अक्षर पटेल को मानना पड़ेगा, भारतीय टीम के खातिर एक बार फिर अपनी निजी उपलब्धि की दी कुर्बानी

India v Australia - 2nd Test: Day 2
अक्षर पटेल को अहमदाबाद टेस्‍ट में शतक नहीं बना पाने का मलाल नहीं है

भारतीय टीम (India Cricket team) के ऑलराउंडर अक्षर पटेल (Axar Patel) ने रविवार को ऑस्‍ट्रेलिया (Australia Cricket team) के खिलाफ चौथे टेस्‍ट में 79 रन की उम्‍दा पारी खेली। बाएं हाथ के बल्‍लेबाज ने 113 गेंदों में 5 चौके और चार छक्‍के की मदद से 79 रन बनाए। उन्‍होंने विराट कोहली (186) (Virat Kohli) के साथ छठे विकेट के लिए 162 रन की साझेदारी करके भारत को विशाल स्‍कोर तक पहुंचाने में मदद की।

मिचेल स्‍टार्क ने पटेल को क्‍लीन बोल्‍ड करके उनकी पारी पर विराम लगाया। मौजूदा बॉर्डर-गावस्‍कर ट्रॉफी में यह तीसरा मौका था, जब अक्षर पटेल ने शतक जमाने का मौका गंवाया। इससे पहले वो नागपुर में 84 और दिल्‍ली में 74 रन की पारी खेल चुके हैं।

भारतीय टीम के ऑलराउंडर से प्रेस कांफ्रेंस में पूछा गया कि टीम की मदद करते हुए तीन अर्धशतक जमाकर कैसा महसूस हुआ और वहीं तीन बार शतक चूकने पर क्‍या लगा। इस पर अक्षर पटेल ने मुस्‍कुराते हुए जवाब दिया, 'ये आखिरी में नमक लगा दिया। जिस तरह मैं बल्‍लेबाजी कर रहा था, मुझे पता था कि शतक का मौका गंवा सकता हूं और मैं यह भी जानता हूं कि आसानी से शतक नहीं बनता। इसमें एक सकारात्‍मक बात यह थी कि मैं जैसे बल्‍लेबाजी करना चाहता था, वैसे कर पाया और जब टीम को जरुरत थी, तब हमने साझेदारी की।'

उन्‍होंने आगे कहा, 'मैं शतक चूकने के बारे में ज्‍यादा सोच नहीं रहा हूं। मैं जब कमरे में जाऊंगा तब शायद इसके बारे में सोचूंगा।' अक्षर से पूछा गया कि टीम की योजना क्‍या थी तो उन्‍होंने कहा, 'जब मैं विराट भाई के साथ बल्‍लेबाजी कर रहा था, तब टीम की तरफ से कोई संदेश नहीं मिला था। विराट कोहली ने मुझे सकारात्‍मक क्रिकेट खेलने को कहा, जैसा कि मैं कर रहा था। एक बार हम क्रीज पर जम गए तो गेंदबाजों को पिच से ज्‍यादा मदद नहीं मिल रही थी। मैं जब क्रीज पर जम गया तो जो गेंद अपने रडार पर आई, उसे बाउंड्री पार पहुंचाया।'

अक्षर पटेल ने आगे कहा, 'विराट भाई भी बोले कि अब 50 हो गया है तो बड़े स्‍कोर के बारे में सोच क्‍योंकि 22 ओवर का खेल बचा था। तेज खेलने या पारी घोषित करने का कोई संदेश नहीं मिला था। पिच ऐसी थी कि वो 150 पर थे और मैं 50 पर था। खुलकर रन बना पा रहे थे।'

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