे कहा, 'मैंने घर आकर आराम किया, लेकिन फिर लॉकडाउन लग गया और हमारा ट्रेनिंग कैंप उसके बाद नहीं लगा। और जब हम आगामी महीनों में कैंप में ट्रेनिंग शुरू करेंगे तो हमारा फिटनेस का स्तर वो नहीं होगा क्योंकि हम घर में ट्रेनिंग कर रहे हैं। अपनी फिटनेस के चरम स्तर को हासिल करने के लिए समय लगेगा। इसलिए मैंने योजना बनाई है कि 2021 में मैं अच्छी ट्रेनिंग करके कुछ इवेंट्स में हिस्सा लूंगी और फिर कॉमनवेल्थ व एशियाई गेम्स में हिस्सा लूंगी।'
यह पूछने पर कि क्या उन्हें महसूस होता है कि देश में खेल को उसकी पहचान नहीं मिली है तो निखत जरीन ने कहा, 'कुछ साल पहले बॉक्सिंग को पहचान नहीं मिली थी। हालांकि, जब से विजेंदर सिंह और एमसी मैरीकॉम ने मेडल जीते हैं, तब से लोगों को एहसास हुआ कि बॉक्सिंग में मेडल जीतने की उम्मीद है। यहा से लोगों ने बॉक्सिंग पर ध्यान देना शुरू किया।'