महेंद्र सिंह धोनी का नाम भारतीय क्रिकेट की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। जब वो मैदान में आते हैं तब पूरे स्टेडियम के दर्शक उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं। चेन्नई सुपरकिंग्स के मैच में ऐसा नज़ारा अक्सर देखा जाता है, लेकिन किसी भी बड़े भारतीय क्रिकेट सितारे की तरह वो भी विवादों से दूर नहीं रह पाए हैं।
साल 2013 में आईपीएल स्पॉट फ़िक्सिंग की ख़बर आने के बाद धोनी की ख़ामोशी पर काफ़ी सवाल उठे थे। उन्होंने इस घटना से जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दिया था। आईपीएल 2019 में नो बॉल के विवाद पर वे पवेलियन से उठकर मैदान में आ गए थे। हांलाकि इसको लेकर धोनी की काफ़ी आलोचना हुई थी। फिर भी कई मौकों पर उन्होंने क्रिकेट के खेल के प्रति अपना सम्मान ज़ाहिर किया है।
आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की कप्तानी के दौरान धोनी ने बेहतरीन लीडरशिप की मिसाल कायम की है। यहां हम ऐसे 5 मौकों की चर्चा कर रहे हैं जब माही ने अपनी कप्तानी के हुनर की बदौलत हालात चेन्नई के पक्ष में कर लिया था।
#1 आईपीएल 2010 – फ़ील्ड प्लेसमेंट की बदौलत चेन्नई की ख़िताबी जीत
आईपीएल 2010 का फ़ाइनल चेन्नई और मुंबई के बीच हो रहा था। इस मैच में चेन्नई टीम ने 20 ओवर में 168 रन बनाए थे, जिसमें सुरेश रैना ने 35 गेंदों में 57 रन की पारी खेली थी। इसके जवाब में मुंबई की तरफ़ से सचिन तेंदुलकर ताबड़तोड़ रन बनाने लगे। धोनी ने अभिषेक नायर को रन आउट कर दिया और सौरभ तिवारी क्रीज़ पर आ गए। सौरभ तिवारी उस आईपीएल सीज़न में फ़ॉम में थे और काफ़ी रन बना रहे थे।
धोनी ने रैना को डीप मिड विकेट पर फ़ील्डिंग के लिए भेजा, जहां सौरभ अकसर शॉट लगाते थे। सौरभ के शॉट को रैना ने लपक लिया। जब मुंबई की तरफ़ से पोलार्ड शॉट लगाने लगे तब धोनी ने स्ट्रेट मिड ऑफ़ और लॉन्ग ऑन में फ़ील्डर लगा दिए। पोलार्ड का कैच मिड ऑफ़ में हेडन ने लपक लिया और मैच चेन्नई के कब्ज़े में आ गया। धोनी की सूझ-बूझ ने चेन्नई सुपरकिंग्स को पहला आईपीएल ख़िताब जिता दिया।
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#2 आईपीएल 2012 – सचिन की असहजता पर वार
चेन्नई सुपरकिंग्स ने अपने हर आईपीएल सीज़न में प्लेऑफ़ में जगह बनाई है। साल 2012 के आईपीएल के इलिमिनेटर मैच में चेन्नई का सामना मुंबई से हो रहा था। चेन्नई ने पहले बल्लेबाज़ी करना शुरू किया, लेकिन उसके 2 बल्लेबाज़ महज़ 1 रन पर पवेलियन वापस लौट गए। इसके बाद एस बद्रीनाथ और माइक हसी ने मिलकर 94 रन जोड़े। फिर ड्वेन ब्रावो और धोनी ने चेन्नई के स्कोर को 187 रन तक पहुंचा दिया।
इसके बाद मुंबई इंडियंस की तरफ़ से सचिन तेंदुलकर बल्लेबाज़ी करने आए। चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सभी को चौंकाते हुए नई गेंद शादाब ज़काती को दे दी। धोनी ये जानते थे कि सचिन बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ असहज महसूस करते हैं। धोनी की ये रणनीति काम कर गई। सचिन स्ट्राइक रोटेट करने के क्रम में रन आउट हो गए। चेन्नई ने ये मैच 38 रन से अपने नाम किया।
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#3 आईपीएल 2018 – अंबाती रायडू के बैटिंग पोज़ीशन में बदलाव
चेन्नई टीम के मालिक और फ़ैंस आईपीएल 2018 का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, क्योंकि ये टीम 2 साल का बैन झेलने के बाद आईपीएल में वापसी करने वाली थी। चेन्नई टीम मैनेजमेंट ने महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना और रविन्द्र जडेजा को फिर से टीम में शामिल कर लिया।
उस साल चेन्नई में अंबाती रायडू भी शामिल किए गए थे, जो पहले मुंबई टीम में निचले क्रम में बल्लेबाज़ी करते थे। धोनी ने साहसिक फ़ैसला लेते हुए रायडू को ओपनिंग के लिए भेजना शुरू किया। वो ओपनिंग करते हुए टीम को मज़बूत शुरुआत देने लगे। टूर्नामेंट में आगे धोनी ने रायडू को चौथे नंबर पर भेजा। रायडू ने साल 2018 के आईपीएल में 602 रन बनाए, जिसमें एक शतक शामिल था। धोनी के फ़ैसले ने चेन्नई और रायडू के भाग्य को बदल दिया।
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#4 आईपीएल 2011 – अश्विन ने रोका गेल का तूफ़ान
आईपीएल 2011 के दौरान धोनी के हौंसले बुलंद थे, क्योंकि उन्होंने उसी साल टीम इंडिया को 28 साल बाद वर्ल्ड कप जिताया था। चूंकि वर्ल्ड कप भारत की धरती पर ही हुआ था, इसलिए देश के दर्शकों को लाइव एक्शन का ख़ुमार चढ़ा हुआ था। उस आईपीएल सीज़न में पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टसकर्स केरला जैसी नई टीम भी आई थी, इसलिए दर्शकों का उत्साह सातवें आसमान पर था।
साल 2011 का फ़ाइनल मुक़ाबला चेन्नई और आरसीबी के बीच था। चेन्नई की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा क्रिस गेल लग रहे थे, क्योंकि उस सीज़न में गेल के तूफ़ान का ख़ौफ़ हर टीम के बीच दिख रहा था। धोनी ने नई गेंद रविचंद्रन अश्विन को दे दी और अश्विन ने ऑफ़ ब्रेक गेंद फेंकनी शुरू की। अश्विन की गेंद पर गेल के बल्ले का बाहरी किनारा लगा जिसे धोने ने स्टंप के पीछ कैच कर लिया।
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#5 आईपीएल 2015 – आशीष नेहरा को चेन्नई टीम में चुना गया
साल 2013 तक चेन्नई टीम ने आईपीएल पर दबदबा बना लिया था, ये टीम उस वक़्त 2 आईपीएल जीत चुकी थी। अब आईपीएल सीज़न 7 के लिए खिलाड़ियों की नए सिरे से नीलामी हो रही थी। नीलामी के दौरान पीली आर्मी के ज़्यादातर प्लेयर सभी टीम के मालिकों के निशाने पर थे। इसके बाद चेन्नई टीम मैनेजमेंट ने एक मज़बूत बैटिंग कॉम्बिनेशन तैयार कर ली।
अब जब गेंदबाज़ों को चुनने का वक़्त आया तो चेन्नई टीम ने सीनियर गेंदबाज़ आशीष नेहरा को लीड बॉलर चुना। कई लोगों ने चेन्नई के इस फ़ैसले का जमकर मज़ाक उड़ाया। साल 2014 में नेहरा ने चेन्नई के लिए सिर्फ़ 4 मैच खेले लेकिन 2015 के सीज़न में उन्होंने कमाल कर दिया। नेहरा पूरे सीज़न में 7.24 की इकॉनमी रेट से 22 विकेट हासिल किए। इसी प्रदर्शन की बदौलत नेहरा एक बार फिर टीम इंडिया में शामिल हुए थे।
लेखक- सिद्धार्थ अर्जुन
अनुवादक- शारिक़ुल होदा
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