भारतीय टीम (Indian Team) में लम्बे समय तक खेलने का सपना हर खिलाड़ी का होता है और यह कई बार पूरा होते हुए भी देखा गया है। टीम इंडिया में कुछ खिलाड़ियों ने लम्बे समय तक खेलकर वर्ल्ड क्रिकेट की विपक्षी टीमों को परेशान करने का काम किया था। अब भी स्थिति वही है लेकिन खेल के मानक बदले हैं। पहले फील्डिंग में बेहतर नहीं होने पर भी खिलाड़ी को टीम में लगातार खेलते हुए देखा जाता था लेकिन धीरे-धीरे इस प्रथा में परिवर्तन देखने को मिला और बड़े नाम होने के बाद भी खिलाड़ियों को फील्डिंग के कारण टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया।
भारतीय टीम में प्रदर्शन के आधार पर टीम से बाहर होने वाले खिलाड़ी कई रहे हैं लेकिन कुछ नाम ऐसे भी रहे हैं जिन्हें फील्डिंग के आधार पर टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। तीन अहम और बड़े नाम इस आर्टिकल में शामिल किये गए हैं जिन्हें खराब फील्डिंग के चलते टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
युवराज सिंह
इस भारतीय खिलाड़ी को एक समय फील्डिंग के लिए एक आदर्श खिलाड़ी माना जाता था। 2002 की चैम्पियंस ट्रॉफी में युवराज सिंह के पकड़े गए शानदार कैच कौन भूल सकता है। 300 से ज्यादा वनडे मैच और टी20 क्रिकेट में लगातार छह छक्कों का कीर्तिमान स्थापित करने वाले इस भारतीय खिलाड़ी को 2017 में वेस्टइंडीज दौरे के बाद टीम से बाहर कर दिया गया क्योंकि वह टीम के उच्च फील्डिंग मानकों के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे थे।
आशीष नेहरा
गेंदबाजी में आशीष नेहरा ने कई बार खुद को बेहतरीन तरीके से पेश करते हुए बड़ा नाम किया लेकिन समय के साथ फील्डिंग में वह लचर होते गए। वर्ल्ड कप 2011 में वह फील्डिंग में ख़ास नहीं कर पाए और मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मुकाबला उनका एकदिवसीय क्रिकेट में अंतिम मैच साबित हुआ। हालांकि टी20 क्रिकेट में वह खेले लेकिन लम्बे प्रारूप में उन्हें जगह नहीं मिली।
वीरेंदर सहवाग
करियर के शुरुआती एक दशक तक वीरेंदर सहवाग की फील्डिंग में खराबी नहीं थी लेकिन बाद में वह मैदान पर सुस्त नजर आने लगे। एक बार महेंद्र सिंह धोनी ने फील्डिंग में कुछ खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के लिए खुलकर बोला था। 2012 में ऑस्ट्रेलिया में सीबी त्रिकोणीय सीरीज का वह समय था। 2013 में फिर चयनकर्ताओं ने उनके ऊपर ध्यान नहीं दिया और इसका मुख्य कारण फील्डिंग था क्योंकि बल्ले से वह तब भी ताबड़तोड़ खेल दिखाने की क्षमता रखते थे।