3 प्रमुख कारणों से आरसीबी बुरे दौर से गुज़र रही है 

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क्रिकेट में एक कहावत है, "बल्लेबाज़ आपको मैच जिताते हैं जबकि गेंदबाज़ आपको टूर्नामेंट जिताते हैं।" दुर्भाग्यवश, पिछले दो सीज़न से आरसीबी के गेंदबाजों का प्रदर्शन तो औसत दर्जे का रहा ही है लेकिन उनके बल्लेबाज़ भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। हालाँकि, आईपीएल सीज़न 2016 में कप्तानी कोहली की टीम फाइनल तक पहुंची थी।

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर पिछले दो सीज़न में प्ले-ऑफ में जगह नहीं बना पाई है। 2017 में आरसीबी अंक-तालिका में सबसे निचले स्थान पर रही थी वहीं 2018 में बैंगलोर टीम छठे स्थान पर रही थी। टीम में विराट कोहली, एबी डीविलियर्स और ब्रेंडन मैकलम जैसे धाकड़ बल्लेबाज़ों के होते हुए भी टीम अभी तक एक भी आईपीएल ट्रॉफी जीत नहीं पाई है जो कि काफी दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

तो आइये तीन प्रमुख कारणों पर नज़र डालें जिनकी वजह से आरसीबी बुरे दौर से गुज़र रही है

1. विराट कोहली और एबी डीविलियर्स पर अधिक निर्भरता

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पिछले कुछ वर्षों से, आरसीबी विराट कोहली और एबी डीविलियर्स पर अधिक निर्भर रही है। पूरी टीम की बल्लेबाज़ी इन दोनों पर निर्भर करती है, जब भी ये दोनों खिलाड़ी क्रीज़ पर होते हैं इनसे टीम को संकट से उबारकर जीत दिलाने की उम्मीद की जाती है।

पिछले कुछ सालों से हमने देखा है कि टीम की जीत या हार इन्हीं दो बल्लेबाज़ों पर निर्भर करती है। आईपीएल सीज़न 2016 में दोनों का बल्ला खूब चला था जिसकी वजह से आरसीबी ने फाइनल तक का सफर तय किया था और इसके अगले दो सत्रों में दोनों का बल्ला खामोश रहा, नतीजतन टीम प्ले-ऑफ में भी जगह नहीं बना पाई।

आरसीबी की बल्लेबाज़ी कागज़ों पर सभी टीमों से ज़्यादा मजबूत लगती है। पिछले सीज़न में टीम में विराट कोहली, एबी डीविलियर्स, ब्रेंडन मैकलम और डी कॉक जैसे दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज़ होने के बावजूद टीम प्ले-ऑफ में जगह नहीं बना पाई। इन चारों दिग्गज बल्लेबाज़ों में से सिर्फ विराट कोहली ही पिछले सीज़न के टॉप 10 बल्लेबाजों की सूची में जगह बना पाए थे।

ऐसे में अगर अगले सीज़न में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को अच्छा प्रदर्शन करना है तो इन दो बल्लेबाज़ों पर निर्भरता कम करनी होगी।

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2 . टीम प्रबंधन की नाकामी

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आरसीबी का टीम चयन काफी काफी अनिमित रहा है। इंग्लैंड के गेंदबाज़ी आलराउंडर क्रिस वोक्स को कम मौका देना भी एक गलत फैसला साबित हुआ। पिछले सीज़न में हालाँकि उन्होंने बल्ले से कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया लेकिन गेंदबाज़ी में उन्होंने 5 मैचों में 8 विकेट लिए थे। ऐसे में उनके प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ करना सही फैसला नहीं था।

इसके अलावा आईपीएल 2018 में बैंगलोर टीम प्रबंधन ने लगभग हर मैच में टीम में बदलाव किया जिसकी वजह से कोई भी खिलाड़ी अपना नैसर्गिक खेल नहीं खेल पाया। न्यूज़ीलैंड के विस्फोटक बल्लेबाज़ मैकलम को लचर प्रदर्शन करने के बावजूद टीम में रखा गया। उन्होंने 6 मैचों में 21 की औसत से सिर्फ 127 रन बनाए।

वहीं दबाव में गेंदबाज़ों ने भी सही लाइन और लेंथ से गेंदबाज़ी नहीं की। पिछले सीज़न में युजवेंद्र चहल और उमेश यादव के अलावा कोई भी गेंदबाज़ उम्मीद ने मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया। आरसीबी की तरफ से सिर्फ उमेश यादव ही टॉप 10 गेंदबाज़ों में जगह बना पाए थे। उन्होंने 10 मैचों में 14 विकेट लिए थे।

3. कमज़ोर फील्डिंग

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जैसा कि कहते हैं, "कैच आपको मैच जिताते हैं"। खेल के सबसे छोटे प्रारूप में तो फील्डिंग और भी ज़्यादा अहम होती है क्यूंकि मैच में छोड़ा गया एक कैच पूरे मैच की दिशा बदल सकता है। लेकिन रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की फील्डिंग कम से कम पिछले दो सत्रों से बहुत ही औसत दर्जे की रही है। जहां बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया वहीं टीम को सबसे ज़्यादा नुकसान क्षेत्ररक्षकों की वजह से हुआ।

आरसीबी के खिलाडियों ने 'करो या मरो' के मैचों में बेहद कमज़ोर फील्डिंग की जिसका खामियजा पूरी टीम को भुगतना पड़ा। ऐसे में कप्तान कोहली अगले सीज़न के लिए टीम में औसत प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को बाहर बैठाना पसंद करेंगे।

लगातार दो सत्रों में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली बैंगलोर टीम अगले महीने होने वाली आईपीएल नीलामी में कुछ नए चेहरों को टीम में शामिल कर सकती है, वहीं मौजूदा टीम में कुछ बड़े खिलाड़ियों को रिलीज़ किया जा सकता है।

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