केपटाउन टेस्ट (IND vs SA) के तीसरे दिन विपक्षी कप्तान डीन एल्गर (Dean Elgar) को डीआरएस द्वारा नॉट आउट दिए जाने के बाद विराट कोहली (Virat Kohli) समेत भारतीय टीम (Indian Cricket Team) के अन्य खिलाड़ियों ने लगातार कुछ न कुछ बाते कहीं। इस सब मामले में मुख्य चेहरा विराट कोहली रहे और उनके द्वारा दिखाए व्यवहार को लेकर कुछ पूर्व खिलाड़ी सहमत नजर आये तो कुछ असहमत भी नजर आये। इसी क्रम में पूर्व भारतीय खिलाड़ी सबा करीम की भी प्रतिक्रिया आई है, जो विराट के गुस्से वाले बर्ताव से नाखुश दिखे।
दरअसल साउथ अफ्रीका की पारी के 21वें ओवर में रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर डीन एल्गर को फील्ड अंपायर ने पगबाधा आउट करार दिया। हालांकि एल्गर ने इस फैसले को रिव्यू किया। रीप्ले में दिखा कि गेंद एकदम स्टंप के ऊपर से निकल रही थी और इसी वजह से ऑन फील्ड अंपायर को अपना फैसला पलटना पड़ा।
कप्तान विराट कोहली और भारतीय टीम के सभी फील्डर्स को इस टेक्नॉलजी पर विश्वास ही नहीं हुआ। फील्ड अंपायर मरायस इरास्मस भी इस पर यकीन नहीं कर पा रहे थे कि गेंद इतनी बाउंस हो जाएगी।
आप तकनीक को लेकर बहस नहीं कर सकते - सबा करीम
खेलनीति के यूट्यूब चैनल पर बोलते हुए करीम ने सुझाव दिया कि भारतीय खिलाड़ियों को इस तरह से अपना गुस्सा नहीं निकालना चाहिए था। उन्होंने महसूस किया कि विवादास्पद डीआरएस कॉल के बाद एकाग्रता में कमी आई, जिसने दक्षिण अफ्रीका को तेजी से रन बनाने की अनुमति दी।
सबा ने कहा,
इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। डीआरएस पेश किया गया है ताकि यह खिलाड़ियों की मदद कर सके। कभी-कभी, आपको लगता है कि एक बल्लेबाज आउट हो गया है, लेकिन आप तकनीक के साथ बहस नहीं कर सकते। पूरी घटना के बाद एकाग्रता में कमी आई थी। फोकस मैच पर होना चाहिए था। ब्रॉडकास्टर पर पक्षपात का आरोप लगाना भारतीय टीम को शोभा नहीं देता।
हालाँकि बाद में डीन एल्गर की पारी का समापन डीआरएस के माध्यम से ही हुआ। उन्हें जसप्रीत बुमराह ने विकेट के पीछे कैच आउट करवाया, जिसका निर्णय डीआरएस की वजह से भारत के पक्ष में आया।