भारतीय टीम जब भी विदेश में जाती है तो उनके सामने स्पिन विभाग में चयन सम्बन्धी समस्या जरूर होती है कि रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) को खिलाया जाए या फिर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) को शामिल किया जाए। दोनों ही खिलाड़ियों में ऑलराउंडर के रूप में खेलने की काबिलियत है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व भारतीय स्पिनर निखिल चोपड़ा ने भी अपनी राय दी है और उनका मानना है कि विदेशों में ऑलराउंडर के रूप में जडेजा ही हमेशा पहली पसंद होंगे।
भारतीय टीम विदेशों में चार तेज गेंदबाज और एक स्पिनर का टेम्पलेट फॉलो करती है। इसी वजह से प्लेइंग XI में जडेजा और अश्विन में से किसी एक को ही मौका मिलता है और ज्यादातर बाएं हाथ का ऑलराउंडर ही बाजी मारता है।
रविंद्र जडेजा की बल्लेबाजी में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तरीके से सुधार हुआ है और इसीलिए टीम मैनेजमेंट नंबर 7 पर ऑलराउंडर के रूप में उन्हें मौका देती है।
खेलनीति पॉडकास्ट पर निखिल चोपड़ा ने बताया कि किस तरह जडेजा की जल्दी से ओवर डालने की काबिलियत भारत को ओवर रेट बनाये रखने में मदद करती है। उन्होंने कहा,
आप वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में धीमे ओवर रेट की वजह से पॉइंट्स भी गंवा सकते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जडेजा खेलें क्योंकि वह अपने ओवर जल्दी खत्म करते हैं और तेज गेंदबाजों को अतिरिक्त समय देते हैं। इसलिए वह कॉम्बिनेशन में पूरी तरह फिट बैठते हैं।
वह हमेशा विदेशों में आपकी पहली पसंद रहेंगे क्योंकि जडेजा अपने ओवर जल्दी खत्म करते हैं और बल्लेबाजी में भी निरंतरता के साथ योगदान देते हैं। इससे टीम का संतुलन काफी अच्छा रहता है।
विदेशों में जडेजा और अश्विन का एक साथ खेलना मुश्किल है - राजकुमार शर्मा
विराट कोहली के बचपन के कोच राजकुमार शर्मा का भी मानना है कि घर के बाहर इन दोनों प्रमुख खिलाड़ियों का एक साथ खेलना काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वहां की परिस्थितियां काफी अलग होती हैं और इसी वजह से एक स्पिनर को ही मौका मिलता है। शर्मा ने कहा,
यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको सेना (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) देशों में किस तरह के विकेट मिलेंगे। अगर वहां के विकेट तेज गेंदबाजी के अनुकूल हैं तो भारत चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलेगा। इसलिए इन दोनों स्पिनरों के लिए एक साथ खेलना मुश्किल होगा जब तक कि विकेट धीमा ना हो।