रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) के विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक (Dinesh Karthik) ने ध्यान दिलाया कि विदेशी खिलाड़ी और उनके एजेंट्स इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मिनी-ऑक्शन में अनहेल्दी ट्रेंड्स का पालन कर रहे हैं, जिससे कि बंपर डील मिल सके।
बता दें कि 19 दिसंबर को दुबई के कोका कोला एरीना में संपन्न आईपीएल 2024 नीलामी में रिकॉर्ड तोड़ी बोली लगी। मिचेल स्टार्क आईपीएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बने। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी बने।
क्रिकबज द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में दिनेश कार्तिक ने कहा कि खिलाड़ी प्रमुख नीलामी में नहीं आकर मिनी ऑक्शन में हिस्सा लेते हैं, ताकि उनका मूल्य बढ़ जाए। इस चीज का विदेशी खिलाड़ी और उनके एजेंट्स चतुराई से फायदा उठाते हैं। बता दें कि सनराइजर्स हैदराबाद ने कमिंस को 20.5 करोड़ रुपये में खरीदा। कुछ देर बाद कोलकाता नाइटराइडर्स ने मिचेल स्टार्क को 24.75 करोड़ रुपये में खरीदा।
दिनेश कार्तिक ने कहा, 'मेरे ख्याल से विदेशी खिलाड़ी और एजेंट इसका रणनीतिक रूप से उपयोग कर रहे हैं। वो प्रमुख नीलामी में नहीं आते, जो कि हर तीन साल में एक बार होता है। वो मिनी नीलामी में हिस्सा लेते हैं, जो कि हर साल होती है और इस दौरान फ्रेंचाइजी के पास पर्स उपलब्ध होता है तो वो बड़ी रकम पर किसी खिलाड़ी को खरीदती हैं। मेरे ख्याल से इस अनहेल्दी ट्रेंड को अब रोकना चाहिए।'
कार्तिक ने साथ ही कहा कि इस मामले से निपटने के लिए उनके पास दो विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि जो खिलाड़ी रिलीज होकर मिनी-नीलामी में आ रहे हैं, उनकी बोली प्रमुख नीलामी में मिले पैसों से बड़ी नहीं होनी चाहिए।
कार्तिक ने कहा, 'मेरे पास दो हल हैं। प्रमुख नीलामी से रिलीज होने के बाद मिनी-नीलामी में कोई भी आए, उसको प्रमुख नीलामी में खरीदी गई रकम से ज्यादा नहीं मिलना चाहिए। मेरे ख्याल से ऐसे में किसी को बुरा नहीं लगेगा, जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है और टीम द्वारा रिटेन किया गया। अधिकांश खिलाड़ियों को मिनी-नीलामी में इसलिए भेजा जाता है क्योंकि संभवत: उनका साल में प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा हो।'
दूसरा हल कार्तिक ने बताया कि मिनी-नीलामी में खिलाड़ियों को मिलने वाली रकम की एक सीमा तय की जाए, जिसकी गिनती उस टीम में सबसे ज्यादा रकम पाने वाले खिलाड़ी से की जाए।
विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, 'दूसरी बात यह है कि खिलाड़ी जो प्रमुख नीलामी का हिस्सा नहीं हो और मिनी-नीलामी द्वारा आया हो, मेरे ख्याल से उसे टीम में सबसे ज्यादा रकम पाने वाले खिलाड़ी के बराबर तक ही जाना चाहिए। इससे अधिक अगर बोली लगी हो तो उसे बीसीसीआई को वापस कर देना चाहिए। यह ऐसी चीज है, जो संभवत: कुछ हद तक हल खोज पाएगी। यह थोड़ा अनुचित लग सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि यही जाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है क्योंकि मैंने देखा कि कई विदेशी खिलाड़ी वास्तव में इसे बचाव के रास्ते के रूप में उपयोग कर रहे हैं।'