मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के हेड कोच महेला जयवर्धने (Mahela Jayawardene) का मानना है कि मैच के दौरान अगर मैदानी अंपायर कमर से ऊंची 'नो बॉल' पर गलत फैसला देता है तो थर्ड अंपायर को इसमें दखल देना चाहिए। जयवर्धने का मानना है कि आईसीसी (ICC) क्रिकेट समिति को इस पर विचार करना चाहिए कि मैदानी अंपायर को अलर्ट करने के लिए थर्ड अंपायर दखलअंदाजी करे या नहीं।
महेला जयवर्धने ने दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच हाल ही में हुए मैच के बाद यह बात कही है। दिल्ली और राजस्थान के बीच मुकाबले में नो बॉल को लेकर ड्रामा हुआ था। ओबेड मैकॉय की फुलटॉस गेंद पर रोवमैन पॉवेल ने मिडविकेट की दिशा में छक्का लगाया, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स खेमे ने कमर के ऊपर की नो बॉल की अपील की। अंपायर ने यह अपील नहीं मानी। काफी ड्रामा के बाद खेल दोबारा शुरू हुआ और दिल्ली को 15 रन से शिकस्त मिली।
श्रीलंका के पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने ने 'द आईसीसी रिव्यू' में कहा, 'शायद, अंपायरों ने भी गलत ही समझा। मगर नियम कहते हैं कि आप इन चीजों की जांच के लिये तीसरे अंपायर के पास नहीं जा सकते। मुझे लगता है कि यह ऐसी चीज है जिसके बारे में बातचीत करनी होगी कि क्या इसमें तीसरे अंपायर की भूमिका होनी चाहिए कि वह मुख्य अंपायरों को बताये कि इस गेंद को आपको चेक करना चाहिए।'
याद हो कि अंपायर के नो बॉल नहीं देने से दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत काफी गुस्सा हुए और उन्होंने अपने दोनों बल्लेबाजों को बाहर आने का इशारा किया था। सहायक कोच प्रवीण आमरे मैदान में अंपायर से इस बारे में बातचीत करने पहुंच गई थे।
आईपीएल समिति ने फिर पंत और आमरे पर मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया था। प्रवीण आमरे पर एक मैच का प्रतिबंध भी लगा था। शार्दुल ठाकुर पर भी मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगा था।
जयवर्धने ने कहा, 'लेकिन खेल भावना और मैच को आगे बढ़ते देखने के लिये, किसी भी कोच या किसी भी खिलाड़ी का मैदान पर आना विकल्प नहीं है। हमें आईपीएल में 'स्ट्रेटेजिक टाइम-आउट' में यह मौका दिया जाता है और केवल इसी समय में कोच या कोई अन्य मैदान में आ सकता है।'
आईसीसी के मौजूदा नियमों के मुताबिक तीसरा अंपायर सभी फ्रंट फुट नो बॉल पर नजर रखता है।