महेंद्र सिंह धोनी का नाम भारत के सबसे महान कप्तानों में तो लिया ही जाता है लेकिन वह उससे भी ज्यादा सफल क्रिकेटर भी हैं, जिन्हें उनके करियर के दौरान कभी भी टीम से बाहर नहीं बैठना पड़ा। उन्होंने 2004 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना करियर शुरू किया था और उसके बाद वह एक से बढ़कर एक उपलब्धियां भारतीय क्रिकेट टीम की झोली में डालते चले गए।
सचिन तेंदुलकर जैसे महान क्रिकेटर को भी चयनकर्ताओं की ओर से एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास लेने की योजनाओं के बारे में विचार करने के लिए कहा गया था लेकिन धोनी के मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
धोनी का वनडे क्रिकेट करियर में बल्लेबाजी औसत 50 से ज्यादा का रहा है, जो कि उन्हें एक सफल बल्लेबाज भी बनाता है। धोनी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में जैसा प्रदर्शन किया है, उसे देखकर कोई भी उन पर उंगली नहीं उठा सकता।
आज हम आपको धोनी के करियर से जुड़े ऐसे ही 10 आश्चर्यजनक आंकड़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जान आप भी हैरान रह जाएंगे। जानिए उन आंकड़ों के बारे में :
#1 भारत ने जो बहुपक्षीय वनडे टूर्नामेंट जीते हैं, उनमें धोनी ने 32 इनिंग में 5 अर्धशतक लगाए
दो टी20 बहुपक्षीय टूर्नामेंट में भारत की जीत के दौरान धोनी ने पहली दस पारियों में एक भी अर्धशतक नहीं बनाया था लेकिन इसके बाद आईसीसी के तीन बड़े टूर्नामेंट में भारत को विजेता बनाने के दौरान धोनी ने 20 इनिंग में एक अर्धशतक बनाया। इसके अलावा धोनी ने नौ बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में भारत को जीत दिलाई लेकिन एक भी शतक नहीं बनाया, जबकि वह हर मैच खेले।
इसके अलावा उनकी 2011 विश्वकप फाइनल मैच की पारी और 2013 में सेलकॉन कप फाइनल की पारी को कोई भी नहीं भूल पाएगा। यही नहीं हम यहां पर महेंद्र सिंह धोनी के साथ लगभग दो साल तक मैच खेलने वाले खिलाड़ियों के आंकड़े पर भी नजर डालेंगे, जिन्होंने साथ में 45 या उससे ज्यादा वनडे मैच खेले हैं। हालांकि इसमें सचिन तेंदुलकर को शामिल नहीं किया गया है।
#2 चार विश्वकप जिनमें धोनी शामिल हुए
महेंद्र सिंह धोन का रिकॉर्ड इस मामले में भी आपको हैरान कर देगा, जब उसकी तुलना उनके साथ के अन्य बल्लेबाजों से की जाती है, जिन्होंने उनसे कम विश्वकप खेले हैं। यहां पर इन बल्लेबाजों की 10 इनिंग के रिकॉर्ड को देखा गया है। आइए डालते हैं आंकड़ों पर एक नजर-
विश्वकप 2007, 2011, 2015 और 2019 को शामिल करते हुए-
-युवराज सिंह- 11 पारियों में 71.14की औसत से 498 रन, 50 से अतिरिक्त रन की 6 पारियां
-रोहित शर्मा- 17 पारियों में 65.2 की औसत से 978 रन, 50 से अधिक रन की 9 पारियां
-शिखर धवन- 10 पारियों में 53.7 की औसत से 537 रन, 50 से अधिक रन की 4 पारियां
-सचिन तेंदुलकर- 12 पारियों में 49.63 की औसत से 546 रन, 50 से अधिक रन की 5 पारियां
-महेंद्र सिंह धोनी- 25 पारियों में 43.33 की औसत से 780 रन, 50 से अधिक रन की 5 पारियां
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#3 चार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, जिसमें धोनी शामिल हुए-
धोनी की अन्य भारतीय बल्लेबाजों से तुलना, जिन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी में कम से कम 6 या उससे अधिक पारियां खेली हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी 2006, 2009, 2013, 2017
शिखर धवन- 10 पारियों में 77.89 की औसत से 701 रन, 50 से अधिक रन की 6 पारियां
विराट कोहली- 13 पारियों में 75.57 की औसत से 529 रन, 50 से अधिक रन की 5 पारियां
रोहित शर्मा- 10 पारियों में 53.44 की औसत से 481 रन, 50 से अधिक रन की 4 पारियां
युवराज सिंह- 6 पारियों में 39.75 की औसत से 159 रन, 50 से अधिक रन की एक पारी
महेंद्र सिंह धोनी- 8 पारियों में 22.87 की औसत से 183 रन, 50 से अधिक रन की 2 पारियां
बताते चलें कि धोनी ने जिन आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में अर्धशतक बनाया है, उनमें भारत की हार हुई है।
#4 धोनी और बड़े मैचों का दबाव
धोनी करियर के शुरुआती दिनों में मैचों में दबाव झेलने की स्थिति में नहीं थे, जिसके कारण शुरुआत में कुछ बड़ी सीरीज में हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2008 के बाद से स्थिति बदली और धोनी ने किप्ली कप टूर्नामेंट के फाइनल और एशिया कप फाइनल में अपना जलवा दिखाया, हालांकि भारत इनमें जीत हासिल करने में असफल रहा।
धोनी ने अभी तक 14 टूर्नामेंट के फाइनल मैच खेले हैं और उनमें उन्होंने जिम्मेदारी उठाते हुए 44.27 की औसत से 487 रन बनाए हैं। जिसमें उनके चार अर्धशतक और कई नाबाद पारियां शामिल हैं। उनकी खेलने की यह तकनीक दिखाती है कि बड़े मैचों में दबाव झेलने की धोनी की क्षमता लाजवाब है।
#5 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते समय धोनी ने वनडे करियर के 83 अर्धशतक में से एक भी नहीं बनाया
यह बात जानकार आपको हैरानी होगी लेकिन यह सच है। धोनी ने केवल अक्टूबर 2005 में अपने करियर के शुरुआती दिनों में श्रीलंका के 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 183 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी। इसके अलावा उनका एक भी अर्धशतक ऐसे मैचों में नहीं आया है।
#6 कड़े मैचों में दबा हुआ प्रदर्शन
पिछले दो सालों में ज्यादातर मैचों में देखा गया है कि जब विरोधी टीम के साथ भारत का मैच फंसा हो और महेंद्र सिंह धोनी क्रीज पर हों, तो उन्होंने बहुत की कम ऐसा प्रयास किया हो, कि वह तेज पारी खेल भारत को जीत दिलाएं। इसका सबसे ताजा उदाहरण विश्वकप 2019 के दौरान सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ देखने को मिला, जहां उन्होंने अपनी 50 रन की पारी में बमुश्किल ही बाउंड्री लगाई हो और स्ट्राइक रोटेट करने में भी कोई दिलचस्पी दिखाई हो। यही नहीं उन्होंने ऐसा ही प्रदर्शन टूर्नामेंट के दौरान अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश के खिलाफ भी किया था।
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#7 भारतीय टीम में नंबर 4 पर धोनी की बल्लेबाजी को लेकर भी सवाल उठाए गए, जबकि इस स्थिति में बल्लेबाजी का उनका रिकॉर्ड शानदार है। हालांकि उनहोंने 2015 के बाद से यह जिम्मदारी अपने कंधों से हटा दी और उसके बाद से ही टीम नंबर 4 पर उचित बल्लेबाज ढूंढने के लिए अभी भी प्रयासरत है। जबकि वह अभी भी इस नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त हैं।
#8 बहुपक्षीय टूर्नामेंट में एमएस धोनी के दस शतक, जिसमें भारत की हार हुई
धोनी के करियर का यह एक बेहद अजीब रिकॉर्ड है। वहीं धोनी ने अपना अंतिम वनडे शतक जनवरी 2017 में बनाया था, यह ऐसा समय था, जब युवराज सिंह भी टीम में जगह बनाने के लिए लड़ रहे थे। इसके बाद से ही यह देखा गया है कि धोनी अपनी वनडे पारी की शुरुआत बेहद धीमे अंदाज में करते हैं, जो कि आज के हिसाब से स्वीकार्य नहीं है।
#9 धोनी अंतर्राष्ट्रीय टी20 क्रिकेट के स्टार हैं, यह झूठ है
ये हैं वो आंकड़ें, जो बताते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी टी20 क्रिकेट के स्टार हैं :
#10 अंतर्राष्ट्रीय टी20 करियर का पहला अर्धशतक 66वीं पारी में बनाया
धोनी ने अपने लगभग 10 साल से ज्यादा लंबे टी20 करियर में 85 पारियां खेली हैं लेकिन आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने उनमें केवल दो ही अर्धशतक लगाए हैं, जिसमें से पहला अर्धशतक 66वीं पारी में आया था।
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