भारत ने इस टेस्ट श्रृंखला में जीत की शुरुआत एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट के साथ की। लेकिन, पर्थ में दूसरे ही टेस्ट में भारत को करारी शिकस्त भी झेलना पड़ी। मेलबर्न में खले गए बॉक्सिंग डे टेस्ट को जीत कर, भारत ने इस श्रृंखला में जोरदार वापसी की और 2-1 से बढ़त हासिल कर ली। मेजबान ऑस्ट्रेलिया के लिए अब यहाँ से इस श्रृंखला को बचाना ही आखिरी लक्ष्य था।
सिडनी में हुए चौथे टेस्ट में भारत ने टॉस जीत कर ऑस्ट्रेलिया की मुश्किले बढ़ा दी। सिडनी में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने पहली पारी में 600 से अधिक रन बना कर मेजबान को खेल से बाहर ही कर दिया। सिडनी टेस्ट में बारिश ने खलल डाल कर, मेजबान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। परिणामस्वरूप, भारत ने पिछले 71 साल के इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला जीतने का कीर्तिमान स्थापित किया।
भारत की ओर से चेतेश्वर पुजारा इस जीत के नायक रहे। बल्लेबाज़ी में कप्तान विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे, ऋषभ पंत और मयंक अग्रवाल ने भी अपना योगदान दे कर एक अहम भूमिका निभाई। गेंदबाजों ने पिछले एक साल से जबरदस्त प्रदर्शन जारी रखा और आवश्यक स्थितियों में विकेट ले कर अपना योगदान दिया।
आइये, एक नज़र उन 5 कारणों पर जिसकी वजह से भारत ने यह टेस्ट श्रृंखला जीती है:
#5. मयंक अग्रवाल की जबरदस्त बल्लेबाज़ी
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पहले दो टेस्ट मैचों में निराश कर देने वाली सलामी साझेदारी के बाद, भारत को एक नए ओपनर बल्लेबाज़ की आवश्यकता थी। जब मयंक अग्रवाल को बॉक्सिंग डे टेस्ट में मौका मिला, तो उन्होंने इस मौके को दोनों हाथ से लपक कर भारत की इस कमी को पूरा कर दिया। इतने बड़े मंच पर होने के बावजूद भी वह कोई दबाब में नहीं दिखे।
उनकी इस 76 रनों कि शानदार पारी से ये स्पष्ट हो गया की वह इस स्तर के लायक है। उन्होंने न सिर्फ अच्छा प्रदर्शन किया बल्कि टीम में एक सलामी बल्लेबाज़ के रूप में मजबूत विकल्प के तौर पर खुद को पेश भी किया। उनके इस प्रदर्शन के बाद यह बात तो तय है कि वह निश्चित रूप से भविष्य के लिए सलामी बल्लेबाज बनकर उभरेंगे।
उन्होंने इस श्रृंखला में 3 परियों में 195 रन बनाए, और इस संघर्षपूर्ण स्थिति में एक सलामी बल्लेबाज़ के विकल्प में खुद को प्रस्थापित किया।
#4. ऋषभ पंत की आतिशी बल्लेबाज़ी
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पिछले साल ट्रेंट ब्रिज में टेस्ट डेब्यू के बाद से ही ये एक चर्चा का विषय बना हुआ था की क्या इस युवा खिलाड़ी में स्थिति के अनुसार खेलने की क्षमता है या नहीं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे पर सबको यह जरूर बता दिया की उनमें स्थिति के अनुसार खेलने की क्षमता है।
पिछले हर गेम में ये देखा गया है कि वे 20-30 रन बनाने के बाद एक ख़राब शॉट के कारण अपना विकेट फेंक दिया करते थे। लेकिन सिडनी में पहली बार उन्होनें संजीदगी दिखाई और लंबी बल्लेबाज़ी भी की।
सिडनी में शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय विकेट-कीपर बल्लेबाज़ बने और कई सारे रिकॉर्ड को भी अपने नाम किया। सातवें विकेट के लिए जडेजा के साथ उनकी 204 रन की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग साझेदारी बहुत निर्णायक साबित हुई । अगर ऋषभ अपनी विकेट-कीपिंग में सुधार ला सकेंगे, निश्चित रूप से वह भारत के महनतम विकेट-कीपर बल्लेबाज़ के रूप में उभर सकते हैं।
#3. गेंदबाजों का पिछले 12 महीनों से लगातार अच्छा प्रदर्शन
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भारतीय गेंदबाजों ने पिछले 12 महीनों में जबरदस्त गेंदबाजी कर दुनिया में एक अलग ही पहचान बनाई है। दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजों के निराश कर देने वाले प्रदर्शन के बावजूद भी भारतीय गेंदबाजों ने अचूक निरंतरता दिखाई। इस बार जब बल्लेबाजों ने भी अच्छा पर्दर्शन किया, तो भारतीय टीम का प्रदर्शन दुनिया में नंबर एक टेस्ट टीम जैसा ही दिखा।
यह बेहद खुशी की बात है कि भारतीय क्रिकेट के पास विश्वसनीय गेंदबाजों का समूह है, इसके साथ ही कई विश्वस्तरीय गेंदबाज बेंच पर भी उपलब्ध है। इस श्रृंखला में, विशेष रूप से तेज़ गेंदबाजों ने विपक्षी बल्लेबाजों को अपनी गति और जबरदस्त निरंतरता से आतंकित कर दिया।
ईशांत, शमी और बुमराह की तिकड़ी ने बेहद सटीक गेंदबाजी कर भारत को हमेशा आगे रखा और ऑस्ट्रालिया को उन्ही के घर पर मात देने में अपना भरपूर योगदान दिया ।
#2. बुमराह की निरंतर अच्छी गेंदबाजी
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अगर पुजारा भारत की बल्लेबाजी के नायक रहे, तो जसप्रीत बुमराह भारत के गेंदबाज़ों के केंद्र बिंदु थे। इस युवा खिलाड़ी ने 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कैपटाउन में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से गेंदबाजी में गज़ब की तेजी, सटीकता और निरंतरता का गठजोड़ पेश किया है। केवल 10 टेस्ट मैचों के इतने छोटे से करियर में, बुमराह की कामयाबी सराहिनिये हैं।
21 विकेटों के साथ इस श्रृंखला में सबसे अधिक विकेट लेकर बुमराह, कप्तान कोहली के लिए तुरूप का एक्का बनकर उभरे है। बल्लेबाजों पर पैनी नज़र और गेंदबाजी में उनका अनुमान, उनके लिए बेहद कारगार साबित होता है।
अपनी योजनाओं को अंजाम देने और उनकी विकेट लेने की क्षमताओं के कारण उन्हें एक जबरदस्त टेस्ट गेंदबाज़ के रूप में देखा जाता है। बुमराह भारतीय क्रिकेट में आने वाले वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन जायेंगे इसमें कोई दोहराय नहीं है।
#1. पुजारा की धुल चटा देने वाली अचूक बल्लेबाज़ी
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ये बेहद खुशी की बात है की भारतीय टीम में एक विश्वसनीय तीन-नंबर बल्लेबाज आया। पुजारा ने भारत की इस बड़ी जीत की नींव रखी। इस श्रृंखला की शुरुआत से ही पुजारा सबकी आकांक्षाओं पर खड़े उतरे, खासकर जब टीम को उनकी जरूरत थी। अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी से पुजारा ने वास्तव में दोनों टीमो के बीच एक बड़ा अंतर पैदा कर दिया।
अपने पिछले दौरे से सबक लेते हुए, उन्होंने इस दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने इस श्रृंखला में 74.43 के आश्चर्यजनक औसत से 521 रन बनाए, जिसमें तीन शानदार शतक भी शामिल है।
किसी भी भारतीय के द्वारा एक श्रृंखला में सबसे ज्यादा गेंदों का सामना करने की बड़ी उपलब्धि को भी हासिल किया। उन्होंने राहुल द्रविड़ की 1203 गेंदें खेलने के रिकॉर्ड को तोड़कर पूरी श्रृंखला में 1258 गेंदें खेलीं। यह उनके लिए और टीम के लिए एक यादगार उपलब्धि होगी।