क्रिकेट की दुनिया में 5 ऐसे बड़े टेस्ट क्रिकेटर हैं, जिन्होने अपने करियर में जहां भी क्रिकेट खेला हैं, वहाँ जाकर रन बनाए हैं
यह ऐसे बल्लेबाज़ हैं, जिन्हें कभी इस बात से फर्क नहीं पड़ा कि उनके सामने कौन सा गेंदबाज हैं, या फिर कैसी भी कंडीशन हो, उनके प्रदर्शन में कभी कोई फर्क नहीं आया और उनहोंने क्रिकेट के बड़े फॉर्मेट में हमेशा रन बनाए हैं। हालांकि कुछ ग्राउंड ऐसे भी हैं, जहां यह खिलाड़ी रन नहीं बना सके
नज़र डालते हैं 5 ऐसे ग्राउंड्स पर
5) ब्रायन लारा- द गाबा, ब्रिस्बेन
ब्रायन लारा बीते दशक के शानदार बल्लेबाजों में से एक हैं। उनके पास शॉट्स खेलने की अलग ही क्षमता रही, खासकर जिस तरह वो गेंद को टाइम करते थे और उनकी लय अद्भुत होती थी। उन्हें देखना हमेशा ही रोचक रहता। लारा ने विश्व के दिग्गज गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाए। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 11,953 रन हैं। जब भी वो शतक बनाते थे, तो वो काफी बड़े होते थे। उनकी बड़ी पारियों में 400 और 375 रन की पारी शामिल हैं।
लारा का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार रहा। यहाँ तक कि उन्होने अपने करियर का दूसरा मैच भी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में खेला था। उनकी पहली टेस्ट सेंचुरी भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आई थी, जहां उन्होंने 1993 में सिडनी में 277 रनों की पारी खेली थी।
लारा ने ऑस्ट्रेलिया में 19 टेस्ट खेले, जहां उनका औसत 41.97 का रहा। हालांकि लारा ने ऑस्ट्रेलिया में जहां अपना पहला टेस्ट खेला (गाबा में), वहाँ उनका रिकॉर्ड काफी खराब रहा। उन्होंने गाबा में अपने पहले मैच में 58 रन बनाए थे, उसके अलावा 3 मुकाबलों में वो सिर्फ 118 रन ही बना पाए। उन्होंने ब्रिस्बेन में 4 मुक़ाबले खेले और सिर्फ 22 की औसत से 176 रन बनाए, इसी बीच वो 8 पारियों में दो बार 0 पर भी आउट हुए।
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4- राहुल द्रविड़, एम चिन्नास्वामी स्टेडियम, बैंगलोर
जिस खिलाड़ी ने हर जगह जाकर रन बनाए हो, उसी खिलाड़ी का रिकॉर्ड अपने घर में खराब कैसे हो सकता हैं? लेकिन यह सच हैं, उनके आंकड़े तो यही दर्शाते हैं।
द्रविड़ भारत के ऑल टाइम बेस्ट बल्लेबाजों में से एक हैं, जिन्होने अपना टेस्ट करियर में 13,288 रनों के साथ खत्म किया, वो भी 52.31 की औसत से। हालांकि उनके रिकोर्ड्स यह नहीं दर्शाते, जितना उन्होने इंडिया के लिए किया हैं। द्रविड़ के रहते ही इंडिया ने एशिया के बाहर जाकर कई यादगार मैच जीते। द्रविड़ को उनकी बैटिंग के लिए हमेशा ही याद किया जाएगा, उन्होंने हमेशा ही टीम को मुश्किल से उबारा हैं।
हालांकि द्रविड़ ने बैंगलोर में सिर्फ 21.71 की औसत से 8 मैच में 304 रन ही बनाए हैं, जो उनकी काबिलियत से मेल नहीं खाते। द्रविड़ ने अपने घर में सिर्फ 2 अर्धशतक लगाए हैं। उनको देखकर तो ऐसा ही लगता हैं कि उन्हें अपने घर में खेलना पसंद नहीं हैं।
3) जैक्स कैलिस- हेडिंग्ले
कैलिस मॉडर्न एरा के सबसे अच्छे ऑल राउंडर्स में से एक हैं। वो साउथ अफ्रीका के शानदार बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। उनका गेम की तरफ जो अप्रोच हैं, वो उन्हें सबसे खास बनाता हैं। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 13,289 रन हैं, वो भी 55.37 की औसत से। उन्होंने लगभग हर जगह जाकर रन बनाए हैं। उनकी तकनीक भी काफी मजबूत हैं।
हालांकि इंग्लैंड में उनके आंकड़े कुछ ज्यादा अच्छे नहीं हैं, खासकर हेडिंग्ले में उनका प्रदर्शन खराब रहा। हेडिंग्ले में कैलिस ने 4 टेस्ट में 20 की औसत से सिर्फ़ 140 रन ही बनाए। उन्होने यहाँ पर एक भी शतक और अर्धशतक नहीं लगाया है।
2 रिकी पोंटिंग- लॉर्ड्स
ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल बल्लेबाजों और कप्तानों में से एक हैं रिकी पोंटिंग। उन्होने टेस्ट क्रिकेट में 51.85 की औसत से 13,378 रन बनाए। वो वर्ल्ड के किसी भी गेंदबाजी आक्रमण पर हमला कर सकते थे, गेंद को पुल और हुक करना तो उनकी खासियत रही।
पोंटिंग को चुनौती पसंद रही और वो उनका डट कर सामना भी करते थे। हालांकि जब बात लॉर्ड्स की आती हैं, तो उनका रिकॉर्ड यहाँ खराब रहा। पोंटिंग ने लॉर्ड्स ने 4 टेस्ट खेले और उन्होंने उसमें 16.87 की औसत से सिर्फ 135 रन ही बनाए। उनकी इंग्लैंड में औसत 20 मुकाबलों में 41.79 की रही, जिसमें से उन्होंने 18 मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेले हैं और 2 पाकिस्तान के खिलाफ। उनकी लॉर्ड्स में औसत यह दिखाती हैं कि उन्होने यहाँ खेलने में उन्हें कितनी दिक्कत आई हैं।
1 सचिन तेंदुलकर- लॉर्ड्स
सचिन तेंदुलकर ने विश्व में हर जगह रन बनाए हैं, पर इनके नाम लॉर्ड्स में न ही वनडे और न ही टेस्ट में कोई शतक दर्ज है। तेंदुलकर ने लॉर्ड्स में 5 टेस्ट खेले, जहां उन्होने 21.66 की औसत से 195 रन बनाए, जिसमें उनका सबसे बड़ा स्कोर 37 रन का ही हैं।
सचिन का नाम लॉर्ड्स की एलीट ऑनर्स बोर्ड पर भी नहीं हैं, इस चीज का दुख उन्हें हमेशा ही रहेगा। हालांकि सचिन ने 1998 में लॉर्ड्स में 125 रन की पारी खेली थी, पर वो पारी उनकी एमसीसी के खिलाफ आई थी रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए खेलते हुए। वो एक वनडे चेरिटी मैच था, जोकि वेल्स की प्रिंसेस डायना की याद में खेला जाता हैं।