पृथ्वी शॉ भारत के एक युवा उभरते हुए आक्रामक ओपनर बल्लेबाज हैं। इस युवा खिलाड़ी को न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में मौका दिया गया है। दरअसल, शिखर धवन चोटिल के होने के चलते पृथ्वी शॉ भारतीय वनडे टीम में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो पाए हैं।
पृथ्वी शॉ भारत के लिए 2 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। अपने डेब्यू टेस्ट में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक शानदार शतक लगाया था। साथ ही वह 2018 में खेली गई इस टेस्ट सीरीज में 'मैन ऑफ़ द सीरीज' बने थे।
टेस्ट क्रिकेट की तरह वनडे क्रिकेट की भी अपनी पहली सीरीज में वो धमाल मचाना चाहेंगे। आज हम उन 3 कारणों पर बात करने वाले हैं, जिसके चलते शिखर धवन के चोटिल होने के बाद अन्य खिलाड़ियों से पहले पृथ्वी शॉ को भारत की वनडे टीम में चुना गया है।
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1-पृथ्वी शॉ का मौजूदा फॉर्म
पृथ्वी शॉ का मौजूदा फॉर्म काफी अच्छा है। उन्होंने रविवार को ही न्यूजीलैंड इलेवन के खिलाफ एक अभ्यास मैच में इंडिया ए के लिए खेलते हुए 100 गेंदों पर 150 रन का तूफानी शतक बनाया था। अपने इस शतक के दौरान उन्होंने 22 चौके और 2 छक्के भी लगाए थे।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी उन्होंने मुंबई के लिए शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने कुछ महीने पहले खेले गए सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के 5 मैचों में 48 की शानदार औसत और 170.21 के शानदार स्ट्राइक रेट के साथ कुल 240 रन बनाए थे। उनकी इस मौजूदा शानदार फॉर्म को देखते हुए ही भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने शिखर धवन के चोटिल होने के बाद पृथ्वी शॉ पर अपना भरोसा जताया है।
2-शानदार लिस्ट ए और आईपीएल करियर
पृथ्वी शॉ का लिस्ट ए करियर भी अब तक शानदार रहा है, साथ ही उन्होंने आईपीएल में भी अपनी प्रतिभा का नमूना कई बार पेश किया है।
पृथ्वी शॉ ने अपने लिस्ट ए करियर के 28 मैचों की 28 पारियों में 44.39 की शानदार औसत के साथ कुल 1243 रन बनाए हैं। वह 4 शतक और 6 अर्धशतक अपने लिस्ट ए करियर में लगा चुके हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 118.49 का रहा है। आईपीएल में भी वह 141.03 के शानदार स्ट्राइक रेट से अब तक कुल 598 रन बना चुके हैं।
3-भारतीय वनडे क्रिकेट का भविष्य
भारतीय वनडे क्रिकेट के भविष्य को देखते हुए भी पृथ्वी शॉ को मौका दिया गया है। दरअसल, शिखर धवन की उम्र 34 साल के करीब हो चुकी है और उनकी फिटनेस भी बहुत अच्छी नहीं रहती है। ऐसे में शिखर धवन शायद 2-3 साल ही और खेलेंगे।
अगर अभी से पृथ्वी शॉ को वनडे क्रिकेट के कुछ मैचों में ओपनिंग का अनुभव दिया जाए, तो यह भविष्य में भारतीय क्रिकेट के लिए काफी बेहतर होगा।