2019 विश्वकप में अब लगभग 7 महीनों का समय बाकी है और सभी टीमों ने अपनी तैयारी तेज कर रखी है। विश्वकप जीतने की सबसे प्रबल दावेदार में से एक भारतीय टीम इस समय काफी मजबूत नजर आ रही है। बल्लेबाजी में जहां कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन के ऊपर टीम काफी निर्भर करने वाली है, तो दूसरी तरफ गेंदबाजी में भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और रिस्ट स्पिनर्स पर काफी जिम्मेदारी होने वाली है।
हालांकि अभी भी भारतीय टीम में कुछ कमजोरी है, जिनके ऊपर काम करने की सख्त जरूरत है। टीम का मध्यक्रम अभी भी कप्तान और टीम मैनेजमेंट के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भले ही अंबाती रायडू इस समय रेस में सबसे आगे चल रहे हैं, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जिन्हें टीम मौका दे सकती है।
आइए नजर डालते हैं उन 3 खिलाड़ियों पर जिन्हें विश्वकप से पहले भारतीय टीम में मौका दिया जाना चाहिए:
1) गौतम गंभीर
काफी समय से भारतीय टीम से बाहर चल रहे गौतम गंभीर लगातार घरेलू क्रिकेट में रन बना रहे हैं, लेकिन अभी भी उन्हें अपनी वापसी का इंतजार है। हाल ही में समाप्त हुए विजय हजारे ट्रॉफी में भी गौतम गंभीर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर रहे। गंभीर ने 10 मैचों की 10 पारियों में 51.80 की औसत से 518 रन बनाए, जिसमें दो शतक शामिल हैं। इस बीच उनका स्ट्राइक रेट भी 110.44 का रहा।
भले ही इस समय रोहित शर्मा और शिखर धवन भारत को अच्छी शुरूआत दिला रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि गंभीर से पारी की शुरूआत ही कराई जाए। गंभीर टॉप 4 में किसी भी जगह पर खेल सकते हैं। साल 2011 विश्वकप में गंभीर ने ज्यादातर मुकाबलों में तीन नंबर पर बल्लेबाजी की थी। हालांकि मौजूदा टीम में कप्तान कोहली तीन नंबर पर खेलते हैं, लेकिन गंभीर को 4 नंबर पर मौका दिया जा सकता है।
गंभीर ने घरेलू क्रिकेट में मध्यक्रम में बल्लेबाजी भी की है। इस बीच उनका अनुभव टीम के काम आ सकता है और साथ ही में उनके रहने से मध्यक्रम में टीम को एक बाएं हाथ का बल्लेबाज भी मिल जाएगा।
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2) श्रेयस अय्यर
पिछले साल भारत के लिए डेब्यू करने वाले श्रेयस अय्यर का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। भारत के लिए खेले 6 मैचों की 5 पारियों में अय्यर ने 42 की औसत से 210 रन बनाए हैं, जिसमें उनके नाम दो अर्धशतक भी दर्ज हैं। इस बीच उनका स्ट्राइक रेट भी 96 से ऊपर का है, जोकि एक मध्यक्रम के बल्लेबाज के लिए काफी अच्छा माना जा सकता है। अय्यर को अबतक जितने भी मौके मिले हैं, उन्होंने अच्छा ही किया है।
हालांकि फिर भी टीम मैनेजमेंट द्वारा उनके ऊपर इतना आत्मविश्वास नहीं दिखाया गया है। शायद इसी वजह से अय्यर को पहले एशिया कप और अब वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में भी मौका नहीं दिया गया है। अय्यर ने हार नहीं मानी है और वो घरेलू टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है।
विजय हजारे ट्रॉफी में अय्यर ने 7 मैचों की 6 पारियों में 93.25 की औसत से 373 रन बनाए, जिसमें दो शतक शामिल हैं। उनकी फॉर्म को देखते हुए मध्यक्रम के लिए अय्यर को एक बार फिर मौका जरूर मिलना चाहिए।
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3) मनोज तिवारी
मनोज तिवारी एक ऐसे खिलाड़ी, जिनका प्रदर्शन घरेलू क्रिकेट में हमेशा से ही काफी शानदार रहा है, लेकिन जब बात भारतीय टीम में चयन की आती है तो उनके हाथ निराशा ही लगती है। इसके बावजूद घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है और अब वो गेंद के साथ भी अपना योगदान देते हैं।
विजय हजारे ट्रॉफी में मनोज तिवारी ने 9 मैचों की 9 पारियों में 52.28 की औसत से 366 रन बनाए, जिसमें 4 अर्धशतक शामिल हैं। इसके अलावा देवधर ट्रॉफी में अबतक खेले दो मुकाबलों में तिवारी ने 68 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतकीय पारी भी शामिल हैं और साथ ही में 3 विकेट भी चटकाए।
निचले क्रम में अभी केदार जाधव भारत के लिए अहम किरदार निभा रहे हैं, लेकिन वो हाल के समय में काफी चोटिल हो रहे हैं। इसी को देखते हुए भारतीय टीम उनके विकल्प के तौर पर तिवारी को मौका दे सकती है और तिवारी एक बेहतर फील्डर भी हैं, जो विश्वकप में भारत के लिए काफी काम आ सकते हैं।
स्पेशल मेंशन: युवराज सिंह
भारतीय वनडे टीम के महानतम बल्लेबाजों में से एक युवराज सिंह का विकल्प अभी तक भारत को नहीं मिल पाया। युवी को टीम से ड्रॉप किए जाने के बाद कई खिलाड़ियों को उनकी जगह मौका दिया जा चुका है, लेकिन कोई भी बल्लेबाज अभी जगह पक्की नहीं कर पाया है।
शायद इसी वजह से युवराज सिंह के लिए वापसी की उम्मीद बाकी है। युवी एक बड़े मैच के खिलाड़ी है और उन्हें अहम मौकों पर अच्छा प्रदर्शन करना आता है। 2007 टी20 विश्वकप और 2011 विश्वकप में उनके योगदान को कौन भूल सकता है। इसके अलावा युवी इस समय फॉर्म में भी हैं और पहले से फिट भी नजर आ रहे हैं।
हालांकि चयनकर्ताओं के रुख को देखते हुए युवराज की वापसी की उम्मीद कम ही है, लेकिन युवी को हमेशा ही कमबैक के लिए जाना जाता है और विश्वकप में जीत के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई के बारे में जरूर सोच रहे होंगे।
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