क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में किसी खिलाड़ी को सफल होने के लिए अलग अलग तरह की तकनीक का इस्तेमाल करना होता है। कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपने आप को हर फॉर्मेट के हिसाब से ढाल लेते हैं लेकिन कुछ ऐसे क्रिकेटर भी रहे हैं जो सिर्फ एक ही फॉर्मेट में दिग्गज साबित हुए।
जब से टी20 क्रिकेट की शुरुआत हुई है, उसके अनुरूप कई खिलाड़ियों ने अपने आप को ढाला लेकिन उसी तकनीक ने वो टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकते हैं। यही चीज़ एकदिवसीय में भी लागू होती है हालाँकि वो टी20 जितना तेज़ खेल नहीं है।
आइये उन 6 खिलाड़ियों पर नज़र डालते हैं, जिन्होंने अपने समय में एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय में जबरदस्त सफलता पाई लेकिन उसी सफलता को टेस्ट में नहीं दोहरा सके।
#6 लांस क्लूजनर (दक्षिण अफ्रीका)
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व ऑलराउंडर लांस क्लूजनर ने 1996 में अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था, लेकिन उसके तीन साल बाद 1999 विश्व कप में उन्होंने अपनी काबिलियत से सबका परिचय कराया और अपने मैच जीतने की क्षमता को दुनिया के सामने बेहतरीन तरीके से पेश किया। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वो अंत में सिर्फ एक रन लेने से रह गए और उनकी टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई, फिर भी उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया था।
तेज़ बल्लेबाजी के लिए पहचाने जाने वाले क्लूजनर मध्यम तेज़ गति के गेंदबाज भी थे। हालाँकि उन्होंने अपने करियर में 49 टेस्ट भी खेले लेकिन उन्हें हमेशा सीमित ओवरों का विशेषज्ञ माना गया। टेस्ट में उन्होंने लगभग 33 की औसत से सिर्फ 1906 रन बनाये, वहीं 171 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 41 की औसत से 3576 रन बनाये। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने लगभग 38 की औसत से सिर्फ 80 विकेट लिए, जबकि एकदिवसीय में उनके नाम लगभग 30 की औसत से 192 विकेट हैं।
क्लूजनर एक बहुत ही शानदार टी20 खिलाड़ी भी साबित हो सकते थे लेकिन उनके संन्यास के कुछ दिनों बाद क्रिकेट के इस प्रारूप ने अपना पदार्पण किया।
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#5 नाथन ब्रैकन (ऑस्ट्रेलिया)
2001 में ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना डेब्यू करने वाले नाथन ब्रैकन ने 2009 तक सभी फॉर्मेट में अपना योगदान दिया। उन्हें अपने समय के सबसे बेहतरीन एकदिवसीय गेंदबाजों में शामिल किया जाता था। इसके अलावा उन्होंने कुछ टी20 मैचों में भी बढ़िया प्रदर्शन किया। लेकिन टेस्ट में वो ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाए और सिर्फ 5 मैच ही खेल पाए।
116 एकदिवसीय मैचों में ब्रैकन ने 24.36 की बढ़िया औसत से 174 विकेट लिए। टी20 अंतर्राष्ट्रीय में उन्होंने 19 मैचों में 23 की औसत से 19 विकेट लिए। हालाँकि 5 टेस्ट मैचों में वो सिर्फ 12 विकेट ही ले पाये और उन्हें टीम में ज्यादा मौके नहीं मिले।
ब्रैकन का करियर चोटों के कारण प्रभावित रहा और उन्हें समय से पहले संन्यास लेना पड़ा, वरना वो एकदिवसीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते थे।
#4 शाहिद अफरीदी (पाकिस्तान)
शाहिद अफरीदी ने अपने दूसरे ही मैच में एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय का सबसे तेज़ शतक जड़कर बेहतरीन दस्तक दी थी। उन्होंने कई सालों तक पाकिस्तान के लिए एकदिवसीय क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू के दो साल बाद टेस्ट में भी डेब्यू किया लेकिन 12 साल के टेस्ट करियर में वो सिर्फ 27 टेस्ट ही खेल पाए।
वैसे तो एकदिवसीय और टी20 में भी अफरीदी का बल्ला लगातार नहीं चला लेकिन अपनी गेंदबाजी की वजह से उन्होंने टीम में अपना स्थान बरकरार रखा। अफरीदी ने पाकिस्तान के लिए 398 एकदिवसीय मैच खेले और इसमें उन्होंने 8064 रन बनाने के अलावा 395 विकेट भी लिए। टी20 अंतर्राष्ट्रीय में उनके नाम 99 मैचों में 141 रन और 98 विकेट हैं।
लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वह 1716 रन ही बना सके और उनका औसत सिर्फ 36 का रहा। इसके अलावा उनके नाम 48 विकेट भी हैं।
#3 माइकल बेवन (ऑस्ट्रेलिया)
माइकल बेवन को एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का सबसे बेहतरीन फिनिशर माना जाता है और उनका 50 से ऊपर का औसत इस बात का सबूत है। धोनी और कोहली जैसे विश्व स्तरीय गेम फिनिशर्स से कई साल पहले ही बेवन ने दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया था।
बेवन हर मायने से सीमित ओवर स्पेशलिस्ट थे और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए सिर्फ 18 टेस्ट खेले। इन मैचों में उन्होंने 29 की औसत से 785 रन बनाये जो कहीं से भी अच्छा रिकॉर्ड नहीं माना जाएगा।
लेकिन 232 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उन्होंने कई बार ऑस्ट्रेलिया को मुश्किल परिस्थिति से निकाला और इसी वजह से उन्हें बेहतरीन मैच फिनिशर माना जाता है। 53.58 की लाजवाब औसत से उन्होंने 6912 रन बनाये और 196 पारियों में 67 बार नाबाद लौटे। बेवन ने एक भी टी20 मैच नहीं खेला।
#2 लसिथ मलिंगा (श्रीलंका)
लसिथ मलिंगा निश्चित तौर पर सीमित ओवर क्रिकेट के सबसे बेहतरीन तेज़ गेंदबाजों में शामिल हैं और डेथ ओवरों में जैसी गेंदबाजी वो करते हैं, काफी कम गेंदबाज हैं जो उनके बराबर होंगे। एकदिवसीय और टी20 क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड उन्हें महान गेंदबाजों में शुमार करता है। हालाँकि सीमित ओवर जैसी सफलता मलिंगा को टेस्ट क्रिकेट में नहीं मिली।
उन्होंने 226 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय में 27.77 की औसत से 338 विकेट लिए हैं और इसमें उन्होंने 8 बार पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा किया। 84 टी20 अंतर्राष्ट्रीय में उन्होंने 107 विकेट लिए हैं और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में टॉप पर हैं।
हालाँकि श्रीलंका के लिए उन्होंने सिर्फ 30 टेस्ट खेले और इसमें उनके नाम 33 की औसत से 101 विकेट हैं। सीमित ओवरों की क्रिकेट में ध्यान लगाने के लिए मलिंगा ने 2011 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। मलिंगा के करियर में चोट का भी काफी योगदान रहा है।
#1 युवराज सिंह (भारत)
भारत की दो विश्व कप विजेता टीम में शामिल युवराज सिंह को अपने समय के सबसे बेहतरीन हिटर में से एक माना जाता था। गेंद को अगर बेहतरीन तरीके से टाइम करने की बात आये तो युवराज का नाम निश्चित तौर पर काफी ऊपर आएगा। 2007 वर्ल्ड टी20 और 2011 के वनडे विश्व कप जीत में युवराज का योगदान काफी अहम था।
2000 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले युवराज ने अपने करियर में 304 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और 58 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेले और इसमें इनका रिकॉर्ड उन्हें सीमित ओवर की क्रिकेट में भारत के टॉप खिलाड़ियों में शामिल करवाता है। एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय में उनके नाम 36.55 की औसत से 8701 रन हैं और उन्होंने 111 विकेट भी लिए। टी20 अंतर्राष्ट्रीय में उन्होंने 1177 रन बनाने के अलावा 28 विकेट भी लिए हैं। टी20 अंतरराष्ट्रीय में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया था।
लेकिन अगर बात टेस्ट क्रिकेट की हो तो यहाँ युवराज यहाँ कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके। हालाँकि भारत के लिए उन्होंने 40 टेस्ट खेले हैं लेकिन उनका रिकॉर्ड इसमें अच्छा नहीं रहा। लगभग 34 की औसत और 3 शतक की मदद से उन्होंने सिर्फ 1900 रन बनाये और गेंदबाजी में 9 विकेट हासिल किये। गौरतलब है कि युवराज कभी भारत के नियमित टेस्ट सदस्य नहीं बन सके।