बीते कुछ साल से क्रिकेटरों पर बनने वाली बायोपिक का ट्रेंड कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। पहले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर फिल्म बनाई गई। इसके बाद सचिन तेंदुलकर की बायोपिक आई। अब इन दिनों 1983 विश्वकप पर आधारित कबीर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 83 की चर्चा है। इसमें रणवीर सिंह उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान रहे कपिल देव का किरदार निभा रहे हैं। इस बीच जब लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर से उन पर बायोपिक बनाने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने फिल्म बनाने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी में कुछ रोचक नहीं है, जिस पर फिल्म बनाई जा सके।
गावस्कर ने कहा कि मैं अपने ऊपर बायोपिक बनवाने का पक्षधर बिल्कुल भी नहीं हूं। मेरे जीवन में एक्साइटिंग कुछ नहीं है, जिसे पर्दे पर दिखाया जा सके। दर्शक के तौर पर मैं इसे देखना भी नहीं चाहूंगा। पर्दे पर दिखाने के लिए जब मुझे ही अपनी जिंदगी के रोचक क्षण समझ में नहीं आ रहे तो उसे दर्शक क्यों देखना चाहेंगे। कई बार मेरे ऊपर फिल्म बनाने को लेकर मुझसे बात की गई पर मैंने ही इंट्रेस्ट नहीं दिखाया। इस वक्त मेरी बात फिल्म निर्देशक कबीर खान से हो रही है क्योंकि वो 1983 विश्वकप पर फिल्म बना रहे हैं। हमारी 1983 विश्वकप और टीम के सफर को लेकर बात हुई। मुझे लगता है कि हमारी आगे भी बात होती रहेगी लेकिन उसका सब्जेक्ट मेरी बायोपिक नहीं बल्कि इंडिया टीम होगी।
हार्दिक पांड्या और केएल राहुल वाले मामले पर सुनील गावस्कर ने कहा कि करियर के शुरुआती दौर में स्टारडम को संभालना आसान नहीं होता है। ऐसे में सीनियर खिलाड़ियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो जूनियर खिलाड़ियों को बहकने से बचाएं क्योंकि वो ऐसी परिस्थितियों का सामना कर चुके होते हैं। टेस्ट क्रिकेट की खोती लोकप्रियता पर गावस्कर ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट सबसे बेहतर है। यह हमारा इतिहास है और इसे आगे भी बरकरार रखना होगा। आजकल के युवा टी-20 क्रिकेट ज्यादा खेल रहे हैं। यही वजह है कि अब टेस्ट क्रिकेट के परिणाम भी आने लगे हैं। हमारे वक्त में ज्यादातर मैच तो ड्रॉ हो जाते थे। फटाफट क्रिकेट ने टेस्ट को और रोमांचक बना दिया है।
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