जहां तक टेस्ट क्रिकेट का सवाल है, भारतीय टीम विदेशी सरज़मीं पर हमेशा संघर्ष करती दिखी है, खासकर जहां परिस्थितियां गेंदबाज़ों को स्विंग, गति और उछाल में मदद करती हैं। 86 साल के टेस्ट इतिहास के बाद, अभी भी कई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो जिन तक टीम इंडिया पहुंच नहीं पाई है।
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में खेली गई टेस्ट श्रृंखला में जीत SENA (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों में उनकी छठी जीत थी।
इनमें तीन टेस्ट सीरीज भारत ने 2000 के बाद जीती हैं। तो आज हम जानेंगे 21वीं सदी में SENA देशों में टेस्ट सीरीज जीतने वाले 3 भारतीय कप्तानों के बारे में:
#3. राहुल द्रविड़ (इंग्लैंड में, 2007)
राहुल द्रविड़ ने अपनी कप्तानी में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ जीतकर एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की, इससे पहले अजीत वाडेकर ने 1970-71 में यह कारनामा किया था। इंग्लैंड के खिलाफ 1-0 से मिली टेस्ट जीत एकदिवसीय विश्व कप के निराशाजनक प्रदर्शन और 2007 में टी-20 विश्व कप की उल्लेखनीय जीत के बीच हुई थी।
इस सीरीज़ में भारत के पास एक शक्तिशाली तेज गेंदबाजी आक्रमण और शानदार बल्लेबाजी लाइनअप थी। पहले टेस्ट में इंग्लैंड के 298 के जवाब में भारत ने 201 रन बनाए थे। दूसरी पारी में, आरपी सिंह द्वारा ली गई पांच विकेटों की बदौलत इंग्लिश टीम सिर्फ 282 रनों पर ढेर हो गई और भारत को जीत के लिए 380 का लक्ष्य दिया। धोनी की शानदार बल्लेबाज़ी और फिर बारिश की वजह से यह मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
नॉटिंघम में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम पूरे आत्म-विश्वास के साथ मैदान पर उतरी। पहली पारी में भारतीय गेंदबाज़ों ने अनुशासित गेंदबाजी करते हुए इंग्लैंड को सिर्फ 198 रनों पर रोक दिया, जिसके जवाब में भारत ने 455 रन बनाए।
दूसरी पारी में ज़हीर खान के पांच विकेटों की बदौलत भारत को जीत के लिए सिर्फ 73 रनों का लक्ष्य मिला और कप्तान द्रविड़ के नेतृत्व वाली इस टीम ने सात विकेटों से यह मैच जीत लिया।
तीसरे टेस्ट में भारत ने अनिल कुंबले के शतक और धोनी के 92 रनों की बदौलत अपनी पहली पारी में 664 रनों का विशाल स्कोर बनाया और यह सुनिश्चित किया कि वह इस मैच को कम से कम हारें ना । इस मैच के ड्रॉ होने के बाद भारत ने यह टेस्ट सीरीज़ 1-0 से जीत ली। भारतीय टीम ने 21 साल बाद यह टेस्ट सीरीज़ जीती थी।
#2. एमएस धोनी (न्यूजीलैंड में, 2009)
21वीं सदी के पहले दशक को भारतीय क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है। उस समय टीम में सहवाग, गंभीर, द्रविड़, सचिन, वीवीएस लक्ष्मण और धोनी जैसे बल्लेबाज़ों की मौजूदगी विरोधों टीमों के लिए के लिए एक बुरा सपने जैसी होती थी।
साल 2009 में भारत ने न्यूजीलैंड का दौरा किया जहां उसे तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलनी थी। इस टेस्ट सीरीज़ मैच में भारतीय गेंदबाज़ों ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए मेज़बानों को 279 पर ढेर कर सचिन के शानदार शतक की बदौलत 520 रन बनाए। दूसरी पारी में हरभजन के छह विकेटों से भारत को जीत के लिए सिर्फ 39 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे भारत ने बिना कोई विकेट गंवाए हासिल कर लिया।
दूसरे टेस्ट में रॉस टेलर (151) और राइडर (201) के बीच हुई ज़बरदस्त साझेदारी की बदौलत मेज़बान टीम ने 619 रन बनाए और इसके जबाव में भारतीय टीम सिर्फ 305 रन ही बना सकी और उसे फॉलो-ऑन करने के लिए कहा गया। लेकन दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाज़ों ने पूरी ज़िम्मेदारी के साथ दो दिनों तक खेलते हुए चार विकेट के नुकसान पर 476 रन बनाए और मैच ड्रॉ कराने में सफल हुए।
तीसरे टेस्ट में भारत ने अपनी पहली पारी में 379 का स्कोर बनाया और जवाब में, न्यूज़ीलैंड की पूरी टीम सिर्फ 197 रन ही बना सकी। इसके बाद गंभीर के एक और शतक की बदौलत भारत ने 434/7 पर पारी घोषित कर दी। इसके जबाव में मेज़बान टीम 281/8 का स्कोर बनाकर इस मैच को ड्रॉ कराने में सफल रही। इस तरह से भारत ने 39 साल बाद न्यूजीलैंड में 1-0 से टेस्ट सीरीज़ जीती।
#1.विराट कोहली (ऑस्ट्रेलिया, 2018-19)
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में खेली गई टेस्ट सीरीज़ के शुरू होने से पहले भारत को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। अपने नियमित कप्तान स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के बिना खेल रही मेज़बान टीम भी भारत को हराने के लिए पुर-उम्मीद थी।
एडिलेड में पुजारा के शतक और गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत पहला टेस्ट जीतने के बाद भारतीय टीम पर्थ में बिना किसी विशेषज्ञ स्पिनर के साथ उतरी, जिसकी खामियजा उन्हें भुगतना पड़ा। मेज़बान टीम ने अपने स्पिनर नाथन लायन के शानदार प्रदर्शन की बदौलत यह टेस्ट जीतकर इस सीरीज़ में बराबरी कर ली।
इसके बाद मेलबोर्न में खेले गए तीसरे टेस्ट में मयंक अग्रवाल के शानदार अर्धशतक पुजारा के शतक की बदौलत भारत ने 443/7 पर अपनी पारी घोषित की। इसके जवाब में बुमराह के 6 विकेटों की बदौलत मेज़बान टीम सिर्फ 151 रनों पर ढेर हो गई। इसके बाद भारत ने 106/8 पर अपनी दूसरी पारी घोषित कर 398 रनों का लक्ष्य दिया। लेकिन पूरी ऑस्ट्रेलिआई टीम सिर्फ 261 रन ही बना सकी और भारत ने यह मैच 137 रनों से जीत लिया।
इसके बाद सिडनी में खेला गया अंतिम टेस्ट कम रौशनी और बारिश की वजह से पूरे पांच दिन खेला नहीं जा सका और इसके ड्रॉ होते ही भारतीय टीम ने 2-1 से यह टेस्ट सीरीज़ जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया को उसकी सरज़मीं पर हराने वाली पहली एशियाई टीम बन गई।