मौजूदा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय टीम की क्षेत्ररक्षण तकनीक को लेकर पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने आलोचना की है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय फील्डरों ने कई कैच टपकाए हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए कॉलम लिखते हुए 67 वर्षीय गावस्कर ने ऐसा कहा। गावस्कर के अनुसार "फिर से क्लोज इन फील्डिंग में श्रेष्ठ फील्डर कैच टपकाते हैं, तो यह उनके क्षेत्ररक्षण के स्थान को नहीं बदलने का जिद है और यही कारण है कि कैच छूट रहे हैं।" गावस्कर ने आगे लिखा "अजिंक्य रहाणे के अलावा सभी खिलाड़ी पीछे खड़े होते हैं इसलिए वे समय पर कैच के लिए झुक नहीं पाते। खेल शुरू होने से पहले फील्डिंग कोच सैंकड़ों कैच का अभ्यास कराएगा लेकिन कम झुकने के कारण वे अधिक से अधिक कैच छोड़ रहे हैं।" मौजूदा सीरीज में भारतीय टीम की फील्डिंग बहुत निम्न रही है। पुणे टेस्ट में भारतीय टीम ने मेहमान कप्तान स्टीव स्मिथ के कई मौकों को गंवाया। इसके बाद उन्होंने शानदार शतक जड़ते हुए भारत को मैच में वापस नहीं आने दिया और करारी शिकस्त दी। समस्या बेंगलुरु टेस्ट में भी बनी रही जब पहले दिन डेविड वॉर्नर का एक कैच अजिंक्य रहाणे ने टपका दिया। जिन भारतीय क्रिकेट फैन्स ने 90 और 2000 के दौरान भारतीय टीम की फील्डिंग देखी हैं, वे यह कह सकते हैं कि उस समय भारत की फील्डिंग उतनी अच्छी नहीं मानी जाती थी। लेकिन मौजूदा टीम ने शानदार क्षेत्ररक्षण कौशल दर्शाया है। इसलिए हर कोई कहने को मजबूर हो जाता है कि यह कैसे हो सकता है। चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारतीय टीम को पुरानी गलतियाँ भूलकर इस ओर ध्यान देना होगा कि वे इसे कैसे सुधार सकते हैं और कैसी रणनीति इसमें उपयोगी साबित हो सकती है। गावस्कर की बात पर गौर करें, तो भारतीय टीम को फील्ड तकनीक में परिवर्तन करते हुए सामंजस्य बैठाना चाहिए। गौरतलब है कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में मेहमान टीम के फील्डरों ने अच्छी फील्डिंग का प्रदर्शन किया है।