भारतीय टीम में आने के लिए हर खिलाड़ी कड़ी मेहनत करता है और टीम में आने के बाद बेहतरीन खेल के दम पर लम्बे समय तक खेलने का प्रयास करता है। भारतीय टीम में खेलते हुए कई बेहतरीन खिलाड़ी हुए हैं और अपने प्रदर्शन ला लोहा भी मनवाया है। कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने भारतीय टीम में लम्बे समय तक क्रिकेट खेला और कई खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं जिन्हें ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला।
भारतीय टीम के कुछ दिग्गज खिलाड़ी ऐसे रहे हैं उन्हें भारतीय टीम में बढ़िया खेल के बाद भी टीम में शामिल नहीं किया गया। अंदरूनी राजनीति का शिकार होने के बाद उन्हें टीम में जगह नहीं मिली। हर जगह राजनीति की तरह क्रिकेट में भी राजनीति होती रही है और उनके शिकार कुछ खिलाड़ी हुए हैं। भारतीय टीम में शामिल होने के लिए खिलाड़ी का प्रदर्शन पैमाना होना चाहिए लेकिन आपसी मनमुटाव को टीम में शामिल करने का पैमाना मानना क्रिकेट और भारतीय टीम दोनों का ही भला नहीं कर सकता है। खिलाड़ी के बयानों या असहमति को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर उसे टीम से बाहर का रास्ता दिखा देना कहीं से भी उचित नहीं समझा जा सकता है। भारतीय टीम में ऐसा हुआ है और दो धाकड़ खिलाड़ियों की चर्चा यहाँ की गई है जिन्हें राजनीति करके टीम से बाहर निकाल दिया गया।
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भारतीय टीम के दो खिलाड़ी गंदी राजनीति के शिकार हुए
गौतम गंभीर
गौतम गंभीर भारत के लिए टी20 और वनडे वर्ल्ड कप के सफल बल्लेबाज रहे हैं। 2011 के बाद उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिला और टेस्ट क्रिकेट में भी कुछ मौकों पर उन्हें टीम में शामिल किया गया। अकसर यह माना जाता रहा है कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ विवादास्पद रिश्तों के चलते उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और फिर शामिल नहीं किया गया। गौतम गंभीर भारत के धाकड़ बल्लेबाजों में से एक थे।
अम्बाती रायडू
अम्बाती रायडू पूर्व चयनकर्ता एमएसके प्रसाद की राजनीति में उलझ गए। भारतीय टीम में लगभग नम्बर चार की जगह पर स्थापित हो चुके रायडू को 2019 वर्ल्ड कप की टीम से बाहर कर दिया गया। एक ट्वीट उन्होंने इस मामले पर किया था। इसके बाद धवन चोटिल हुए तो उस ट्वीट को आधार बनाकर चयनकर्ताओं ने एक बार फिर रायडू को बाहर रखा। इससे दुखी होकर रायडू ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी।