भारतीय टीम लगातार दस टी-20 सीरीज़ जीतने के बाद 11 वीं सीरीज़ जीत कर इतिहास रचने में नाकाम रही।
रविवार को मेज़बान न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए निर्णायक मैच में भारत को सिर्फ 4 रनों से हार का सामना करना पड़ा और न्यूजीलैंड ने भारत को 2-1 से हराकर टी 20 सीरीज़ अपने नाम कर ली। इस सीरीज़ में खेला गया पहला टी-20 तो पूरी तरह से एकतरफा रहा था और मेज़बान टीम ने भारत को 80 रनों से हराया था लेकिन, दूसरे मैच में भारत ने वापसी की और सीरीज़ को 1-1 से बराबर कर दिया।
तीसरे और अंतिम टी-20 में भारत के पास न्यूजीलैंड की धरती पर अपनी पहली टी-20 सीरीज़ जीतने का सुनहरी मौका था लेकिन इस मैच में भारतीय गेंदबाज़ों ने बहुत निराश किया और मेज़बान टीम ने निर्धारित 20 ओवरों में 212 रन बना डाले।
इससे बल्लेबाजों पर दबाव आ गया, हालाँकि उन्होंने कड़ी मेहनत की लेकिन फिर भी भारत को हार से नहीं बचा पाए।
यह पहली बार भी है जब भारत ने टी-20 सीरीज़ का निर्णायक मैच गंवाया है। रोहित एक कप्तान के रूप में अच्छे फैसलों के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस सीरीज़ में उन्होंने तीन ऐसे फैसले किये जो भारत की हार का कारण बने। तो आइये जानते हैं इन तीन फैसलों के बारे में:
#3. विजय शंकर से गेंदबाज़ी ना करवाना
एक आलराउंडर के रूप में टीम में शामिल किये गए विजय शंकर ने इस टी-20 सीरीज़ में एक बार भी गेंदबाज़ी नहीं की।
तमिलनाडु के ऑलराउंडर शंकर बल्ले के साथ-साथ अपनी गेंदबाज़ी के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने घरेलू सर्किट में शानदार गेंदबाजी की है और कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किये हैं। कप्तान रोहित ने इस सीरीज के तीनों मैचों में उन्हें टीम में शामिल किया लेकिन सिर्फ एक बल्लेबाज़ की हैसियत से।
यह बात तो समझ में आती है कि जब पाँचों गेंदबाज़ बहुत बढ़िया गेंदबाज़ी कर रहे हैं तो छठे गेंदबाज़ को गेंद थमाना कोई समझदारी की बात नहीं है लेकिन जब विपक्षी टीम लगभग सभी गेंदबाज़ों की ही धुनाई कर रही है तो शंकर से गेंदबाज़ी क्यों नहीं करवाई गई, खासकर, जब आखिरी मैच में क्रुणाल पांड्या और खलील अहमद काफी महंगे साबित हो रहे थे। पांड्या ने अपने 4 ओवरों के स्पेल में 54 रन लुटा डाले थे, लेकिन कप्तान रोहित ने उन्हें हटाकर विजय शंकर से गेंदबाज़ी करवाना ज़रूरी नहीं समझा। अगर उन्होंने इस युवा आलराउंडर को एक मौका दिया होता तो शायद मैच का परिणाम भारत के पक्ष में होता।
#2 कुलदीप यादव को सिर्फ एक मैच खिलाना
न्यूजीलैंड की टीम हमेशा कलाई के स्पिनरों के खिलाफ कमजोर साबित हुई है। कीवी टीम ने खासकर कुलदीप यादव के खिलाफ रन बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया। यही कारण था कि भारत ने मेज़बान टीम के खिलाफ 4-1 से वनडे सीरीज जीती थी। इस चाइनामैन गेंदबाज़ ने एकदिवसीय श्रृंखला में दो बार चार विकेट चटकाने का कारनामा किया था।
लेकिन इस सबके बावजूद, टी-20 सीरीज़ के पहले दो मैचों में उन्हें अनदेखा करना आश्चर्य की बात थी हालाँकि, अंतिम टी-20 मैच में उन्हें आखिरकार अंतिम एकादश में जगह मिली। कुलदीप ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए अपने 4 ओवरों के स्पेल में 26 रन देकर 2 महत्वपूर्ण विकेट हासिल किये।
भारतीय गेंदबाज़ों में सिर्फ वहीं ऐसे गेंदबाज़ थे जिन्होंने कीवी बल्लेबाज़ों पर अंकुश लगाया। तो यह बात एकदम साफ़ है कि अगर भारत ने कम से कम पहले टी-20 में ही उन्हें खेलने का मौका दिया होता तो भारत पहले ही यह टी-20 सीरीज़ जीत गया होता।
# 3 बहुत सारे ऑलराउंडरों को खिलाना
ऑलराउंडर खिलाडियों को टीम में खिलाना अच्छी बात है लेकिन यह टीम संयोजन को प्रभावित कर सकता है। भारत ने क्रुणाल, हार्दिक पांड्या और विजय शंकर को अंतिम ग्यारह में जगह दी।
इस सीरीज में भारत के पास स्पष्ट रूप से गेंदबाजी की कमी नज़र आई और ऐसे हरफनमौला खिलाड़ियों को टीम में शामिल करना जो गेंदबाज़ी भी कर सकते हो, भी अपेक्षित नतीजे नहीं दे सका। भारत को एक ऐसे विशेषज्ञ गेंदबाज की ज़रूरत थी जो टीम में संतुलन ला सके।
भारत के शीर्ष तीन गेंदबाजों ने इस सीरीज़ में काफी रन लुटाये और विकेट लेने भी नाकाम रहे। लचर गेंदबाज़ी की नतीजा यह हुआ कि मेज़बान टीम दो बार 210 रनों का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही। इससे भारतीय बल्लेबाजों पर भी दबाव बढ़ गया और लक्ष्य का पीछा करते हुए कोई भी बल्लेबाज़ अपनी पारी को बड़े स्कोर में बदलने में नाकाम रहा, खासकर पहले और आखिरी टी-20 में। इसके अलावा, क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि आखिरी मैच में कप्तान रोहित को क्रुणाल पांड्या की जगह युजवेंद्र चहल को टीम में जगह देनी चाहिए थी।
लेखक: ब्रोकनक्रिकेट अनुवादक: आशीष कुमार