क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना हर खिलाड़ी का सपना होता है। साल 1975 तक क्रिकेट में इस तरह का कोई भी विश्वस्तरीय टूर्नामेंट नहीं होता था। वर्ल्ड कप के शुरुआती संस्करणों में वेस्टइंडीज का दबदबा रहा, जबकि अन्य टीमों ने बाद के संस्करणों में अपनी पहली ट्रॉफी जीती। यह टूर्नामेंट हमेशा से ही खिलाड़ियों के लिए बल्ले के और गेंद के साथ प्रतिभा दिखाने का एक मंच रहा है।
विश्व कप का 12वां संस्करण जो कि 30 मई से इंग्लैंड में चल रहा है। इस वर्ल्ड कप में अब तक 30 से भी अधिक मैच होने बाकी हैं, जो कि महत्वपूर्ण मुकाबले होंगे। कोई भी खिलाड़ी जिनका प्रदर्शन अब तक खराब रहा है उसे आगामी मैचों में शानदार प्रदर्शन करने की भूख होगी।
वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक है कि कई खिलाड़ियों को एक-दो मैचों में ही खेलने का मौका मिल पाता है। अतीत में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां कुछ लोकप्रिय क्रिकेटरों को सिर्फ एक वर्ल्ड कप मैच में अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
आज हम आपको 3 ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें एक वर्ल्ड कप मैच में ही अपने टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
#3. कॉलिन इंग्राम (दक्षिण अफ्रीका):
दक्षिण अफ्रीकी बाएं हाथ के बल्लेबाज कॉलिन इंग्राम ने 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपने वनडे डेब्यू मैच में 122 रनों की शानदार पारी खेली। लेकिन उनका लगातार खराब फॉर्म चिंता का विषय रहा। दक्षिण अफ्रीका की ओर से खेलते हुए कॉलिन इंग्राम ने कुल 33 वनडे में 3 शतक और 3 अर्धशतक के साथ 843 रन बनाए।
कॉलिन इंग्राम वर्ल्ड कप 2011 में दक्षिण अफ्रीका टीम का हिस्सा थे। उन्हें आयरलैंड के खिलाफ मात्र एक मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए 43 गेंदों पर 46 रन बनाए थे। इस मैच में दक्षिण अफ्रीका को 131 रनों से जीत हासिल हुई थी। लेकिन इसके बाद वे कभी प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं हो पाए।
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#2. मर्व ह्यूज:
1980 के दशक के उत्तरार्ध और 1990 के दशक की शुरुआत में मर्व ह्यूज ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख तेज गेंदबाज हुआ करते थे। उन्होंने साल 1985 में भारत के खिलाफ अपना डेब्यू किया लेकिन गेंदबाजी करते हुए काफी मंहगे साबित हुए।
इसके बाद उन्हें एशेज सीरीज के लिए चयनित किया गया, जहां उन्होंने अपने शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन से आलोचकों को कड़ा जवाब दिया। भले ही वे दोनों प्रारूपों में एक अच्छे गेंदबाज थे लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें टेस्ट मैच विशेषज्ञ के रूप में देखा। सीमित अवसर के साथ, मर्व ह्यूज ने कुल 33 वनडे मैच खेले और कुल 38 विकेट अपने नाम किए।
वर्ल्ड कप 1992 में उन्हें ऑस्ट्रेलिया टीम में रिजर्व गेंदबाज के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने भारत के खिलाफ एक मैच खेलने का मौका मिला जिसमें उन्होंने 9 ओवरों में 49 रन देकर एक विकेट झटका। खराब गेंदबाजी के कारण उन्हें फिर मौका नहीं मिल पाया।
#1. जॉर्ज बैली:
इस सूची में ऑस्ट्रेलिया टीम के पूर्व कप्तान जॉर्ज बैली का नाम बेहद चौंकाने वाला हो सकता है। सभी भारतीय क्रिकेट टीम प्रशंसक यह जान रहे होंगे कि जॉर्ज बैलीने 2013-14 में भारत के खिलाफ 7 मैचों की वनडे सीरीज में कितना शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने उस सीरीज में 6 मैच खेलते हुए 95.60 की औसत से 478 रन बनाए थे।
जॉर्ज बैली ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय टी20 क्रिकेट में डेब्यू किया था। उन्होंने अपने डेब्यू मैच में ऑस्ट्रेलिया के लिए कप्तानी भी की थी। यह दूसरी बार हुआ था जब किसी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को डेब्यू मैच में कप्तानी करने का मौका मिला था।
जॉर्ज बैली वर्ल्ड कप 2015 में ऑस्ट्रेलिया टीम का हिस्सा थे। उन्होंने पहले मैच में इंग्लैंड के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 55 रनों का योगदान दिया था। बैली ने इस मैच में कप्तानी भी की थी। इसके बाद माइकल क्लार्क ने उनकी जगह ले ली और इसके बाद उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल होने का मौका नहीं मिला।