विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के समापन के बाद अब भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ अगस्त में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। इस सीरीज की शुरुआत 4 अगस्त से होगी। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में मिली हार को भुलाकर अब कप्तान विराट कोहली की नजर इस अहम सीरीज पर होगी और इस सीरीज को जीतकर विराट एक बार फिर अपने आप को कप्तान के तौर पर साबित करना चाहेंगे। ऐसे में हमें इंग्लैंड के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में कुछ अहम बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं क्योंकि कई खिलाड़ी ऐसे रहे जो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के दौरान लगातार अच्छा करने में नाकामयाब रहे हैं।
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भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या उसका मध्यक्रम रहा है। अगर टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों को छोड़ दें तो मध्यक्रम के बल्लेबाज पूरी तरह से अच्छा करने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में विदेशों में भारतीय टीम की खराब बल्लेबाजी की समस्या को सुलझाने के लिए भारत अपने मध्यक्रम में इंग्लैंड के खिलाफ कुछ बदलाव कर सकता है। इंग्लैंड के खिलाफ भारत एक अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ जाए या फिर पुजारा या रहाणे में से किसी एक को बाहर बिठाकर किसी अन्य बल्लेबाज को मौका दें।
हालांकि ऐसे में जिन दो बल्लेबाजों को मौका मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद है, वो केएल राहुल और हनुमा विहारी हैं। दोनों ही खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली हैं और मध्यक्रम में आकर मजबूती प्रदान कर सकते हैं। हालांकि इन दोनों में से किसको पहले मौका दिया जाये, यह फैसला काफी कठिन होगा। हम अपने इस आर्टिकल में उन 2 कारणों का जिक्र करने जा रहे हैं, जिनकी वजह से हनुमा विहारी को राहुल से पहले मौका मिलना चाहिए।
2 कारण जिनकी वजह से इंग्लैंड के खिलाफ मध्यक्रम में केएल राहुल की जगह हनुमा विहारी एक बेहतर विकल्प हैं
#1 हनुमा विहारी को टेस्ट में मध्यक्रम में खेलने का अनुभव
हनुमा विहारी घरेलू क्रिकेट हो या फिर भारत के लिए टेस्ट प्रारूप, हर जगह उन्होंने ज्यादातर मौकों पर मध्यक्रम में ही बल्लेबाजी की और उन्हें अच्छा खासा अनुभव भी प्राप्त है। जबकि केएल राहुल ने वनडे में हाल ही में जरूर कुछ पारियां मध्यक्रम में खेली हैं लेकिन टेस्ट में उन्होंने मात्र एक ही बार मध्यक्रम में बल्लेबाजी की है। विहारी ने अपने टेस्ट करियर की 21 पारियों में से 19 पारियां मध्यक्रम में ही खेली हैं और इस दौरान उन्होंने 603 रन बनाये हैं। ऐसे में इंग्लैंड की कठिन परिस्थितियों में राहुल को मध्यक्रम में खिलाना एक अच्छा विकल्प नहीं होगा।
#2 हनुमा विहारी की तकनीक केएल राहुल के मुकाबले ज्यादा बेहतर
केएल राहुल एक बहुत ही आक्रामक टेस्ट बल्लेबाज रहे हैं, जो शुरू से ही विपक्षी गेंदबाजों पर हावी होना पसंद करते हैं। लेकिन विदेशी परिस्थितियों की परीक्षा में, उनकी आक्रामकता अक्सर उनपर हावी पड़ी है। राहुल शरीर से दूर गेंदों पर भी काफी ज्यादा मात्रा में शॉट खेलने की कोशिश करते हैं और टेस्ट में ये बात एक अच्छे बल्लेबाज की निशानी नहीं है।
दूसरी तरफ हनुमा विहारी गेंद को पास से खेलना पसंद करते हैं और वो जल्दी खराब शॉट नहीं लगाते। कमजोर गेंद का इन्तजार करते हैं तथा अपनी एकाग्रता जल्दी भंग नहीं होने देते। ये सभी चीज़े इंग्लैंड में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी हैं और इसीलिए विहारी एक बेहतर विकल्प हैं।