2018 में विराट कोहली द्वारा कप्तान के तौर पर की गई 5 बड़ी गलतियां

Virat Kohli

विराट कोहली भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल कप्तानों में से एक बन गए हैं। 2014 में एमएस धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें पहली बार भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था।

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कोहली ने अपनी कप्तानी की शुरुआत 2015 में श्रीलंका में 2-1 से टेस्ट सीरीज़ जीत कर की और उसी साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3-0 से क्लीन स्वीप करने वाली भारतीय टीम का नेतृत्व किया।

उनकी कप्तानी में, भारतीय टीम ने घर में न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में जीत दर्ज की और 2018 में दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीतने वाले वह पहले एशियाई कप्तान बने। हालांकि, भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज हार गई थी।

दिल्ली में जन्मे इस खिलाड़ी ने कप्तान के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन उन्होंने कुछ ऐसे फैसले भी लिए हैं, जिनसे उनकी आलोचना हुई है। इस लेख में हम नज़र डालेंगे विराट कोहली द्वारा इस साल लिए गए पांच आश्चर्यजनक निर्णयों पर:

#5. सेंचुरियन टेस्ट से भुवनेश्वर कुमार को ड्रॉप करना

Bhuvneshwar Kumar

भुवनेश्वर कुमार उन चुनिंदा तेज़ गेंदबाजों में से एक हैं जो गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा सकते हैं। भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान पहले टेस्ट में भुवनेश्वर को अंतिम एकादश में शामिल किया गया था क्यूँकि पिच तेज गेंदबाजों के अनुकूल थी।

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इसमें दाएं हाथ के पेसर ने प्रभावशाली गेंदबाज़ी की और दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष क्रम को अपनी स्विंग से काफी परेशान किया, उन्होंने पहली और दूसरी पारी में क्रमशः 4 और 2 विकेट झटके थे। इसके अलावा उन्होंने बल्ले से भी योगदान दिया और पहली और दूसरी पारी में क्रमशः 25 और 13 रन बनाए।

हालाँकि, भुवनेश्वर कुमार का यह हरफनमौला प्रदर्शन व्यर्थ चला गया और मेज़बानों ने यह मैच 75 रनों से जीतकर सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल बना ली।

लेकिन पहले टेस्ट में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद, भुवनेश्वर को दूसरे टेस्ट में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टीम से बाहर बैठा दिया। परिणामस्वरूप, भारत दूसरे टेस्ट के साथ-साथ टेस्ट सीरीज़ भी हार गया।

#4. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों में अजिंक्य रहाणे को ड्राप करना

Ajinkya Rahane

अजिंक्य रहाणे क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज़ों में से हैं, खासकर विदेशी परिस्थितियों में। लेकिन, उन्हें 2018 की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टीम में शामिल करना ज़रूरी नहीं समझा।

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भारतीय टीम में रोहित शर्मा को रहाणे की जगह प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। हालाँकि, यह फैसला गलत साबित हुआ क्यूंकि रोहित इस टेस्ट की अपनी दोनों पारियों में क्रमशः 11 और 10 रन ही बना सके।

कोहली ने दूसरे टेस्ट में भी यही गलती की और भारत को इस टेस्ट में भी हार का सामना करना पड़ा। तीसरे और अंतिम टेस्ट में आख़िरकार रहाणे को टीम में शामिल किया गया और उन्होंने 48 रन बनाकर भारतीय टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्यूंकि भारत यह सीरीज़ 1-2 से हार गया था।

#3. एजबेस्टन टेस्ट से पुजारा को बाहर रखना

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वर्तमान भारतीय टीम में चेतेश्वर पुजारा निःसंदेह टेस्ट प्रारूप के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं और उन्होंने निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया है। इस समय वह भारतीय टेस्ट टीम की 'रीढ़ की हड्डी' माने जाते हैं।

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हालांकि, सौराष्ट्र के बल्लेबाज़ को कप्तान कोहली ने इंग्लैंड दौरे पर एजबेस्टन में खेले गए पहले टेस्ट में नजरअंदाज़ कर दिया। उनकी जगह केएल राहुल को नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया लेकिन वह उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए और अपनी दोनों पारियों में फ्लॉप रहे।

इसके बाद भारतीय टीम प्रबंधन को अपनी गलती का एहसास किया और उन्होंने आगामी चार टेस्ट मैचों में पुजारा को अंतिम एकादश में जगह दी और उन्होंने इन 4 टेस्ट मैचों में लगभग 40 की औसत से 278 रन बनाए। हालाँकि, भारत यह टेस्ट सीरीज़ 1-4 से हार गया था।

बहरहाल, वर्तमान में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेली जा रही टेस्ट सीरीज़ में पुजारा बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।

#2. लॉर्ड्स टेस्ट में कुलदीप यादव को चुनना

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इस साल भारत के इंग्लैंड दौरे में पाँच मैचों की रोमांचक टेस्ट खेली गई थी। पहले टेस्ट में मिली हार के बाद भारतीय टीम लॉर्ड्स में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट में हर हाल में जीतना चाहती थी। खेल की शुरुआत से पहले, पिच रिपोर्ट थी कि यह तेज़ गेंदबाज़ों के लिए मददगार साबित होगी लेकिन टीम प्रबंधन ने इसके बावजूद दो स्पिनरों के साथ उतरने को तरजीह दी।

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भारतीय कप्तान कोहली ने रविचंद्रन अश्विन और कुलदीप यादव को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया, लेकिन यह फैसला एकदम गलत साबित हुआ क्यूँकि दोनों स्पिनरों में से कोई भी विकेट नहीं ले सका। बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप ने 9 ओवर फेंके और लगभग पांच की इकॉनमी रेट से रन दिए।

वहीं इंग्लैंड के प्रमुख तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने इस मैच में 9 विकेट झटके और मेज़बान टीम ने लॉर्ड्स में भारत को एक पारी और 159 रनों से हराया। इस टेस्ट के बाद कुलदीप को टीम से बाहर कर दिया गया।

#1. पर्थ टेस्ट में किसी स्पिनर को ना चुनना

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14 दिसंबर 2018 को भारतीय कप्तान ने एक ऐसा निर्णय लिया जिसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। भारतीय टीम प्रबंधन एक बार फिर पिच को पढ़ने में नाकाम रहा और कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेले गए दूसरे टेस्ट में किसी भी स्पिनर को प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी। संभवतः इसका कारण था पर्थ की हरी पिच।

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भारतीय तेज गेंदबाजों खासकर जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी ने शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन मैच के अंतिम दो दिनों में जब पिच धीमी हो जाती है, वे कोई कारनामा नहीं दिखा पाए। उस समय टीम को एक बेहतरीन स्पिनर की कमी ज़रूर ख़ली होगी।

वहीं ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लियोन ने पहली पारी में 5 और दूसरी में 4 विकेट झटके। हनुमा विहारी, जो भारतीय लाइन-अप में एकमात्र स्पिनर थे, ने पहली पारी में दो विकेट लिए थे। हालाँकि, यह काफी नहीं था और ऑस्ट्रेलिया ने बड़ी आसानी से यह मैच जीत लिया।

अगर कप्तान कोहली ने आश्विन या जडेजा में से किसी एक को मौका दिया होता तो शायद परिणाम भारत के पक्ष में होता।

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Edited by सावन गुप्ता
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