# 2 विदेशी खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी
हर बार आईपीएल में विदेशी खिलाड़ी अपनी टीम के लिए अहम कड़ी होते हैं। किसी भी टीम में विदेशी खिलाड़ी टीम को बना या बिगाड़ सकते हैं।
प्रत्येक मैच में हर टीम में चार विदेशी खिलाड़ियों को जगह दी जा सकती है। यह एक निराशाजनक बात है कि आरसीबी के पास ए बी डिविलियर्स को छोड़कर और कोई भी विश्वसनीय विदेशी खिलाड़ी नही हैं। मोईन अली और कॉलिन डी ग्रैंडहोम पिछले सीज़न में केवल कुछ ही अच्छे प्रदर्शन कर पाए थे। इसके अलावा शिमरोन हेटमायर और हेनरिक क्लासेन के पास प्रतिभा तो है, लेकिन अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन वह आईपीएल में अभी तक कर पाने में असफल रहे हैं।
मार्कस स्टोइनिस और नाथन कुल्टर-नाइल अपनी अंतरराष्ट्रीय और विश्व कप प्रतिबद्धताओं के कारण इस सीज़न में ज्यादा नहीं खेल पाएंगे। टिम साउदी एक प्रतिभाशाली गेंदबाज हैं, लेकिन उनसे भी अन्य गेंदबाजों से थोड़ी भी मदद मिले बिना कुछ ख़ास करने की उम्मीद करना गलत होगा।
ऐसे में अब सवाल यह भी उठता है कि पिछले दो वर्षों में शेन वॉटसन, क्रिस गेल, ब्रेंडन मैकलम और क्विंटन डी कॉक जैसे विदेशी खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला कितना सही था!