आईपीएल 2019 में अपने पहले तीन मैच खेलने के बाद, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर अंक तालिका में सबसे नीचे है। उनका प्रदर्शन भी काफी खराब रहा है और वो सभी 3 मैच हारे हैं। यदि ऐसा ही प्रदर्शन रहा तो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का इस सीज़न में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होगा। यह निश्चित रूप से विराट कोहली और आरसीबी के प्रसंशकों के लिए भी निराशाजनक होगा।
आरसीबी का बल्लेबाज़ी क्रम संघर्ष रहा है और यही वजह है कि बल्लेबाज़ी लाइनअप में लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। तक खेले गये तीनों मैच में आरसीबी ने अलग अलग सलामी जोड़ी मैदान पर उतारी है। इस वजह से शायद आरसीबी की बल्लेबाज़ी क्रम में स्थिरता नहीं आ पा रही है। वहीं गेंदबाजी में उमेश यादव अपनी गेंदबाज़ी से संघर्ष कर रहे हैं और अन्य युवा तेज़ गेंदबाज़ भी कुछ ख़ास नही कर सके है और चहल ही एकमात्र गेंदबाज़ अब तक रहे हैं जो विकेट निकलने में सक्षम नज़र आये हैं।
ऐसे में जब आईपीएल के बाद विश्व कप है तो इंडियन प्रीमियर लीग में हारने से कोहली के आत्मविश्वास पर भी असर पड़ेगा। यह हम ऐसी ही 3 वजहों पर नज़र डाल रहे हैं जिनके चलते यह आईपीएल सीज़न आरसीबी के लिए बेहद खराब हो सकता है।
# 3 अनुभवी भारतीय खिलाड़ियों की कमी
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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के पास अनुभवी भारतीय प्रतिभाओं की कमी है। कुछ को छोड़ दें तो उनके अधिकांश भारतीय खिलाड़ी काफी हद तक अनुभवहीन हैं। अन्य आईपीएल टीमों की तुलना में, आरसीबी टीम के पास भारतीय अनुभव का अभाव है। अक्षदीप नाथ, शिवम दूबे और प्रयास रे बर्मन प्रतिभाशाली युवा हैं लेकिन उनसे इंडियन प्रीमियर लीग में अभी कुछ चमत्कार करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
टीम में अनुभवी भारतीय खिलाड़ी के रूप में सिर्फ कोहली, चहल, पार्थिव और उमेश यादव हैं और इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि विराट कोहली की अगुवाई वाली आरसीबी के पास अपनी बल्लेबाजी और नेतृत्व को मजबूत करने के लिए अनुभव की कमी है। ऐसे में यदि उन्होंने 2019 की नीलामी में पुजारा जैसे खिलाड़ियों को खरीद लेते तो संभवतः चीजें थोड़ी अलग हो सकती थीं।
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# 2 विदेशी खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी
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हर बार आईपीएल में विदेशी खिलाड़ी अपनी टीम के लिए अहम कड़ी होते हैं। किसी भी टीम में विदेशी खिलाड़ी टीम को बना या बिगाड़ सकते हैं।
प्रत्येक मैच में हर टीम में चार विदेशी खिलाड़ियों को जगह दी जा सकती है। यह एक निराशाजनक बात है कि आरसीबी के पास ए बी डिविलियर्स को छोड़कर और कोई भी विश्वसनीय विदेशी खिलाड़ी नही हैं। मोईन अली और कॉलिन डी ग्रैंडहोम पिछले सीज़न में केवल कुछ ही अच्छे प्रदर्शन कर पाए थे। इसके अलावा शिमरोन हेटमायर और हेनरिक क्लासेन के पास प्रतिभा तो है, लेकिन अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन वह आईपीएल में अभी तक कर पाने में असफल रहे हैं।
मार्कस स्टोइनिस और नाथन कुल्टर-नाइल अपनी अंतरराष्ट्रीय और विश्व कप प्रतिबद्धताओं के कारण इस सीज़न में ज्यादा नहीं खेल पाएंगे। टिम साउदी एक प्रतिभाशाली गेंदबाज हैं, लेकिन उनसे भी अन्य गेंदबाजों से थोड़ी भी मदद मिले बिना कुछ ख़ास करने की उम्मीद करना गलत होगा।
ऐसे में अब सवाल यह भी उठता है कि पिछले दो वर्षों में शेन वॉटसन, क्रिस गेल, ब्रेंडन मैकलम और क्विंटन डी कॉक जैसे विदेशी खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला कितना सही था!
# कोहली और डिविलियर्स पर बहुत ज्यादा दबाव
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विराट कोहली और एबी डिविलियर्स विश्व क्रिकेट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं। वे अपने दम पर मैच बनाने और जिताने की क्षमता रखते हैं। वे निश्चित रूप से टीम को अंक तालिका में शीर्ष पर ले जाने के लिए जो भी कर सकते हैं वो करेंगे।
हालांकि, जब दबाव की स्थितियों की बात आती है, तो इन दोनों को टीम में कम अनुभव होने के चलते हमेशा खुद पर दबाव लेना पड़ता है। वैसे तो विराट और डिविलियर्स बल्ले से मैच जीतने के लिए काफी हैं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें उन खिलाड़ियों की कमी जरूर खलेगी जिनके ऊपर वो किसी भी स्थिति में बेहतर प्रदर्शन का भरोसा कर सके और इसके चलते इन दोनों के ऊपर दबाव भी बढ़ता है।
ऐसे में एक बात तो फिलहाल निश्चित है कि जब तक इन दोनों को टीम में शामिल अन्य प्रतिभाओं से साथ नही मिलता, तब तक आरसीबी के लिए ट्रॉफी पर हाथ रखना मुश्किल है।