क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट वर्ल्ड कप होता है, जिसका आयोजन 4 साल में एक बार होता है। 1975 में वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी और तब से अभी तक वर्ल्ड कप के 12 संस्करण हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया (1987, 1999, 2003, 2007 और 2015) ने सबसे ज्यादा 5 बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता है।
इसके अलावा वेस्टइंडीज (1975) और भारत (1983 और 2011) ने 2-2 बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता है।इंग्लैंड (2019) , श्रीलंका (1996) और पाकिस्तान (1992) की टीमें एक-एक बार वर्ल्ड कप जीत चुकी हैं। इंग्लैंड मौजूदा चैंपियन भी हैं।
यह भी पढ़ें: भारतीय खिलाड़ी जो फिल्मों में अपने ही किरदार में नजर आए
आपको बता दें कि अभी तक तीन एशियाई टीमों (भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका) ने वर्ल्ड कप का खिताब जीता है। 1983, 1992, 1996 और 2011 में एशियाई टीमों ने क्रिकेट का सबसे बड़ा खिताब अपने नाम किया है। इन वर्ल्ड कप में दिग्गज खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को खिताबी जीत दिलाने में अहम भूमिका भी निभाई।
इस आर्टिकल में वर्ल्ड कप जीतने वाली एशियाई टीमों की ऑलटाइम इलेवन पर नजर डालेंगे:
नोट: इसमें खिलाड़ी 1983, 1992, 1996 और 2011 की टीमों से ही खिलाड़ियों को लिया गया है
#) सलामी बल्लेबाज
सनथ जयसूर्या (221 रन और 7 विकेट)
श्रीलंका के दिग्गज बल्लेबाज सनथ जयसूर्या का प्रदर्शन गेंद और बल्ले दोनों के साथ 1996 वर्ल्ड कप में अच्छा रहा था। बल्ले के साथ उन्होंने 6 मैचों में 2 अर्धशतकों की मदद से 221 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 131.54 का रहा था। गेंद के साथ जयसूर्या ने 1996 वर्ल्ड कप में 33 की औसत से 7 विकेट लिए थे। सनथ जयसूर्या 1996 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे।
सचिन तेंदुलकर
भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर अपने करियर में 6 वर्ल्ड कप खेले, लेकिन इसे जीतने का सपना उनका 2011 में पूरा हुआ। इस वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे और 2011 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे स्थान पर थे। सचिन ने 9 मैचों में 53 के ऊपर की औसत से 482 रन बनाए।
उन्होंने इस वर्ल्ड कप में 2 शतक और 2 अर्धशतक लगाए। इस टीम के ओपनर सनथ जयसूर्या और सचिन तेंदुलकर से अच्छे नहीं हो सकते थे। तेंदुलकर 2011 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में मैन ऑफ द मैच भी थे।
#) मध्यक्रम
मोहिंदर अमरनाथ
मोहिंदर अमरनाथ 1983 वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में तीसरे नंबर पर रहे और विकेट लेने के मामले में चौथे स्थान पर रहे। अमरनाथ ने 8 मैचों में 237 रन बनाए, तो गेंद के साथ उन्होंने 8 विकेट चटकाए। वो सेमीफाइनल और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच भी रहे थे।
जावेद मियांदाद
पाकिस्तान के दिग्गज जावेद मियांदाद 1992 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने टूर्नामेंट में 9 मैचों में 62 से ज्यादा की औसत और 5 अर्धशतकों की बदौलत 437 रन बनाए। इसके अलावा सेमीफाइनल और फाइनल में अपनी टीम के लिए उपयोगी पारियां खेली थी।
अरविंद डी सिल्वा
1996 वर्ल्ड कप में अरविंद डी सिल्वा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। उन्होंने 6 मैचों में शतक और 2 अर्धशतक की मदद से 448 रन बनाए और गेंद के साथ 4 विकेट भी लिए। इसके अलावा वो सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में प्लेयर ऑफ द मैच भी रहे थे। फाइनल में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गेंद के साथ 3 विकेट लिए थे और शानदार शतक भी जड़ा था।
#) ऑलराउंडर और विकेटकीपर
युवराज सिंह
2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह का प्रदर्शन गेंद और बल्ले दोनों के साथ जबरदस्त रहा था। उन्होंने 9 मैचों में 4 अर्धशतक और एक शतक की बदौलत 362 रन बनाए और साथ ही में गेंद के साथ 15 विकेट भी चटकाए। उन्होंने एक मैच में 5 विकेट हॉल भी लिया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में वो प्लेयर ऑफ द मैच बने थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी चुना गया था।
महेंद्र सिंह धोनी (विकेटकीपर)
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इस टीम के विकेटकीपर होंगे। धोनी ने 2011 वर्ल्ड कप में 48 से ज्यादा की औसत से 241 रन बनाए। उन्होंने सिर्फ एक अर्धशतक लगाया और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 91* रन रहा। उन्हें फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।
कपिल देव (कप्तान)
भारत को 1983 में वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान कपिल देव के बिना यह टीम अधूरी रहती। कपिल देव इस टीम के भी कप्तान होंगे। 1983 वर्ल्ड कप में कपिल देव भारत की तरफ से सबसे ज्यादा (303) रन बनाने वाले खिलाड़ी थे और गेंद के साथ उन्होंने 12 विकेट चटकाए। उन्होंने वर्ल्ड कप में बेहतरीन ऑलराउंड प्रदर्शन करके दिखाया।
#) गेंदबाज
रोजर बिन्नी
1983 में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भारत के रोजर बिन्नी ही थे। बिन्नी ने 8 मैचों में 18.66 की औसत से 18 विकेट लिए। बल्ले के साथ रोजर बिन्नी ने 6 पारियों में 73 भी बनाए थे। गेंद के साथ उनका बेस्ट प्रदर्शन 29 रन देकर 4 विकेट लेना रहा।
वसीम अकरम
1992 वर्ल्ड कप में वसीम अकरम ने पाकिस्तान को पहली बार वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। वसीम अकरम ने 10 मैचों में 18.77 की औसत से 18 विकेट लिए और वो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। अकरम 1992 वर्ल्ड कप के फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच भी बने थे।
जहीर खान
जहीर खान 2011 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में सयुंक्त रूप से पहले स्थान पर रहे। उन्होंने 9 मैचों में 18.76 की औसत से 21 विकेट लिए। जहीर खान की सबसे खास बात रही कि उन्होंने हर बार टीम को मुश्किल हालात में विकेट निकालकर दिया और वो 2011 में मिली जीत के अंडररेटिड खिलाड़ियों में से एक रहे।