इंग्लैंड (England Cricket team) के पूर्व कप्तान माइक एथरटन (Mike Atherton) ने खेल के नैतिक मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की चुप्पी पर सवाल किया है। जहां एथरटन ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ समय में खिलाड़ी मजबूत हुए हैं, वहीं उन्होंने अफसोस जताया कि क्रिकेट की शासकीय ईकाई को 'सिर्फ इवेंट आयोजन कंपनी' में बदल दिया गया है।
बता दें कि पिछले कुछ समय में क्रिकेट में बोर्ड के बीच बड़े विवाद देखने को मिले हैं। भारतीय टीम ने हाल ही में अपने खेमे में कोविड-19 मामले की चिंता का हवाला देते हुए इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में होने वाला आखिरी टेस्ट नहीं खेला था।
अब आईपीएल में बुधवार को सनराइजर्स हैदराबाद के खेमे में कोविड-19 मामला सामने आया, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ उसका मैच आयोजित हुआ।
इसके अलावा न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ने सुरक्षा चिंता व मानसिक स्वास्थ्य मामलों का हवाला देते हुए पाकिस्तान का दौरा करने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान ने तब इन दोनों देशों का दौरा किया था जब दोनों देश महामारी से जूझ रहे थे।
द टाइम्स डॉट को डॉट यूके में लिखे अपने कॉलम में एथरटन ने आईसीसी पर तंज कसा। आईसीसी ने मैदान के बाहर संबंधित मामलों पर कुछ भी कहने से इंकार किया था, जिस पर एथरटन ने चुटकी ली।
उन्होंने लिखा, 'जब खिलाड़ी ज्यादा शक्तिशाली हुए तो कुछ शासकीय ईकाई कमजोर हो गईं। आईसीसी खेल का कथित रूप से सर्वश्रेष्ठ पावरब्रोकर, एक इवेंट-आयोजन कंपनी तक सीमित हो गया है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'वह अपने इवेंट्स विश्व कप, विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को अच्छी तरह चला रहा है, लेकिन जहां तक खेल के नैतिक मुद्दों की चिंता है तो वहां उसका पक्ष कमजोर है और खेल की दिशा में कम प्रभाव है। आईसीसी के पास कार्यवाहक प्रमुख कार्यकारी जुलाई से है।'
पैसा और मौके ने खिलाड़ियों को शक्तिशाली बनाया: एथरटन
53 साल के माइक एथरटन ने ध्यान दिलाया कि पैसा और फ्रेंचाइजी टी20 लीग ने खिलाड़ियों को पहले से ज्यादा शक्तिशाली बनाया है। एथरटन ने कहा कि क्रिकेटर्स अब खेल के बाहर करियर बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की जरूरत भी नहीं।
उन्होंने कहा, 'दो पहलु के कारण खिलाड़ी पहले से ज्यादा शक्तिशाली हुए हैं। पहला तो पैसा और दूसरा मौका। खिलाड़ियों को टी20 फ्रेंचाइजी लीग से काफी पैसा मिलता है तो उनकी शक्तियों में इजाफा हुआ है।'