विश्व कप 2019 से बाहर होने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कई बदलाव किये और उन्हीं बदलावों में से एक है पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी मिस्बाह उल हक़ का कोच और चयनकर्ता बनना। पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ सीरीज से मिस्बाह ने पत्रकारों से बात की। जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को इस दोहरी भूमिका सौंपने के लिए कैसे मनाया तो उन्होंने कहा कि मैंने कोई मांग नहीं की थी और केवल पिछले कोच मिकी आर्थर के बराबर वेतन देने को कहा था।
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मिस्बाह ने श्रीलंका के खिलाफ पाकिस्तान की घरेलू श्रृंखला से पहले पत्रकारों से कहा, "मैंने पाकिस्तान का कोच और चयनकर्ता बनने के लिए कोई जादू नहीं किया है, मैंने कोई अलग से वेतन की मांग नहीं की है। मैंने उनसे सिर्फ उतना ही भुगतान करने के लिए कहा जो पिछले कोच मिकी आर्थर को मिल रहा था।"
हालांकि ना तो मिस्बाह और ना ही पीसीबी ने इस बात का खुलासा किया कि पूर्व कप्तान को अपनी दोहरी भूमिका के लिए कितना भुगतान किया जा रहा है। पाकिस्तान क्रिकेट में पहली बार किसी को इस तरह की दोहरी भूमिका दी गयी है। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मिस्बाह को मुख्य कोच और मुख्य चयनकर्ता की दोहरी भूमिका के लिए तीन साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष लगभग 3.4 करोड़ रुपये प्राप्त करने की उम्मीद है।
दुनिया भर के अधिकांश कोचों की तुलना में मिस्बाह का वेतन काफी अधिक है, लेकिन यह अभी भी भारत के मुख्य कोच रवि शास्त्री को मिलने वाले भुगतान से कम है, जो प्रतिवर्ष लगभग 10 करोड़ रुपये का वेतन पाते हैं।
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