भारत ने बर्मिंघम में खेले गए पहले टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा था। यह एक काफी दिलचस्प मैच था और दोनों टीमों में कांटे की टक्कर हुई लेकिन अंत में इंग्लैंड ने 31 रन से मैच जीत लिया। दुनिया की नंबर 1 टीम ने हालाँकि अपेक्षा अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया। इस टेस्ट सीरीज़ में भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया है। भारतीय बल्लेबाजों को इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के आगे संघर्ष करना पड़ा है। दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम दोनों पारियों में केवल 82.2 ओवर ही बल्लेबाज़ी कर पाई। इन दोनों पारियों में उन्होंने 107 और 130 रन बनाये। दूसरी तरफ इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 396/7 रन बनाए। ऐसे में तीसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया के लिए बल्लेबाज़ी चिंता का विषय होगी। तो आइये भारत की बल्लेबाजी लाइनअप की इस विफलता के पीछे के प्रमुख कारणों पर एक नज़र डालते हैं:
भारतीय बल्लेबाजों में आत्मविश्वास की कमी
बल्लेबाजी अच्छी तकनीक और आत्मविश्वास का संयोजन होती है। भारतीय टीम में कुछ बल्लेबाज़ ऐसे हैं जो खुद को परिस्थियों के अनुरूप ढालने में विफल रहे हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जिनके पास तकनीक नहीं है लेकिन फिर भी वह आत्म-विश्वास के बूते अच्छा प्रदर्शन करते आए हैं। इसके नतीजे के तौर पर खिलाड़ियों ने खराब शॉट्स खेलकर अपने विकेट गंवाए हैं। यह मैच अभ्यास की कमी के कारण हो सकता है। यहां तक कि विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आप हर बार जीत नहीं सकते लेकिन आपको विदेशी दौरों पर मेज़बान टीम को कड़ी चुनौती पेश करने की ज़रूरत होती है।
टीम में लगातार बदलाव
भारतीय टीम जब भी टेस्ट मैच खेलने के लिए मैदान में उतरती है, उससे पहले टीम की अंतिम एकादश की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल होता है। इस टीम ने अब 30 से अधिक मैचों में कभी भी एक ही टीम के साथ नहीं खेले हैं। इससे विराट की कप्तानी पर भी सवाल उठे हैं। टीम में ज्यादातर खिलाड़ियों में अनुभव की कमी है, लेकिन हर मैच में टीम में बदलाव होंगे, तो यह न ही टीम के लिए अच्छा होगा ना ही खिलाड़ियों के लिए।
एक खिलाड़ी हमेशा मैदान पर खेलना चाहता है, न कि ड्रेसिंग रूम में।धवन, रहाणे, भुवनेश्वर कुमार, करुण नायर (300 रन बनाने के बाद बाहर बैठाए गए) और रोहित शर्मा को टीम संयोजन के नाम पर टीम से बाहर बैठा दिया जाता है, तो हर खिलाड़ी के दिमाग में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है। खिलाड़ियों को टीम में लगातार मौका दिया जाना चाहिए।
इंग्लैंड के हालात
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय बल्लेबाजों का स्विंग होती हुई गेंद के सामने हमेशा संघर्ष करना पड़ता है और ऐसा इस सीरीज में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है। हालाँकि दोनों ही टीमों के लिए बल्लेबाज़ी आसान नहीं रही लेकिन इंग्लिश बल्लेबाज़ों ने भारतीय गेंदबाज़ी को बेहतर तरीके से खेला है। दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन और कुछ हद तक पहले टेस्ट के पहले दिन को छोड़कर इस श्रृंखला में बल्लेबाजी करना आसान नहीं रहा है। गेंदबाज़ों की मददगार इंग्लैंड की पिचों पर स्विंग, सीम और कई बार अनियमित उछाल ने बल्लेबाज़ों को खूब परेशान किया है।
इंग्लिश गेंदबाज़ों की शानदार गेंदबाजी
इस श्रृंखला के पहले 2 मैचों के दौरान इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की है। बर्मिंघम में पहली पारी में ब्रॉड को छोड़कर सभी तेज़ गेंदबाज़ों ने शानदार गेंबाज़ी की। उन्होंने सही दिशा, लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाज़ी की, इसके अलावा पिच से भी मदद मिलने के कारण उनकी गेंदबाज़ी और ज़्यादा घातक साबित हुई। मेज़बान टीम के प्रयास की बदौलत ही वे इस श्रृंखला में 2-0 से आगे हैं। एक तरफ जहां उन्होंने ज़बरदस्त गेंदबाज़ी की है, वहीं बल्लेबाज़ी में भी इंग्लिश बल्लेबाज़ों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके खेल में कोई नहीं कमजोर कड़ी नहीं रही, जिससे भारतीय टीम को फायदा मिल पाता। लेखक: अंकित वर्मा अनुवादक: आशीष कुमार