पूर्व भारतीय खिलाड़ी युवराज सिंह ने टीम चयन में पारदर्शिता को लेकर एक नया खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि 2017 में अनिवार्य यो-यो टेस्ट पास किया था लेकिन इसके बाद भी टीम में नहीं चुना गया। उन्हें 2017 के वेस्टइंडीज दौरे से बाहर कर दिया गया था। काफी समय टीम से बाहर रहने के बाद इस साल युवराज सिंह ने एक प्रेस वार्ता में अपने 18 साल लम्बे करियर को अलविदा कह दिया था।
युवराज सिंह ने आज तक से बातचीत में कहा कि चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 के बाद खेले गए 8-9 मैचों में दो बार मैन ऑफ़ डी मैच रहने के बाद टीम में नहीं चुने जाने के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं चोटिल हो गया और मुझे श्रीलंका दौरे की तैयारी करने के लिए कहा गया था। इसके बाद अचानक यो-यो टेस्ट बीच में आ गया और यह मेरे चयन के लिए यू-टर्न था। इसके बाद मुझे अचानक 36 वर्ष की उम्र में यो-यो टेस्ट पास करने की तैयारी के लिए जाना पड़ा।
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आगे युवी ने कहा कि यो-यो टेस्ट पास करने के बाद मुझे घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए कहा गया। उनको लगा था कि मैं उम्र की वजह से यो-यो टेस्ट पास करने में सफल नहीं हो पाऊंगा और मुझे नकारना आसान हो जाएगा। आप कह सकते हैं कि बहाने बनाने के लिए यह सब किया गया था। मुझे इस तरह ड्रॉप करने के बारे में कभी नहीं कहा गया था और इससे मुझे काफी हर्ट हुआ। पूर्व खब्बू बल्लेबाज ने कहा कि कोई देश के लिए सत्रह से अठारह साल खेले और उसे बात तक नहीं की जाए। मेरे अलावा वीरेंदर सहवाग और जहीर खान के साथ भी ऐसा ही हुआ था।
गौरतलब है कि 2007 के टी20 विश्वकप और 2011 के वनडे विश्वकप में भारत को ख़िताब दिलाने में युवराज ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने इस तरह का बर्ताव बोर्ड की तरफ से होने की उम्मीद नहीं की थी।
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