भारतीय दिग्गज मुक्केबाज़ और टोक्यो ओलंपिक में पदक की बड़ी उम्मीद में से एक अमित पंघल (Amit Panghal) महज़ पांच फ़िट दो इंच लंबे हैं, लेकिन जब वह प्रहार करते हैं तो सामने वाले मुक्केबाज़ का बच पाना बेहद मुश्किल होता है। पंघल के वह पंच किसी डंक से कम नहीं।
रोहतक में जन्मे इस मुक्केबाज़ का करियर भी किसी कहानी से कम नहीं, एक ऐसा शहर जो सिविल सर्विसेज़ में करियर बनाने वाले छात्रों के लिए मशहूर था। लिहाज़ा अमित को इस खेल में अपना जोड़ीदार ढूंढना मुश्किल था।
हालांकि इसी शहर में छोटूराम बॉक्सिंग ऐकेडमी भी थी, जहां बचपन में उनके भाई अजय भी जाया करते थे और उन्हीं को देखते हुए अमित ने भी इस ऐकेडमी में दाख़िला ले लिया था। जहां अमित को उनकी उम्र का कोई और साथी नहीं मिला, लिहाज़ा छोटे क़द के इस मुक्केबाज़ को बड़े बच्चों के साथ रिंग में उतारने से उनके कोच अनिल धानखड़ (Anil Dhankhar) कतराते थे।
लेकिन आगे की फ़िक्र किए बग़ैर अमित पंघल ने संकल्प कर लिया था कि चाहे जो भी वह रिंग में उतरेंगे और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे। ओलंपिक चैनल के साथ बातचीत में अमित पंघल ने कहा, ‘’मेरे साथ बचपन से ही ऐसा रहा है।‘’
‘’जब से मैंने प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेना शुरू किया है, तभी से मेरे साथ ऐसा ही रहा है। यहां तक कि घरेलू सर्किट में भी रिंग में मेरे प्रतिद्वंदी मेरे से कहीं लंबे हुआ करते थे। इसे मैं एक वरदान की तरह देखता हूं, क्योंकि इसी ने मुझे ये ताक़त दी कि कैसे मैं उनके इस एडवांटेज (लंबाई) को अपनी ताक़त बनाऊं।‘’
जैसे जैसे समय आगे बढ़ा, अमित पंघल की क़ामयाबी और उनका स्तर भी बढ़ता जा रहा था। इतनी तेज़ी से अमित आगे बढ़ रहे थे कि उनके कोच उनको उनसे ज़्यादा भारवर्ग वाली श्रेणी में उतारने पर मजबूर हो गए। अमित इसपर कहते हैं, ‘’अब बात सिर्फ़ लंबाई की नहीं थी जो मेरे ख़िलाफ़ जा रही थी, अब मेरे प्रतिद्वंदी मुझसे कहीं ज़्यादा मज़बूत और ताक़तवर भी थे।‘’
अमित पंघल की तैयारी और जज़्बे का अंदाज़ा उनके सोशल मीडिया पोस्ट से भी पता चलता है, जहां वह क़रीब क़रीब हर दिन अपनी प्रैक्टिस का एक वीडियो फ़ैन्स के साथ ज़रूर साझा करते हैं।
एक बात तो साफ़ है कि रोहतक का ये मुक्केबाज़ रिंग के अंदर से टोक्यो में भारत का नाम रोशन करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देगा।