भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी कृष्णमाचारी श्रीकांत ने 1983 वर्ल्ड कप के फाइनल को लेकर अहम खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि पहली पारी में 183 रनों पर आउट होने के बाद भारतीय टीम के किसी खिलाड़ी को यकीन नहीं था कि हम वेस्टइंडीज को हराकर वर्ल्ड कप जीत सकते हैं। भारत ने लीग स्टेज में वेस्टइंडीज को हराया था, लेकिन फाइनल में बात अलग थी। वेस्टइंडीज की टीम दो वर्ल्ड कप जीत चुकी थी और उनका लगातार तीसरा फाइनल था।
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हालांकि कप्तान कपिल देव द्वारा दी गई पेप टॉक ने प्रेरित किया और डिफेंडिंग चैंपियन को 140 रनों पर ढेर करते हुए भारत ने 43 रनों से वर्ल्ड कप को जीतते हुए भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया।
कृष्णमाचारी श्रीकांत ने स्टार स्पोर्ट्स 1 तमिल शो 1983 वर्ल्ड कप के बारे में बात करते हुए कहा,
"वेस्टइंडीज टीम की बल्लेबाजी को देखते हुए 183 का स्कोर बिल्कुल भी काफी नहीं था। लेकिन कपिल देव ने यह नहीं कहा कि हम जीत सकते हैं ,बल्कि उन्होंने कहा कि हमने 183 रन बनाए हैं और आसानी से इस मैच को जाने नहीं देना।"
वेस्टइंडीज के खिलाफ हुए फाइनल में आईकॉनिक मोमेंट देखने को मिला था, जब कपिल देव ने बाउंड्री की तरफ भागते हुए बेहतरीन कैच पकड़ा था और सर विवियन रिचर्ड्स को आउट करते हुए मैच का रुख बदला था। कृष्णमाचारी श्रीकांत ने कहा कि टूर्नामेंट में अंडरडॉग होने के कारण उनके ऊपर ज्यादा दबाव नहीं था।
25 जून 1983 को लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 54.4 ओवरों में 183 रनों पर ऑलआउट हो गई। भारत के लिए श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए थे, तो मोहिंदर अमरनाथ ने 26 रनों का योगदान दिया। लक्ष्य का पीछा करते हुए 52 ओवरों में 140 रनों पर ढेर हो गई और भारत 43 रनों से फाइनल को जीत गया।
भारत के लिए फाइनल में मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल ने सबसे ज्यादा 3-3 विकेट लिए। अमरनाथ को उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ मैच चुना गया था। भारत की टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता था और 1983 में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद से ही भारतीय टीम की दिशा और दशा में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला।
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