टेस्ट क्रिकेट में बड़े फेरबदल की तैयारी चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो 142 साल पुरानी टेस्ट क्रिकेट की परंपरा टूट जाएगी। सुनने को मिल रहा है कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक अगस्त से शुरू होने वाली एशेज सीरीज में दोनों टीमें नाम और नंबर वाली जर्सी में नजर आ सकती हैं। 1887 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला आधिकारिक टेस्ट खेला गया था। इसके बाद से टेस्ट क्रिकेट के सफेद या फिर क्रीम रंग के कपड़ों में ही होने की परंपरा शुरू हो गई थी।
खबरों की मानें तो इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अभी इसका प्रस्ताव ही तैयार किया है। दोनों इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। आईसीसी से मंजूरी मिलने के बाद इसे एशेज सीरीज में लागू किया जाएगा। इंग्लैंड की घरेलू फर्स्ट क्लास काउंटी चैंपियनशिप की जर्सी में भी 2003 से नाम और नंबर लिखे जा रहे हैं। अभी तक के इतिहास में टेस्ट क्रिकेट में बस एक ही बदलाव देखने को मिला है। 2001 में इंग्लैंड ने खिलाड़ियों की टोपी पर नंबर लिखना शुरू किया था। इसके बाद बाकी टीमों ने भी इसका अनुसरण कर लिया।
आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट की घटती लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए एक सर्वे करवाया था। इसमें 13000 लोगों पर सर्वे किया गया था। 86 प्रतिशत लोगों ने इस प्रारूप को अपना पसंदीदा क्रिकेट माना था। अब आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप के जरिए इस प्रारूप को लोकप्रिय करना चाहती है। लोगों का मानना है कि जर्सी पर खिलाड़ियों का नंबर और नाम लिखा होने से उनको पहचानना आसान हो जाएगा। इससे खिलाड़ियों के ब्रैंड बनने में आसानी होगी। टी-शर्ट की रेप्लिका भी बाजार में आ जाएंगी। वनडे में ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट शुरू होने के बाद से ही रंगीन जर्सी में खेलना शुरू कर दिया था। 1992 के विश्वकप में पहली बार रंगीन जर्सी का इस्तेमाल हुआ था। उसमें खिलाड़ियों के नाम लिखे गए थे। 1999 के विश्वकप में रंगीन जर्सी पर नाम के साथ खिलाड़ियों के नंबर भी लिखे गए थे।
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