जब से यह पता चला कि सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष बनेंगे, उनसे सबसे ज्यादा बार पूछे गए सवालों में से एक सवाल महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य के बारे में था। इसपर गांगुली ने कहा कि वे धोनी और चयनकर्ताओं दोनों से बात करेंगे ताकि आगे का रास्ता निकल सके।
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विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल में भारत के बाहर होने के बाद से धोनी ने एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है। उन्होंने वेस्टइंडीज दौरा और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू श्रृंखला छोड़ दी। इसके अलावा, हाल की रिपोर्टों के अनुसार वे नवंबर तक चयन के लिए उपलब्ध भी नहीं रहेंगे।
खेल से दूर अपने समय के दौरान धोनी ने भारतीय सेना की सेवा में दो सप्ताह बिताए। धोनी के भविष्य को लेकर सस्पेंस जारी है, ऐसे में आइये देखें वो चार कारण कि क्यों पूर्व भारतीय कप्तान को संन्यास ले लेना चाहिए:
4. धोनी अब अपने चरम पर नही हैं
धोनी ने आखिरी बार 2019 विश्व कप के दौरान न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत के लिए कोई मैच खेल था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि धोनी अपने खेल के चरम पर नहीं हैं। यह बात विश्व कप 2019 से पहले भी स्पष्ट थी। लेकिन धोनी के अनुभव और परिपक्वता को ध्यान में रखते हुए टीम में चुना गया।
हालांकि धोनी विश्व कप सेमीफाइनल को छोड़कर कोई अच्छा प्रदर्शन नही कर पाए थे। टूर्नामेंट में उनकी विकेटकीपिंग भी अच्छी नहीं रही थी और उन्होंने सबसे ज्यादा बाई के रन दिए थे।
वनडे क्रिकेट में धोनी की कुल स्ट्राइक रेट 87.56 है लेकिन जनवरी 2018 से यह गिरकर 78.54 हो गई है। भले ही इस अवधि के दौरान उनका 41.66 का औसत अच्छा हो लेकिन यह उनकी करियर की औसत 50.57 से काफी कम है।
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