3 अभाग्यशाली भारतीय क्रिकेटर जिन्हें शानदार प्रदर्शन के बाद भी पर्याप्त वनडे मैच खेलने का मौका नहीं मिला

मनोज तिवारी
मनोज तिवारी

भारत में किसी अन्य खेल की अपेक्षा क्रिकेट को ही सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती हैं। यही कारण है कि देश का हर युवा अगर किसी खेल में अपना करियर तलाशता है, तो वह सबसे पहले क्रिकेट को ही पसंद करता है। इसी का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों में कई बेहतरीन क्रिकेटर उभरकर हमारे सामने आए हैं।

जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में काफी शानदार प्रदर्शन किया और अपनी प्रतिभा के बल पर ही भारतीय टीम की जर्सी भी प्राप्त की। इसमें कई बेहतरीन खिलाड़ियों का नाम शामिल है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया की बेहतरीन टीमों के खिलाफ प्रदर्शन करने का दबाव झेलना आसान बात नहीं है।

कुछ खिलाड़ी यह दबाव झेलने में सफल साबित हुए तो कुछ असफल होकर टीम से बाहर हो गए। वहीं कुछ ऐसे शानदार खिलाड़ी भी रहे, जिन्होंने अपने छोटे से करियर में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी उन्हें वनडे क्रिकेट में पर्याप्त मैच खेलने का अवसर ही नहीं मिला।

आज हम ऐसे ही तीन भारतीय क्रिकेटरों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं:

#3 मनोज तिवारी

मनोज तिवारी
मनोज तिवारी

घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले मनोज तिवारी ऐसे ही एक क्रिकेटर हैं, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वनडे मैच खेलने के पर्याप्त मौके नहीं मिले। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 50.35 की औसत से 8000 रन बनाए हैं, जिसमें 26 शतक भी शामिल हैं। उनके इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद केवल 12 वनडे मैचों में ही उन्हें खेलने का मौकै मिला और आगे भी टीम में उनकी वापसी का रास्ता आसान नहीं नजर आता।

33 वर्षीय इस क्रिकेटर को वनडे क्रिकेट में पर्याप्त अवसर नहीं मिले और घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड के बाद भी उन्हें टीम में जगह नहीं दी गई। उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग के कई सीजन में भी अपने आपको मध्यक्रम के एक मजबूत बल्लेबाज के रूप में पेश किया है।

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#2 फैज फजल

फैज फजल
फैज फजल

मनोज तिवारी की तरह ही फैज़ फज़ल के नाम भी घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड दर्ज हैं। फैज ने 2003 में क्रिकेट में करियर बनाने के बाद घरेलू क्रिकेट में 41.90 के शानदार औसत से 7837 प्रथम श्रेणी रन बनाए हैं। उनके इस बेहतरीन रिकॉर्ड के दम पर ही 2016 में जिम्बाब्वे के दौरे पर गई भारतीय टीम में उन्हें जगह दी गई।

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उन्होंने भी जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में अपने वनडे करियर की पहली पारी में नाबाद 55 रन बनाए। हालांकि इस प्रदर्शन के बाद भी वह चयनकर्ताओं को प्रभावित करने में नाकाम साबित हुए और घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी उन्हें टीम में जगह नहीं मिली और अब समय ऐसा आ गया है कि ज्यादातर क्रिकेट प्रशंसकों को उनका नाम भी नहीं याद होगा।

#1 गगन खोड़ा

गगन खोड़ा
गगन खोड़ा

गगन खोड़ा ने 1991-92 के दौरान रणजी ट्रॉफी खेलते हुए अपने पहले प्रथम श्रेणी मैच में ही शानदार शतक जड़ा था और इस शतक के साथ ही वह सभी की नजरों में आ गए थे। उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में ही यह उपलब्धि हासिल की थी।

इसके बाद खोड़ा को उनके शानदार प्रदर्शन का उपहार भी मिला और 1998 में हुई कोका-कोला सीरीज के लिए चुनी गई भारतीय वनडे क्रिकेट टीम में उन्हें शामिल किया गया। उन्होंने उस दौरान अपने दूसरे मैच में केन्या के खिलाफ 89 रन की मैच जिताऊ पारी खेली थी और इसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।

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हालांकि हैरानी की बात तो यह है कि इस सीरीज के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और फिर दोबारा कभी चयनकर्ताओं की नजर उन पर पड़ी ही नहीं। खोड़ा ने भारत के लिए खेले गए अपने दो एकदिवसीय मैचों में 57.50 की औसत से 115 रन बनाए थे।

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Edited by निशांत द्रविड़