मुंबई के लिए ये सीजन काफी खराब और कुछ बेहतरीन प्रदर्शन का गवाह बना है। ये ऐसी टीम थी जो प्लेऑफ में जाने के सभी गुण रखती थी। लेकिन वह असफल रही। हालांकि टीम ने कई मौकों पर वास्तव में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लेकिन कई मौके ऐसे भी आये जब टीम अचानक ढह गयी। इस बार टीम का एकादश कुछ बदलाव को छोड़कर पिछले सीजन की ही तरह था। कप्तान रोहित शर्मा ने टीम को कई मौकों पर फ्रंट से लीड किया। उसके बाद अम्बाती रायडू, कीरोन पोलार्ड और हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी मुंबई के पर्याय बन चुके हैं। जोस बटलर, टिम साउथी और अनजान चेहरे क्रुनाल पांड्या को खरीदकर टीम ने खुद को मजबूत किया था। कागजों पर ये टीम काफी मजबूत लग रही थी। लेकिन क्रिकेट कागजों पर नहीं खेला जाता है। इस वजह से मुंबई इस बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी। लीग की अंकतालिका में टीम ने अपनी सम्पूर्ण उर्जा से प्रदर्शन नहीं किया। टीम से ऐसी उम्मीद नहीं थी। ऐसे में टीम के विफल होने के क्या कारण रहे? शुरू में लसिथ मलिंगा की चोट वजह से टूर्नामेंट से बाहर हो गये थे। उसके बाद टीम के स्टार बल्लेबाज़ लेंडल सिमंस को भी चोट की वजह से टीम को छोड़कर जाना पड़ा। मार्टिन गुप्टिल ने सिमंस की जगह ली लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले। जिससे टीम का टॉप आर्डर अच्छा नहीं कर पाया। इस वजह से मुंबई इंडियंस का प्रदर्शन निरंतर गिरता गया। इतिहास गवाह है कि मुंबई इंडियंस की शुरुआत हर सीजन के शुरू में अच्छी नहीं रही है। ऐसे में वह अपना पहला मैच पुणे सुपरजायंटस सी हार गयी। लेकिन मुंबई ने उसके बाद अच्छी पोजीशन बना ली थी। उसके बाद सूखे की वजह से टीम को मुंबई के बजाय विशाखापत्तनम को अपना होम ग्राउंड बनाया। लेकिन टीम का प्रदर्शन निरंतर गिरता गया। हालाँकि टीम ने अप्रैल के अंत तक चार मैच जीतकर अंकतालिका में खुद को मजबूत बना लिया था। लेकिन उसके बाद टीम ढर्रे से फिसलने लगी और जरूर जीतने वाले मैच में वह गुजरात लायंस से हार गयी। इससे पहले वह दिल्ली डेयरडेविल्स को 80 रन से हरा चुके थे। इन दो मैचों ने मुंबई की स्थिति तय कर दी। उसके बाद टीम कभी भी अपनी दिशा खोटी गयी। अंततः टीम प्लेऑफ से बाहर हो गयी। इस सीजन से सकारात्मक बातें: यदि पिछले सीजन में हार्दिक पांड्या टीम के खोज रहे थे। तो इस बार टीम की खोज उनके बड़े भाई क्रुणाल पांड्या रहे। उन्हें मुंबई ने 2 करोड़ में खरीदा। उन्होंने अभी तक एक भी प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेला था। बाएं हाथ का ये विस्फोटक बल्लेबाज़ एक अच्छा खासा बाएं हाथ का स्पिन गेंदबाज़ भी है। दिल्ली के खिलाफ क्रुणाल ने 37 गेंदों ने आतिशी 86 रन बनाये थे। उसके बाद उन्होंने अच्छी गेंदबाज़ी भी की थी। हालाँकि एक दो बार उनकी गेंदों पर रन भी खूब बने। लेकिन फिर भी पांड्या एक अच्छे आलराउंडर हैं। जो बिलकुल अनजान थे। कहां हुईं गलतियां ? टीम ने इस बार महत्वपूर्ण मौके का सही से पहचान नहीं किया जिसकी वजह से वह टूर्नामेंट से बाहर हो गये। सलामी बल्लेबाजों की असफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोहित शर्मा अच्छा खेलते थे। तब भी बाकी खिलाड़ी उसका फायदा नहीं उठा पाते थे। हालाँकि अम्बाती रायडू ने तीसरे कर्म पर प्रभावित किया था। स्टेडियम का बदल जाना टीम के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ। बड़े शॉट मारने वाले खिलाड़ी वानखेड़े के बजाय नये मैदानों पर खुद को ढाल नहीं पाए। जोस बटलर से जो उम्मीदें थीं उस पर वह खरा नहीं उतरे थे। इंग्लैंड का ये विकेटकीपर मैच विनिंग प्रदर्शन करने में असफल रहा। ऐसे में इसका खामियाजा मुंबई को भुगतना पड़ा। इसके आलावा टीम प्रबन्धन ने आलराउंडर कोरी एंडरसन को एक भी मैच में मौका नहीं दिया। जबकि पिछले सीजन में एंडरसन ने कई मैच जिताऊ पारियां खेली थीं। ऐसे में उन्हें बटलर की जगह न देना एक सवालिया निशान छोड़ जाता है। आगे क्या करें यदि प्रबन्धन टीम को आने वाले सीजन में अच्छा प्रदर्शन करवाना चाहती है। तो उन्हें अभी से तयारी शुरू कर देना चाहिए। टीम में जोरदार बल्लेबाज़ी करने की क्षमता है। यदि अगले सीजन में टीम का मध्यक्रम फायर करने में सफल रहा तो चीजें इस बार से काफी अलग होंगी। निर्णय इस सीजन में टीम ने कई निर्णय बड़े उहापोह में लिए। जिपर सवाल बनता है कि लिए तो क्यों लिए। टीम ने मनोरंजन किया, लोगों की भावनाओं को छेड़ा और लोग टीम से नाराज भी हुए। कुल मिलाकर टीम को 10 में से 6 अंक मिलते हैं। लेखक-मनीष, अनुवादक-मनोज तिवारी