विश्वकप 2019 भले ही समाप्त हो चुका है लेकिन जिस तरह से इस विश्वकप का समापन हुआ और इंग्लैंड ने फाइनल मैच जीता, वह अभी तक एक सवाल बना हुआ है। अभी एक दिन पहले ही जहां इंग्लैंड के कप्तान इयोन मॉर्गन ने इस तरह की जीत से नाखुशी जाहिर की थी। वहीं अब इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के विश्वकप फाइनल मैच में अंपायरिंग करने वाले कुमार धर्मसेना ने भी बड़ा बयान दिया है।
कुमार धर्मसेना का कहना है कि वह मैच के अंतिम ओवर में ओवरथ्रो के बाद इंग्लैंड को पांच के बजाए छह रन देने वाले फैसले को न ही कभी भूल पाएंगे और उन्हें इस फैसले का कोई पछतावा नहीं। उन्होंने कहा है कि यह एक सामूहिक फैसला था, जिस पर मुझे सहमत होना पड़ा। धर्मसेना ने इस फैसले में हुई गलती को स्वीकर तो किया है लेकिन किसी भी तरह का पछतावा होने से इंकार कर दिया।
धर्मसेना का कहना है कि लोगों के लिए टीवी पर मैच रिप्ले देखने के बाद टिप्पणी करना आसान है लेकिन हमारे पास मैदान में टीवी रिप्ले उपलब्ध नहीं होता। उन्होंने कहा है कि इस फैसले पर मुझे कभी भी पछतावा नहीं होगा और आईसीसी ने भी मेरे इस फैसले पर मेरी प्रशंसा की थी। इस मामले को लेकर खेलने की स्थिति के कानून 19.8 का हवाला भी दिया गया।
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जिसके मुताबिक गप्टिल का थ्रो जाने से पहले ही स्टोक्स और आदिल रशीद को दो रन पूरा कर लेना चाहिए था लेकिन जब गप्टिल ने थ्रो किया, तो गेंद स्टोक्स के बल्ले से लगकर बाउंड्री लाइन की तरफ चली गई थी। गौरतलब हो कि सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज जेसन रॉय को आउट देने पर भी कुमार धर्मसेना के फैसले की आलोचना हुई थी।
उन्होंने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि हमारे पास फैसले लेने के लिए बहुत सी चीजें थीं। हमें यह भी देखना था कि बैट्समैन ने रन पूरा किया है कि नहीं, हमें यह भी देखना था कि गेंद को फील्ड किया गया है या नहीं और अगर गेंद फेंकी गई है, तो यह थ्रो किधर जाएगा। इस फैसले में हम सभी खुश थे, क्योंकि हमें लगा कि बेन स्टोक्स ने दूसरा रन पूरा कर लिया था।
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