#2. एमएस धोनी (न्यूजीलैंड में, 2009)
21वीं सदी के पहले दशक को भारतीय क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है। उस समय टीम में सहवाग, गंभीर, द्रविड़, सचिन, वीवीएस लक्ष्मण और धोनी जैसे बल्लेबाज़ों की मौजूदगी विरोधों टीमों के लिए के लिए एक बुरा सपने जैसी होती थी।
साल 2009 में भारत ने न्यूजीलैंड का दौरा किया जहां उसे तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलनी थी। इस टेस्ट सीरीज़ मैच में भारतीय गेंदबाज़ों ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए मेज़बानों को 279 पर ढेर कर सचिन के शानदार शतक की बदौलत 520 रन बनाए। दूसरी पारी में हरभजन के छह विकेटों से भारत को जीत के लिए सिर्फ 39 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे भारत ने बिना कोई विकेट गंवाए हासिल कर लिया।
दूसरे टेस्ट में रॉस टेलर (151) और राइडर (201) के बीच हुई ज़बरदस्त साझेदारी की बदौलत मेज़बान टीम ने 619 रन बनाए और इसके जबाव में भारतीय टीम सिर्फ 305 रन ही बना सकी और उसे फॉलो-ऑन करने के लिए कहा गया। लेकन दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाज़ों ने पूरी ज़िम्मेदारी के साथ दो दिनों तक खेलते हुए चार विकेट के नुकसान पर 476 रन बनाए और मैच ड्रॉ कराने में सफल हुए।
तीसरे टेस्ट में भारत ने अपनी पहली पारी में 379 का स्कोर बनाया और जवाब में, न्यूज़ीलैंड की पूरी टीम सिर्फ 197 रन ही बना सकी। इसके बाद गंभीर के एक और शतक की बदौलत भारत ने 434/7 पर पारी घोषित कर दी। इसके जबाव में मेज़बान टीम 281/8 का स्कोर बनाकर इस मैच को ड्रॉ कराने में सफल रही। इस तरह से भारत ने 39 साल बाद न्यूजीलैंड में 1-0 से टेस्ट सीरीज़ जीती।