Gautam Gambhir Talks About Importance of Aggression in a Leader: पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर अक्सर मैदान पर अपनी आक्रामकता की वजह से चर्चा में रहते थे। कप्तानी के दौरान भी उनका एक अलग रवैया देखने को मिलता था, फिर वो चाहे आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी करते हुए हो या टीम इंडिया की।
हालाँकि, गंभीर के मुताबिक करियर के दौरान मैदान पर हुई कुछ तीखी नोंक-झोक और तकरार के दौरान दिखाई उनकी आक्रामकता सिर्फ अपने साथी खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए उन्होंने दिखाई थी। वह हमेशा चाहते थे कि उनकी टीम सही तरीके से खेले और इसके लिए ये तरीका उन्होंने अपनाया।
आक्रामक कप्तानी पर बोले गौतम गम्भीर
स्पोर्ट्सकीड़ा से बातचित के दौरान गंभीर ने अपनी आक्रामक कप्तानी शैली के बारे में बात की और कहा, 'यदि आप चाहते हैं कि आपकी टीम आक्रामक हो तो कभी-कभी आपको एक लीडर के रूप में आक्रामक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। कभी-कभी आपको वो काम करने पड़ते हैं जो आप नहीं करना चाहते थे। जब मैं अपने करियर पर नजर डालता हूं तो पाता हूं कि मैंने कुछ ऐसे काम किए हैं जो मुझे नहीं करने चाहिए थे। लेकिन मेरा मानना था कि अगर मैं आक्रामक नहीं हुआ और उदाहरण पेश करके नेतृत्व नहीं किया तो मेरी टीम आक्रामक तरीके से नहीं खेलेगी।'
गंभीर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एक कप्तान के रूप में शांत रहने के बारे में बाहरी धारणा पूरी तरह से व्यक्तिपरक है। गंभीर के मुताबिक, मुश्किल परिस्थितियों में टीम के अन्य खिलाड़ी कप्तान की ओर देखते हैं और इसी वजह से उसे बहादुर बनना चाहिए, खुद को अभिव्यक्त करना चाहिए।
एक खिलाड़ी का आकलन इस बात पर से भी किया जाना चाहिए कि वह मैदान के बाहर कैसा है- गौतम गंभीर
गौतम गंभीर का मानना है कि एक बार जब खिलाड़ी सीमा रेखा पार करके मैदान पर जाता है, तो उसे जज किये जाने की चिंता किये बिना, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के तरीके को व्यक्त करने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हर खिलाड़ी और हर लीडर को मैदान पर खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार है। एक खिलाड़ी का आकलन सिर्फ इस बात से नहीं किया जाना चाहिए कि वह मैदान पर कैसा है, बल्कि वह मैदान से बाहर कैसा है, इस पर भी गौर किया जाना चाहिए।'