'भूलिए नहीं कि धोनी तीनों प्रारूपों में खेलते थे', चोटिल खिलाड़‍ियों पर पूर्व ट्रेनर ने किया कटाक्ष

India & New Zealand Net Sessions
2011 वर्ल्‍ड कप के सपोर्ट स्‍टाफ के सदस्‍य ने अहम सलाह दी है

भारतीय क्रिकेट इस समय कई खिलाड़‍ियों के चोटिल होने के कारण निशाने पर है। 2011 वर्ल्‍ड कप में भारतीय टीम के सपोर्ट स्‍टाफ के सदस्‍य ने विशेषज्ञ खिलाड़ी की बहस पर अपने विचार प्रकट किए हैं। पिछले कुछ समय में भारतीय टीम के कई शीर्ष खिलाड़ी चोटिल हुए और प्रमुख टूर्नामेंट से बाहर हुए। इसके बाद प्राथमिकता दी जा रही है कि सीरीज के मुताबिक उनका कार्यभार प्रबंध करें और प्रारूपों में हिस्‍सा लेने पर ध्‍यान दें।

आगे चलकर भारतीय टी20 इंटरनेशनल टीम एकदम युवा नजर आने वाली है, लेकिन जहां तक वनडे और टेस्‍ट प्रारूप का सवाल है तो उम्‍मीद की जा रही है कि सीनियर खिलाड़ी जैसे विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा और अन्‍य दोनों प्रारूपों में खेलना जारी रखेंगे।

2011 वर्ल्‍ड कप के दौरान भारतीय टीम के स्‍ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच रामजी श्रीनिवासन ने ध्‍यान दिलाया कि चनयनकर्ताओं का काम तब हल्‍का हो सकता है कि प्रत्‍येक प्रारूप में विशेषज्ञ खिलाड़‍ियों को मौका दिया जाए। या फिर दो या तीनों प्रारूपों में खेलने वाले खिलाड़‍ियों की फिटनेस को प्राथमिकता दी जाए और उनका ख्‍याल रखा जाए। रामजी श्रीनिवासन ने 2011 वर्ल्‍ड कप के दौरान एमएस धोनी, हरभजन सिंह, जहीर खान और अन्‍य की फिटनेस पर ध्‍यान दिया था।

श्रीनिवासन ने इंडियन एक्‍सप्रेस के लिए लिखा, 'यह सवाल पिछले कुछ समय से काफी उठ रहा है। प्रत्‍येक प्रारूप के लिए विशेषज्ञ खिलाड़‍ियों के चयन का फैसला चयनकर्ताओं या कोचिंग स्‍टाफ को लेना है। मगर चयनकर्ता फैसला करते हैं कि एक खिलाड़ी तीनों प्रारूपों में खेले तो यह स्‍ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच की जिम्‍मेदारी है कि वो खिलाड़ी को फिट रखे। तीनों प्रारूपों में खिलाड़ी का खेलना गलत नहीं है।'

उन्‍होंने आगे लिखा, 'भूलिए नहीं कि 10 साल पहले आपके पास एमएस धोनी, युवराज सिंह, इरफान पठान, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे खिलाड़ी थे जो तीनों प्रारूपों में खेलते हुए नजर आते थे। खिलाड़ी अपने शरीर को जानते हैं और इतने स्‍मार्ट हैं कि उन्‍हें पता है कि उनके लिए क्‍या काम करेगा। और वो आंख बंद करके स्‍ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच की बात पर विश्‍वास नहीं करते हैं। वो सवाल करते हैं।'

श्रीनिवासन ने कहा, 'तीनों प्रारूपों में खेलना खेल का हिस्‍सा है और जहां तक फिटनेस की बात है तो सबकुछ संभव है। मगर इसके लिए टेस्टिंग, स्‍क्रीनिंग, ट्रेनिंग, योजना, यात्रा और डाइट पर ध्‍यान देना जरूरी है। अगर कोई सभी प्रारूपों वाला खिलाड़ी है तो उसे उसके मुताबिक ट्रेनिंग करनी होगी। विराट कोहली चार साल पहले जो प्रक्रिया का पालन कर रहे थे, अब नहीं करेंगे।'

भारत के कई खिलाड़ी चोटिल होने के कारण टी20 वर्ल्‍ड कप में हिस्‍सा नहीं ले सके। इसके अलावा कुछ खिलाड़ी चोटिल होकर बांग्‍लादेश दौरे से बाहर हो गए। श्रीनिवासन ने इसके बारे में सलाह दी है। उन्‍होंने कहा, 'आपको भारतीय टीम, रणजी ट्रॉफी, आईपीएल या भारत ए के सभी ट्रेनर्स से खुलकर बातचीत करनी होगी और कतारबद्ध काम करना होगा। ज्‍यादा जानकारी भी दिक्‍कत कर सकती है। ट्रेनिंग में टेस्टिंग, स्‍क्रीनिंग और मेथड का प्रोटोकॉल होना चाहिए।'

श्रीनिवासन ने बताया, 'हर आईपीएल के बाद यह आमतौर पर देखा गया कि खिलाड़ी ने टेंशन और यात्रा के कारण वजन बढ़ा लिया। उस पर मानसिक और शारीरिक थकान दिखती है। किसी को खिलाड़ी की फिटनेस की जिम्‍मेदारी लेनी होगी। यह अंडर-14 स्‍तर से शुरू होना चाहिए। प्रक्रिया स्‍थापित करें। फिटनेस प्रोग्राम के लिए टेंपलेट जरूरी है, वरना यह अंधकार की तरफ बढ़ेगा।'

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Edited by निशांत द्रविड़
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