ऑस्ट्रेलिया दौरे में दूसरा टेस्ट 146 रनों से गँवाने के बाद टीम इंडिया के लिए अब टेस्ट सीरीज़ जीतना मुश्किल हो गया है। पहला टेस्ट जीतने के बाद भारतीय क्रिकट प्रशंसकों को यह उम्मीद थी कि कोहली बिग्रेड दूसरा टेस्ट जीतकर इतिहास रचने के और करीब पहुंच जाएगी लेकिन ऐसा हो ना सका।
टीम में पुजारा, कोहली, रहाणे और हनुमा विहारी जैसे खिलाड़ियों के होते हुए कम से कम दूसरे टेस्ट को ड्रॉ कराने की कोशिश होनी चाहिए थी। लेकिन इनमें से किसी ने भी ज़िम्मेदारी से बल्लेबाज़ी नहीं की और ग़लत शॉट खेलकर अपना विकेट गँवाया। टॉस हारने के साथ-साथ इस हार के लिए टीम के चयन को ज़िम्मेदार ठहराया गया।
इसलिए अगले टेस्ट के लिए हमें टीम में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। तो आइये जानते हैं चार ऐसे बदलाव जो टीम इंडिया को तीसरा टेस्ट जीतने के लिए करने चाहिए:
#4. उमेश यादव की जगह आर अश्विन
पर्थ टेस्ट में उमेश यादव को रविंद्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार पर तरजीह देने का फैसला चौंकाने वाला था। विदर्भ के तेज़ गेंदबाज़ फिलहाल फॉर्म से बाहर है लेकिन फिर भी उन्हें टीम की अंतिम एकादश में शामिल किया गया।
और जहां तक बल्लेबाज़ी की बात है तो इसमें भी वह जडेजा और भुवनेश्वर कुमार के मुकाबले कमतर हैं। हालांकि, पर्थ की हरी पिच को देखकर इसका अनुमान लगाया जा रहा था कि वह इसपर काफी प्रभावशाली प्रदर्शन कर पाएंगे लेकिन यादव इसमें भी कुछ खास नहीं कर पाए।
वह इशांत, बुमराह और शमी द्वारा दूसरे छोर से बनाए गए दबाव को बरकरार नहीं रख पाए और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में में बिलकुल भी कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। ऐसे में पहले टेस्ट में शानदार गेंदबाज़ी करने वाले आर अश्विन को उनकी जगह टीम में शामिल करना एक अच्छा फैसला होगा।
#3. मुरली विजय की जगह मयंक अग्रवाल
मुरली विजय किसी समय भारत की टेस्ट टीम का एक अभिन्न हिस्सा थे और उन्हें टीम को सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर अच्छी शुरुआत देने के लिए जाना जाता था। अपने शांत दृष्टिकोण और परिपक्वता के लिए उन्हें 'द मॉन्क' का उपनाम - जो कि उन्हें गेंदों को छोड़ने और लंबी पारियां खेलने के दिया गया था।
लेकिन पिछले कुछ समय से वह खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं और रन बनाने के लिए संघर्ष करते नज़र आये हैं।खराब फॉर्म के चलते ही विजय को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में सिर्फ दो ही मैच खेलने का मौका मिला और उनकी जगह शिखर धवन को टीम में चुना गया। लेकिन धवन के अनियमित प्रदर्शन और पृथ्वी शॉ की चोट के कारण विजय को दोबारा अंतिम एकादश में शामिल होने का मौका मिला लेकिन फिर भी वह अपने चयन को सही ठहराने में नाकाम रहे।
उन्होंने बार-बार बाहर जाती हुई गेंदों से छेड़खानी की और अपना विकेट गँवाया। ऐसे में आगामी टेस्ट के लिए उनकी जगह प्रतिभाशली बल्लेबाज़ मयंक अग्रवाल को टीम में शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा पृथ्वी शॉ के चोटिल होने की वजह से मयंक अंतिम एकादश में जगह बनाने के प्रबल दावेदार होंगे।
#2. केएल राहुल की जगह पार्थिव पटेल
एक और सलामी बल्लेबाज जो खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं, वह हैं केएल राहुल। इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें टेस्ट में 149 रनों की पारी खेलने के अलावा उनका बल्ला पूरे साल खामोश रहा है। फिर भी टीम में उन्हें समय-समय पर मौके मिलते रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ अपनी शतकीय पारी की बदौलत उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे में भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला। लेकिन कर्नाटक के बल्लेबाज़ अभी तक अपेक्षा अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।
इसलिए अगले टेस्ट के लिए जहां विजय की जगह मयंक अग्रवाल को टीम में लाना चाहिए वहीं राहुल की जगह पार्थिव पटेल को मौका दिया जाना चाहिए। पार्थिव के पास पर्याप्त अनुभव और विदेशी पिचों पर उनका प्रदर्शन शानदार रहा है।
इसका एक अतिरिक्त फायदा यह भी है कि वह विकेटकीपर की ज़िम्मेदारी भी बखूबी निभा सकते हैं जिसका मतलब यह है कि वह ऋषभ पंत की जगह भी टीम में शामिल हो सकते हैं।
#1. ऋषभ पंत की जगह हार्दिक पांड्या
ऋषभ पंत निसंदेह इस समय भारतीय टीम के उभरते हुए बल्लेबाज़ हैं लेकिन उनकी अनुभवहीनता के कारण टीम को नुक्सान उठाना पड़ रहा है। हालांकि पंत टेस्ट प्रारूप के लिए उपयुक्त बल्लेबाज़ नहीं कहे जा सकते लेकिन विकेट के पीछे भी उनका प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा है। पर्थ टेस्ट में उन्होंने दो अहम कैच छोड़े जिसका ख़ामियाज़ा पूरी टीम को भुगतना पड़ा।
पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में, जब भारत को शुरुआती विकेटों की जरूरत थी, मार्कस हैरिस का बेहद अहम कैच उन्होंने छोड़ दिया था।
ऐसे में तीसरे टेस्ट के लिए उनकी जगह हार्दिक पांड्या को टीम में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। भले ही पांड्या ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरों पर औसत प्रदर्शन किया हो लेकिन फिर भी उन्हें टीम में एक मौका दिया जाना चाहिए। वैसे भी इस समय भारतीय टेस्ट टीम में कोई विशेषज्ञ ऑल-राउंडर नहीं है और पांड्या बल्ले और गेंद दोनों से ही योगदान देने में सक्षम हैं।