क्रिकेट के 10 नियम को बदलना चाहते हैं पूर्व बल्लेबाज, 100 मी के छक्के पर भी बयान

किरोन पोलार्ड
किरोन पोलार्ड

टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा क्रिकेट विश्‍लेषक आकाश चोपड़ा ने क्रिकेट में 10 कानून को बदलने की मांग की है। चोपड़ा चाहते हैं कि 100 मीटर से ज्‍यादा लंबे छक्‍के पर 6 नहीं बल्कि 8 रन दिए जाना चाहिए। आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो के जरिये ये सलाह दी है।

पिछले कुछ समय में एलबीडब्‍ल्‍यू कानून को लेकर काफी विचार-विमर्श हुआ, विशेषकर अंपायर कॉल के बारे में। कुछ अन्‍य कानून भी हैं, जिससे कई क्रिकेट पंडित काफी नाराज भी हुए हैं।

आकाश चोपड़ा चाहते हैं कि लंबे-लंबे शॉट लगाने वाले किरोन पोलार्ड और आंद्रे रसेल जैसे शक्तिशाली बल्‍लेबाज अगर 100 मीटर से दूर गेंद को भेजे तो उन्‍हें अतिरिक्‍त रन मिलना चाहिए। चोपड़ा ने कहा, '100 मीटर से ज्‍यादा लंबे छक्‍के पर 8 रन मिलना चाहिए। बड़े छक्‍के जमाने के कुछ फायदे मिलने चाहिए। मैं 90 मीटर नहीं कह रहा, मैं 100 मीटर बोल रहा हूं। आपको 100 मीटर छक्‍का जड़ने के लिए काफी ताकत की जरूरत होती है। यह कुछ लीग या अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में लागू होना चाहिए, मुझे नहीं पता।'

क्रिकेट से कमेंटेटर बने आकाश चोपड़ा चाहते हैं कि वनडे मैच में दोनों छोर से एक ही गेंद का उपयोग हो। उन्‍होंने कहा, 'जब आप वनडे क्रिकेट की बात करते हैं तो यह दो गेंदों से खेला जाता है। एक छोर से गेंद 25 ओवर पुरानी ही होती है। एक समय था जब पूरे 50 ओवर में एक ही गेंद का उपयोग होता था और तब गेंद रिवर्स स्विंग होती थी। स्पिनर्स भी ऐसी गेंद चाहते हैं, जो 35 ओवर पुरानी हो। तो आपको सिर्फ एक गेंद से ही खेलना चाहिए।'

बल्‍लेबाज के सिर के ऊपर से जाने वाली शॉर्ट गेंद को वाइड करार दिया जाता है। आकाश चोपड़ा का मानना है कि ओवर में इसे फिर बाउंसर नहीं माना जाना चाहिए।

चोपड़ा ने कहा, 'अगर कोई बाउंसर सिर के ऊपर से गई और अंपायर ने उसे वाइड दिया तो इसे बाउंसर के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए। यह पहले ही खराब गेंद हो चुकी है और बाउंसर ऐसे में खराब नहीं होनी चाहिए। टी20 क्रिकेट में एक बार बाउंसर सिर के ऊपर गई, बल्‍लेबाज आगे जा सकता है या किसी भी प्रकार का शॉट खेल सकता है तो गेंदबाज के हाथ बंधे होते हैं।'

पूर्व भारतीय बल्‍लेबाज साथ ही चाहते हैं कि क्रिकेट को लेग बाय से दूरी बना लेनी चाहिए। उन्‍होंने कहा, 'लेग बाय से दूरी बना ले। यह गेंद और बल्‍ले का खेल है न कि पैड का। बल्‍लेबाज जब बीट हो गया है तो टीम को ऐसे में रन क्‍यों मिले। ऐसा नहीं होना चाहिए।'

आकाश चोपड़ा चाहते हैं कि अंपायर बल्‍लेबाज को आउट देने से पहले डेड बॉल घोषित करने का इंतजार करे। उन्‍होंने कहा, 'अंपायर को आउट देने से पहले गेंद को डेड बॉल घोषित करने का इंतजार करना चाहिए। अगर अंपायर ने बल्‍लेबाज को गलत आउट दिया और गेंद बाउंड्री पार चली गई, चूकि अंपायर आउट दे चुका है तो गेंद डेड बॉल घोषित हो जाती है और आपको रन नहीं मिलते हैं।'

आकाश चोपड़ा ने कहा कि विश्‍व कप फाइनल जैसे अहम मुकाबलों में अंपायरिंग की गलती के कारण वो रन बहुत खलते हैं।

आकाश चोपड़ा ने पांच अन्‍य क्रिकेट कानून बदलने को कहा

आकाश चोपड़ा का मानना है कि सीमित ओवर क्रिकेट में अगर गेंदबाज कुछ विकेट निकालता है तो उसके कोटे का एक ओवर बढ़ाना चाहिए। उन्‍होंने ध्‍यान दिलाया कि राशिद खान, जसप्रीत बुमराह और जोफ्रा आर्चर को विकेट देने में टीम कतराती है। उन्‍होंने कहा, 'एक गेंदबाज जो सफेद गेंद क्रिकेट में दो विकेट ले, उसे एक अतिरिक्‍त ओवर मिलना चाहिए। एक बल्‍लेबाज पूरे 20 या 50 ओवर खेल सकता है, लेकिन गेंदबाज सिर्फ 4 या 10 ओवर ही कर सकता है। इसलिए अगर गेंदबाज उस दिन सफल है तो कप्‍तान के पास विकल्‍प होना चाहिए कि वह उसे अतिरिक्‍त ओवर दे।'

43 साल के चोपड़ा चाहते हैं कि 30 यार्ड के घेरे में एक समय के बाद अतिरिक्‍त फील्‍डर लगाया जाए। उन्‍होंने कहा, 'टी20 और वनडे में एक समय के बाद घेरे में एक अतिरिक्‍त फील्‍डर होना चाहिए। इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। सभी टीमों को यह पसंद आएगा।'

आकाश चोपड़ा का मानना है कि अगर एलईडी बेल्‍स चमके तो बल्‍लेबाज को आउट दिया जाना चाहिए, भले ही गिल्लियां नहीं गिरे। उन्‍होंने कहा, 'अगर एलईडी स्‍टंप्‍स लाइट जले तो उसे आउट दिया जाना चाहिए। जिंग गिल्‍ली हावी होती है और कई बार लाइट चमकती है जबकि बेल्‍स नहीं गिरती। वो चमकती ही तब है जब कनेक्‍शन नहीं हो। तो कृपया गेंदबाज को सजा मत दीजिए।'

पूर्व ओपनर का मानना है कि सॉफ्ट सिगनल 30 यार्ड के घेरे तक में देने की अनुमति होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा, '30 यार्ड के बाहर सॉफ्ट सिगनल नहीं देना चाहिए। मैं इसको घेरे तक समझ सकता हूं, लेकिन यह समय की बर्बादी है। कैसे अंपायर पता करेगा कि पैर बाउंड्री पर लगा या नहीं?'

आकाश चोपड़ा चाहते हैं मैदानी अंपायर के पास प्रावधान हो कि जरूरत पड़ने पर वह तीसरे अंपायर से सलाह ले सके। उन्‍होंने कहा, 'मैदानी अंपायर के पास संदेह की स्थिति में तीसरे अंपायर से मदद लेने का प्रावधान होना चाहिए। इस तरह के दृश्‍य में सबूत की जरूरत होती है कि आउट है या नहीं।' वो चाहते हैं कि तीसरे अंपायर को अधिकार मिलना चाहिए कि वह मैदान पर लिए गए गलत फैसले को सही कर सके।

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