सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ चेन्नई सुपरकिंग्स ने इस बार मजबूत रणनीति के तहत गेम खेला और जीत भी हासिल की। सनराइजर्स हैदराबाद की टीम रणनीति के मामले में चेन्नई सुपरकिंग्स से पीछे नजर आई। चेन्नई सुपरकिंग्स ने इसके साथ ही आईपीएल में तीसरी जीत हासिल की। सनराइजर्स हैदराबाद की टीम के सामने बड़ा लक्ष्य भी नहीं था लेकिन चेन्नई सुपरकिंग्स के गेंदबाजों ने 167 रनों के स्कोर का बचाव बखूबी किया। चेन्नई सुपरकिंग्स से ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद फैन्स कर रहे थे और टीम अपने फैन्स की उम्मीदों पर खरा उतरी।
सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने गेंदबाजी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन इसके अलावा उनका खेल बाकी विभागों में बेह्तरे नजर नहीं आया। डेविड वॉर्नर मैदान पर अपनी योजनाओं का निष्पादन करने में सफल नहीं रहे और नतीजा उन्हें हार के रूप में भुगतना पड़ा। कड़ा मुकाबला होने के कयास लगाए गए थे, वह भी नहीं हो पाया। चेन्नई सुपरकिंग्स ने हर क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किया और 20 रन से मैच जीतकर ही दम लिया। इस आर्टिकल में सनराइजर्स हैदराबाद की हार के तीन कारणों के बारे में बताया गया है।
सनराइजर्स हैदराबाद की हार के 3 कारण
बल्लेबाजी में चेन्नई का सामूहिक प्रयास
चेन्नई सुपरकिंग्स की बल्लेबाजी के दौरान उनका पहला विकेट 10 रन पर गिरा था लेकिन सभी बल्लेबाजों ने थोड़ा-थोड़ा योगदान देते हुए एक सामूहिक प्रयास किया और यह रंग लाया। इन प्रयासों के कारण चेन्नई सुपरकिंग्स ने एक चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा कर हैदराबाद को मुकाबले में नहीं आने दिया।
महेंद्र सिंह धोनी का सही बल्लेबाजी क्रम
धोनी ने इस बार ज्यादा प्रयोग नहीं करते हुए बल्लेबाजी क्रम का सही चयन किया। खुद भी रविन्द्र जडेजा से पहले खेलने के लिए गए और एक छोटी लेकिन उपयोगी पारी खेली। जडेजा ने भी उनके साथ थोड़े रन बनाए। धोनी से पहले खेलने वाले बल्लेबाजों ने भी उपयुक्त योगदान दिया।
सनराइजर्स हैदराबाद की फ्लॉप बल्लेबाजी
शुरू से ही सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज ऐसे आउट हो रहे थे जैसे किसी बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए दबाव में हों। सिर्फ केन विलियमसन ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज थे जिन्होंने क्रीज पर रूककर रन बनाए और अपनी तरफ से प्रयास करते हुए अर्धशतक बनाया लेकिन अकेले 168 रन का स्कोर वह नहीं बना सकते थे। बाकी बल्लेबाजों ने उपयोगी योगदान नहीं दिया और जिम्मेदारी से बल्लेबाजी नहीं की।