टीम इंडिया ने हाल के वर्षों में क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में बड़ी सफलताएँ अर्जित की हैं। इस समय जहां भारत टेस्ट में अव्वल दर्ज़े की टीम है वहीं सीमित ओवर प्रारूपों में दूसरे नंबर पर है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई खिलाड़ियों ने अपना अहम योगदान दिया है। पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने वर्तमान कप्तान विराट कोहली को कई बड़े खिलाड़ी दिए हैं जो अब टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन विराट कोहली ने कप्तानी संभालने के बाद युवा खिलाड़ियों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया है।
इसके अलावा, उन्होंने खिलाड़ियों के फिटनेस स्तर को बहुत महत्व दिया है और अब राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए हर खिलाड़ी के लिए यो-यो टेस्ट को पास करना अनिवार्य बना दिया गया है।
इसके परिणामस्वरूप, कई दिग्गज क्रिकेटरों के लिए टीम में जगह बना पाना मुश्किल हुआ है। और तो और टीम में नए खिलाड़ियों को तरजीह दिए जाने से कई दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों का अंतर्राष्ट्रीय करियर भी ख़त्म होने के कगार पर है।
तो आइये एक नज़र डालते हैं ऐसे तीन क्रिकटरों पर:
#3. रविंद्र जडेजा
विराट कोहली और रविंद्र जडेजा दोनों 2008 में आईसीसी अंडर-19 विश्वकप में अपने शानदार प्रदर्शन से चर्चा में आये थे। इसके तुरंत बाद कोहली को तो टीम इंडिया में जगह मिल गई लेकिन जडेजा को अपने मौके के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत से ही उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन किया और क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में वह भारतीय टीम के नियमित खिलाड़ी बन गए। लेकिन समय के साथ-साथ उनका फॉर्म गिरता गया जिसकी वजह से विराट कोहली के कप्तानी संभालने के बाद वह टीम से अंदर-बाहर होते रहे। इसके अलावा, कोहली ने युवा क्रिकेटरों पर ध्यान केंद्रित किया, जिसकी वजह से आज भारत के पास युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव जैसे बेहतरीन स्पिनर हैं।
फिलहाल, जडेजा भारतीय टेस्ट टीम के नियमित खिलाड़ी माने जाते हैं और सीमित प्रारूपों में किसी अन्य खिलाड़ी के चोटिल होने पर ही उन्हें टीम में जगह मिल पाती है।
#2. युवराज सिंह
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में युवराज सिंह निस्संदेह सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक हैं। उन्होंने धोनी की कप्तानी में 2007 और 2011 में भारत को दो विश्व कप जिताने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी।
हालांकि, कैंसर से उबरने के बाद से युवराज रन बनाने के लिए संघर्ष करते नज़र आये हैं। उन्होंने भारतीय टीम के लिए जून 2017 में अपना आखिरी मैच खेला था। अपनी बढ़ती उम्र और खराब फॉर्म की वजह से युवराज अभी तक टीम में जगह नहीं बना पाए हैं।
युवराज ने 2000 में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की और अपने पहले ही मैच में शानदार 84 रन बनाकर उन्होंने अपने इरादे जता दिए थे। युवराज को टीम में लाने का श्रेय गांगुली को जाता है। इसके बाद धोनी की कप्तानी में उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लेकिन वर्तमान कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में उनका करियर पतन की ओर है।
इस बीच, अब विराट कोहली की कप्तानी में फिटनेस मानकों को अनिवार्य करने के बाद युवराज का करियर खत्म होने के कगार पर है।
#1. हरभजन सिंह
भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक रह चुके, टर्बनेटर हरभजन सिंह ने 2016 में भारतीय टीम के लिए अपना आखिरी मैच खेला था। हरभजन ने 90 के दशक के आखिर में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरूआत की थी और उनको टीम में लाने का श्रेय पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को जाता है। उन्होंने अभी तक 103 टेस्ट मैचों में 417 और 236 वनडे मैचों में 269 वनडे विकेट हासिल किये हैं।
भज्जी ने विश्व कप 2011 में नौ मैचों में सिर्फ नौ विकेट लिए थे, जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। हालांकि उसके बाद उन्होंने वापसी की लेकिन गिरती फिटनेस और खराब फॉर्म की वजह से वह पिछले लगभग दो सालों से टीम में जगह नहीं बना पाए हैं।
इस बीच, कप्तान कोहली के युवा खिलाड़ियों को तरजीह दिए जाने से यह मुमकिन नहीं लगता कि भज्जी दोबारा भारतीय टीम का हिस्सा बन पाएंगे।
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