भारतीय टीम ने पुणे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका को एक पारी और 137 रनों से पराजित कर तीन मैचों की सीरीज में जीत दर्ज करने के अलावा 2-0 से अजेय बढ़त भी हासिल की। मुकाबले में मेहमान टीम कहीं नजर नहीं आई और टीम इंडिया का बोलबाला देखने को मिला। हर विभाग में दक्षिण अफ़्रीकी टीम का प्रदर्शन खराब नजर आया।
पराजय की मुख्य वजहों पर नजर डाली जाए तो टॉस सबसे अहम था। नए विकेट पर बल्लेबाजी करते हुए टेस्ट मैच के शुरुआती दिन योजना का निष्पादन करने में आसानी रहती है। भारतीय टीम के लिए टॉस और उसके बाद बल्लेबाजी करते हुए पहले दिन की बड़े स्कोर का संकेत देना दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गया। हालांकि कगिसो रबाडा ने पुणे की विकेट पर काफी अच्छी गेंदबाजी की लेकिन यह निरंतर अंतराल में नहीं हुआ और भारत ने स्कोरबोर्ड में काफी रन लगा दिए।
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पुणे टेस्ट में भारतीय स्पिनरों ने जबरदस्त काम करते हुए दोनों पारियों में मेहमान टीम के बल्लेबाजों को परेशान करते हुए कुल दस विकेट झटके। मेहमान टीम के स्पिन गेंदबाजों ने कुल पांच विकेट में से सिर्फ 2 विकेट झटके। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका की पराजय में भारतीय स्पिनर काफी प्रभावशाली रहे।
एक और ख़ास पहलू मेहमान टीम की बल्लेबाजी रही। टॉप ऑर्डर से लेकर मध्यक्रम तक सभी बल्लेबाजों ने निराशाजनक बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया। ऊपरी क्रम के चार बल्लेबाजों ने दोनों पारियों में बल्लेबाजी करने के बाद 161 रन बनाए। इन बल्लेबाजों में डीन एल्गर, एडेन मार्करम, थेनिस डी ब्रुइन और कप्तान फाफ डू प्लेसी का नाम शामिल है। पहले पारी में इन खिलाड़ियों ने 100 रन बनाए और दूसरी पारी में 61 रनों का योगदान दिया। जो भी रन दक्षिण अफ्रीका ने बनाए उनमें निचले क्रम में केशव महाराज और वर्नन फिलैंडर ने मिलकर दोनों पारियों में 175 रन बनाए। देखा जाए तो हम स्पिन विभाग और टॉप ऑर्डर की विफलता को दक्षिण अफ्रीका की हार के कारणों में शामिल कर सकते हैं।
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