विश्वकप में अपने देश के लिए खेलने का हर किसी खिलाड़ी का सपना होता है। कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें विश्वकप में कई बार खेलने का मौका मिलता है तो कुछेक को पूरे करियर के दौरान एक बार भी विश्वकप का हिस्सा बनने का मौका नहीं मिलता है। भारत के सचिन तेंदुलकर और पाकिस्तान के जावेद मियांदाद वो खिलाड़ी हैं, जो अपने करियर में सबसे ज्यादा छह बार विश्वकप खेले हैं। अब तक उनके रिकॉर्ड की कोई बराबरी नहीं कर पाया है। आज हम उन दो खिलाड़ियों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो 2003 में पहली बार विश्वकप का हिस्सा बने थे और उसके बाद से खेलते हुए अपना आखिरी 2019 का वर्ल्डकप खेल रहे हैं।
क्रिस गेल
2019 का विश्वकप वेस्टइंडीज के धुआंधार बल्लेबाज क्रिस गेल का आखिरी एकदिवसीय करियर का टूर्नामेंट है। विश्वकप खत्म होने के बाद वह अपने संन्यास की घोषणा कर देंगे। इस बारे में वह पहले ही मन बना चुके हैं। इस बार यह उनका रिकॉर्ड पांचवां विश्वकप है, जिसमें वह वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा हैं। बाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में 2003 में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, जो ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी कर सकता था। हालांकि, समय के साथ क्रिस गेल दुनिया के सबसे महान सलामी बल्लेबाज बन गए, जिनके सामने हर गेंदबाज गेंद फेंकने से डरता है। 39 साल का जमैका का यह खिलाड़ी जाते-जाते वेस्टइंडीज को फिर से विश्वकप की ट्रॉफी दिलवाना चाहता होगा।
मशरफे मोर्तजा
बांग्लादेश के मशरफे मोर्तजा ने 2003 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली बार युवा तेज गेंदबाज के रूप में करियर की शुरुआत की थी। 35 साल के हो चुके इस गेंदबाज का इस बार चौथा विश्वकप है। करियर के शुरुआत में वह सिर्फ एक गेंदबाज ही थे लेकिन धीरे-धीरे वह गेंदबाजी के साथ निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाजी के लिए भी पहचाने जाने लगे। हालांकि, पहले लगी चोटों ने मोर्तजा के करियर को आगे ले जाने में काफी मुश्किलें पैदा कीं। इस बार के अपने आखिरी विश्वकप में टीम की कप्तानी के साथ गेंदबाजी का दोहरा भार भी उनके कंधों पर है। वह आखिरी बार इस टूर्नामेंट में अपना प्रभाव छोड़ना चाहेंगे। 2015 में बांग्लादेश की टीम को टूर्नामेंट में काफी दूर तक ले जाने वाले इस गेंदबाज की कोशिश इस बार टीम को खिताब जिताने के साथ क्रिकेट को अलविदा लेनी की होगी।
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