भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मंकीगेट प्रकरण को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। अनिल कुंबले ने कहा कि उस दौरे पर एक कप्तान के तौर पर उन्हें कुछ कठिन फैसले लेने पड़े थे। उस वक्त ये बात भी चल रही थी कि भारतीय टीम बीच दौरे से वापस भी आ सकती थी।
अनिल कुंबले ने रविचंद्रन अश्विन के यू-ट्यूब शो डीआरएस विद ऐश में कहा कि भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया का वो दौरा काफी मुश्किल था। सिडनी टेस्ट के बाद काफी मुश्किल हालात पैदा हो गए थे लेकिन टीम के सीनियर खिलाड़ियों ने दौरा बीच में रद्द नहीं किया। उनका मानना था दौरा बीच में छोड़ने से फैंस के बीच एक गलत संदेश जाएगा।
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अनिल कुंबले ने कहा कि एक कप्तान के तौर पर मैंने सोचा था कि ये सब सारी चीजें होने के बावजूद अगर सिडनी टेस्ट मैच ड्रॉ हो जाता तो वो हमारे लिए बेस्ट रिजल्ट होता। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और हम 5 मिनट रहते मैच हार गए। किसी ने नहीं सोचा था कि माइकल क्लार्क आखिरी पलों में आकर 3 विकेट निकाल देंगे और हम वो मैच हार जाएंगे।
अनिल कुंबले ने आगे कहा कि वो सारी चीजें होने के बाद एक कप्तान के तौर पर आपको कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। उस टिप्पणी के लिए हमारे एक खिलाड़ी को बैन भी किया गया लेकिन हमें उसके खिलाफ अपील करना था। मेरा मानना है कि हमें एक टीम के तौर पर साथ रहना था, भले ही हमारे खिलाड़ी गलत भी होते तब भी। हालांकि तब ये खूब चर्चा शुरु हो गई थी कि भारतीय टीम दौरे को बीच में छोड़कर वापस आना चाहती है।
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अगर हम दौरा रद्द कर देते तो लोग समझते हमारी ही गलती थी - अनिल कुंबले
अनिल कुंबले ने कहा कि अगर हम लोग दौरा वापस बीच में रद्द करके आ जाते तो लोग यही समझते कि शायद गलती हमारी थी, इसीलिए हम वापस आ गए। हालांकि एक कप्तान और एक टीम के तौर पर हम वहां सीरीज जीतने गए थे। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका। मैं भाग्यशाली था कि मेरी टीम में कई सीनियर खिलाड़ी थे और हम सबने मिलकर दौरा रद्द नहीं करने का फैसला लिया।
आपको बता दें कि 2008 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हरभजन सिंह के ऊपर एंड्र साइमंड्स के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी का आरोप लगा था। इसके अलावा उस दौरे पर अंपायरों ने जिस तरह भारत के खिलाफ फैसले दिए थे, उसको लेकर भी काफी विवाद हुआ था।