डेविड वॉर्नर (David Warner) ने अपने लीडरशिप प्रतिबंध को हटाने की अपील पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (Cricket Australia) के रवैये के प्रति नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया ने वेस्टइंडीज (West Indies cricket team) के खिलाफ महीने की शुरुआत में हुई टेस्ट सीरीज से पहले उन पर मानसिक प्रभाव डाला।
ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने जा रहे डेविड वॉर्नर ने स्वीकार किया कि उन्होंने लीडरशिप मामले पर हो रहे ड्रामा के बावजूद, कभी दो मैचों की टेस्ट सीरीज से अपना नाम वापस लेने के बारे में विचार नहीं किया।
जहां वॉर्नर और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया दोनों इस बात पर राजी थे कि बंद कमरे में सुनवाई हो, लेकिन प्रक्रिया के संबंध में बोर्ड ने स्वतंत्र आयुक्त नियुक्त करके जोर दिया कि इसे सार्वजनिक किया जाए। वॉर्नर ने फिर कड़ा बयान जारी करते हुए अपनी अपील वापस लेने की बात कही और बताया कि वो अपने परिवार को क्रिकेट की गंदी लांड्री की वॉशिंग मशीन नहीं बनने देना चाहते हैं।
वॉर्नर ने कहा, 'हम फरवरी में गए। तो हमें नहीं पता था कि यह कितनी दूर जाएगा और केवल सीए की इसका जवाब दे सकता था। वो संभवत: आपको वो ही चीज देने वाले थे, जो हमेशा अन्य लोगों को देते हैं कि आपको जवाब नहीं मिलना है।'
बाएं हाथ के बल्लेबाज ने आगे कहा, 'पर्थ टेस्ट से पहले मेरा मानसिक स्वास्थ्य संभवत: वैसा नहीं था, जहां 100 प्रतिशत ठीक हो। वो चुनौतीपूर्ण समय था। अगर वो मेरे तरीके से होता तो चीजें ठीक हो जाती। सीए के दृष्टिकोण से मुझे कोई समर्थन नहीं मिला। टीम में मेरे साथी और हमारी टीम का स्टाफ शानदार है। मेरा परिवार और दोस्त, इन लोगों ने मुझे उबरने में काफी मदद की।'
वॉर्नर ने कहा कि इतने संघर्ष के बावजूद उन्होंने कभी राष्ट्रीय टीम से अलग होने के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने कहा, 'मेरे दिमाग में कभी नहीं आया कि ब्रेक ले लूं। मेरा मानना था कि मैं किसी भी चीज से उबर सकता हूं। उस समय मेरा ध्यान रन बनाने और टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ काम करने पर था। मैं दोबारा उसी चीज को करने पर ध्यान दूंगा क्योंकि मैं ऐसा ही हूं। मैं मैदान में जाकर टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता हूं। मैं आगे बढ़ चुका हूं और मैं अब सकारात्मक मानसिकता वाला हूं।'