Types of Ball Used in Test Cricket: भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में जारी तीसरे टेस्ट के बीच ड्यूक बॉल को लेकर बवाल शुरू हो गया है। इसकी बड़ी वजह दूसरे दिन के खेल के दौरान बार-बार गेंद का अपनी शेप खो देना रहा, जिसकी वजह से जल्दी-जल्दी गेंद बदलनी पड़ी। तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन के पहले सत्र में कुछ ओवर बाद ही भारत की दूसरी नई गेंद को शेप बिगड़ जाने के कारण चेंज कर दिया और इससे कप्तान शुभमन गिल खुश नहीं दिखे। रिप्लेसमेंट बॉल थोड़ी पुरानी थी और बाद में उससे भारतीय तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद भी नहीं मिली।
हालांकि, इस रिप्लेसमेंट बॉल को भी कुछ ओवर बाद ही बदलना पड़ा। इसी वजह से सोशल मीडिया पर भी ड्यूक बॉल की गुणवत्ता पर सवाल शुरू हो गए। कुछ फैंस ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड द्वारा प्रदान की जा रही ड्यूक बॉल की क्वालिटी की जांच की मांग भी की।
ऐसे में गेंद को लेकर मुद्दा काफी गरम हो गया है। ऐसे में हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं कि टेस्ट क्रिकेट में कितनी तरह की गेंद का इस्तेमाल होता है और उन सभी के बीच क्या अंतर है।
1. ड्यूक बॉल: ड्यूक बॉल क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली सभी गेंदों में सबसे पुरानी है। इसकी शुरुआत 1760 में हुई, जब इसका निर्माण यूनाइटेड किंगडम के टॉनब्रिज में शुरू हुआ, फिलहाल इसका मालिकाना हक भारतीय बिजनेसमैन दिलीप जाजोदिया के पास है। अन्य गेंदों की तुलना में ड्यूक बॉल का रंग गहरा लाल होता है। यह गेंद पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती है और सबसे अधिक टिकाऊ है।। ड्यूक बॉल इंग्लैंड की परिस्थितियों में सबसे अधिक मूवमेंट हासिल करती है। इसका प्रयोग इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज में भी होता है।
2. एसजी बॉल: SG संस्परैल्स ग्रीनलैंड्स गेंद का संक्षिप्त नाम है, जिसे 1931 में सियालकोट में केदारनाथ और द्वारकानाथ भाइयों द्वारा स्थापित किया गया था।स्वतंत्रता के बाद, इसका बेस मेरठ में स्थानांतरित हो गया। SG गेंदों को टेस्ट मैचों के लिए उपयोग करने के लिए BCCI ने 1991 में अनुमति दी। SG गेंदों में एक चौड़ी सीम होती है जो लंबे समय तक बरकरार रहती है। भारत की शुष्क परिस्थितियों के कारण गेंद जल्दी ही अपनी चमक खो देती है, लेकिन 40 ओवरों के खेल के बाद रिवर्स स्विंग के लिए गेंदबाजों की मदद करती है। इस प्रकार की गेंद का उपयोग केवल भारत में मैचों के लिए किया जाता है।
3. कूकाबूरा बॉल: कूकाबूरा की स्थापना 1890 में हुई थी और तब से यह क्रिकेट से जुड़ा सामान बनाती आ रही है। कूकाबूरा गेंद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नंबर एक गेंद निर्माता के रूप में प्रशंसित है।ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने कूकाबूरा गेंदों का पहली बार उपयोग 1946/47 एशेज के दौरान किया था। इसका कारखाना मेलबर्न में स्थित है, जो अत्याधुनिक सुविधाओं का उपयोग करते हुए कुछ बेहतरीन कच्चे माल का उपयोग करता है। ड्यूक्स गेंदों की तुलना में, कूकाबूरा पूरी तरह से मशीनों का उपयोग करके बनाई जाती है। कूकाबूरा की सीम अन्य गेंदों की तुलना में सबसे कम उभरी हुई होती है। हालांकि, गेंद तेज गेंदबाजों के लिए 30 ओवर तक गति में मदद करती है। इस गेंद का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट में करते हैं।
4. पिंक बॉल: इस गेंद की कोई अलग कंपनी नहीं है। इसका प्रयोग आईसीसी ने डे-नाइट टेस्ट मैचों के लिए अनिवार्य किया है ताकि रोशनी में गुलाबी रंग के कारण बॉल स्पष्ट रूप से दिखे। जिस देश में भी टेस्ट होता है, वहां जिस कंपनी की गेंद इस्तेमाल होती है, वही पिंक बॉल भी बनाती है। इस गेंद से तेज गेंदबाजों को काफी मदद मिलती है।