इंग्लैंड में आयोजित होने वाले वर्ल्ड कप के 12वें संस्करण की शुरुआत होने में काफी कम दिन बाकी है। पिछले 11 वर्ल्ड कप संस्करणों में फैंस को कई रोमांचक मैच देखने को मिले हैं। आज हम आपको वर्ल्ड कप इतिहास में हुए 7 ऐसे ही उतार-चढ़ाव वाले मुकाबलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको देखने के बाद क्रिकेट फैंस भी चौंक गए थे।
# भारत बनाम वेस्टइंडीज, 1983 फाइनल:
वर्ल्ड कप 1983 के टूर्नामेंट से पहले किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारतीय टीम नॉकआउट में भी जगह बना सकती है लेकिन ग्रुप स्टेज के मैचों में और नॉकआउट मैचों में अच्छा प्रदर्शन करके उन्होंने पहली बार फाइनल में जगह बनाई जिसमें उनका मुकाबला लॉर्ड्स के मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ हुआ। वेस्टइंडीज की टीम उस समय सबसे मजबूत टीम हुआ करती थी। फाइनल मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 54.4 ओवरों में 183 रन बनाकर ऑलआउट हो गई।
वेस्टइंडीज की ओर से बल्लेबाजी करने उतरे विवियन रिचर्ड्स को 35वें ओवर में कपिल देव ने शानदार कैच लेकर चलता किया। इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने विकेट चटकाना शुरू कर दिया और वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। मोहिंदर अमरनाथ ने ने माइकल होल्डिंग के रूप में अंतिम विकेट लेकर इस मैच 43 रनों से जीता और पहली बार वर्ल्ड कप के थिताब पर कब्जा किया।
#ऑस्ट्रेलिया vs जिम्बाब्वे, 1983:
वर्ल्ड कप 1983 के ग्रुप स्टेज के एक मैच के दौरान जिम्बाब्वे ने वनडे क्रिकेट में अपनी पहली जीत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दर्ज की थी। जिम्बाब्वे की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 96 रनों पर 5 विकेट खो चुकी थी लेकिन कप्तान डंकन फ्लेचर और केविन करन की अच्छी बल्लेबाजी की बदौलत टीम ने कुल 239 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम 60 ओवर में सात विकेट पर 226 रन ही बना सकी।
इस तरह से जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को 13 रनों से हरा दिया था। पूर्व जिम्बाब्वे कप्तान और टीम इंडिया के कोच रह चुके डंकन फ्लेचर ने 76 रनों की पारी खेली और गेंदबाजी के दौरान 42 रन देकर चार विकेट भी झटके।
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# केन्या बनाम वेस्टइंडीज, 1996:
वर्ल्ड कप 1996 में वेस्टइंडीज और केन्या के बीच ग्रुप स्टेज का एक मुकाबला पुणे में खेला जा रहा था जिसमें केन्या की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 166 रन पर ऑल आउट हो गई।
जवाब में उतरी वेस्टइंडीज की टीम के सलामी बल्लेबाजों से अच्छी शुरुआत की उम्मीद थी लेकिन वे फ्लॉप रहे। लगातार गिरते विकेट के कारण वेस्टइंडीज की टीम मात्र 93 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस तरह से वेस्टइंडीज टीम को 73 रन से हार का सामना करना पड़ा।
# श्रीलंका बनाम केन्या, 2003:
वर्ल्ड कप 2003 के ग्रुप मैच में केन्या टीम ने नैरोबी के जिमखाना मैदान पर खेलते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट खोकर 210 रन बनाए। जिसमें बल्लेबाज केनोडी ओटेनो ने सर्वाधिक 122 गेंदों पर 60 रन बनाए थे।
जवाब में उतरी श्रीलंकाई टीम के खिलाफ केन्या की टीम अच्छी गेंदबाजी के साथ-साथ जबरदस्त फील्डिंग भी कर रही थी। गेंदबाज मार्टिन सूजी ने शुरुआत में सनथ जयसूर्या को जल्दी आउट किया। स्पिनर कॉलिन्स ओबूया ने 24 रन देकर 5 विकेट चटकाए। केन्या के गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के कारण श्रीलंका को 53 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
# आयरलैंड बनाम पाकिस्तान, 2007:
वर्ल्ड कप 2007 के आयरलैंड बनाम पाकिस्तान के मुकाबले को भला कैसे कोई भूल सकता है। इस वर्ल्ड कप में मजबूत पाकिस्तान टीम आयरलैंड की कमजोर टीम के सामने मात्र 132 पर ऑल आउट हो गई। दूसरी पारी में पाकिस्तान के गेंदबाजों ने 113 के स्कोर पर ही आयरलैंड के 7 बल्लेबाजों पवेलियन भेज दिया था। कप्तान ट्रेंट जॉन्सटन ने पाकिस्तानी गेंदबाज अज़हर महमूद की गेंद पर छक्का लगाकर अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी।
# भारत vs बांग्लादेश, 2007:
2007 के वर्ल्ड कप में पोर्ट ऑफ स्पेन में हुए ग्रुप-बी मुकाबले में भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन सलामी बल्लेबाज सौरb गांगुली (66) और युवराज सिंह (47) के अलावा सभी बल्लेबाज फ्लॉप साबित हुए और पूरी टीम 49.3 ओवरों में 191 रन बनाकर धराशायी हो गई। बांग्लादेश की मौजूदा टीम के कप्तान मशरफे मुर्तजा ने उस मैच में 38 रन देकर चार विकेट चटकाए थे जो वनडे क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी था।
भारत से मिले 192 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेश टीम ने तमीम इकबाल (51), मुशफिकुर रहीम (नाबाद 56) और शाकिब अल हसन (53) की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 48.3 ओवरों में पांच विकेट पर जीत हासिल कर लिया।
# इंग्लैंड बनाम आयरलैंड, 2011:
भारत के खिलाफ बराबरी का मुकाबला होने के बाद इंग्लैंड की नजर आयरलैंड को हराकर पूरे 2 अंक अर्जित करने पर थी। इसीलिए उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 327 रन बनाए।
जवाब में उतरी आयरिश टीम ने मात्र 111 रनों के स्कोर पर 5 विकेट खो दिए। लेकिन क्रीज पर खड़े केविन ओ' ब्रायन ने इंग्लैंड के गेंदबाजों के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाते हुए एलेक्स कुसैक के साथ 162 रनों की बड़ी साझेदारी की। केविन ने उस मैच में वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे तेज शतक भी जड़ दिया। इसी के साथ आयरलैंड ने इंग्लैंड के खिलाफ यह मुकाबला जीत लिया।